Choumukhnath Mandir : आज सावन महीने का पहला सोमवार है। सभी ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में भोले बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों का तांता लगा है।
इस बार 22 जुलाई से सोमवार से शुरू होकर 19 अगस्त सोमवार को ही सावन का समापन होगा। वहीं इस बार सावन के महीने में कई शुभ योग और राजयोग के भी संयोग 72 साल बन रहें हैं।
सावन के पहले सोमवार पर पेश है पन्ना जिला के चौमुखनाथ मंदिर की ये स्पेशल स्टोरी
चौमुखनाथ महादेव मंदिर का इतिहास
वैसे तो देशभर में सभी जगह के शिव मंदिरों का अपना ही महत्व है, लेकिन सलेहा क्षेत्र के नचने का चौमुखनाथ महादेव मंदिर का इतिहास ही अनोखा है।
पन्ना के इस दिव्य मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था है तो वहीं इसका पुरातन महत्व भी है। मध्य भारत में जीवित पत्थर के मंदिरों में से ये प्रमुख मंदिर है।
कहा जाता है कि गुप्त साम्राज्य के युग में 5वीं से 9वीं शताब्दी के बीच ये मंदिर बना था। जो हिंदू मंदिर वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली को दर्शाता हैं। प्राचीनता की द्रष्टि से पन्ना जिले का ये मंदिर खजुराहो के मंदिरों से भी अधिक प्राचीन हैं ।
मंदिर में भगवान शिव के चार मुख वाली प्रतिमा
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित चौमुखनाथ मंदिर अति प्राचीन है । इस अनूठे मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा रहस्यों से परिपूर्ण और विलक्षण है।
एक ही पत्थर पर निर्मित इस अदभुत प्रतिमा में भगवान शिव के चार मुख है। प्रतिमा का हर मुख अलग-अलग रूप दर्शाता है।
चतुर्मुखी प्रतिमा में एक मुख भगवान के दूल्हे के वेष का है। इसको गौर से देखने पर भगवान के दूल्हे के रूप के दर्शन होते हैं। दूसरे मुख में भगवान अर्धनारीश्वर रूप में हैं। तीसरा मुख भगवान का समाधि में लीन स्थिति का है और चौथा उनके विषपान करने का है।
प्रतिमा का सूक्ष्मता के साथ दर्शन करने पर सभी रूप उभरकर आते हैं। यह प्रतिमा अपने आप में अद्भुद है और दुर्लभ है। यह शिवलिंग 1500 वर्ष से ज़्यादा पुरानी है। जो अपने आप में अद्भुत, अकल्पनीय वास्तुकला और संस्कृति का अप्रतिम उदाहरण है।
श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं भोलेनाथ
सावन सोमवार के दिन सभी शिव मंदिरों का महत्व है लेकिन पन्ना जिले का चौमुखनाथ महादेव मंदिर कई मायनों में अनूठा है। यहां हर समय स्थानीय श्रद्धालु आते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर्व और सावन माह में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है।
सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस अद्भुत मंदिर में आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं इसी मंदिर परिसर में पार्वती मंदिर है जो दुनिया के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से है।
कहा जाता है कि जब इंसान मंदिरों के निर्माण की कला सीख रहा था तब इस मंदिर का निर्माण कराया गया। यह केंद्र संरक्षित स्मारक है केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर में वर्षभर श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन सोमवार में अधिक लोक पहुंच रहे हैं।
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