Nameplate Controversy: कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों पर दुकानदार के नाम वाला प्लेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर यूपी-एमपी और उत्तराखंड राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस आदेश पर रोक लगाई है। कोर्ट में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ मामले की सुनवाई (Nameplate Controversy) के दौरान कुछ अहम टिप्पणी भी की।
जजों ने कहा कि दुकानदारों को मालिक की पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को यह जरूर बताना होगा कि उनके यहां शाकाहारी या मांसाहारी, कौन-सा खाना मिलता है।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
तीनों राज्यों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने का आदेश दिया गया था।
इसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं लगी थीं, जिनपर सोमवार 22 जुलाई को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान के जरिये उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। यह चिंताजनक है।
बता दें, योगी सरकार का यह आदेश बीते कई दिनों से पूरे देश में चर्चा का हॉट टॉपिक बनी हुआ है।
यूपी में पहले कहा गया था कि चुनिंदा जिलों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी, लेकिन बाद में सीएम कार्यालय से आधिकारिक रूप से जारी आदेश में बताया गया कि यह पूरे प्रदेश के लिए है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यूपी ही नहीं, पूरे देश की नजर थी। कारण यह है कि दुकानों के बाहर दुकानदार का नाम लिखने का मुद्दा अन्य राज्यों तक भी पहुंच गया था।
उत्तराखंड में ऐसा ही आदेश (Nameplate Controversy) जारी हो चुका है। मध्य प्रदेश में भी विधायकों ने इसके समर्थन में मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है।
बता दें कि यूपी के बाद 20 जुलाई को उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी कांवड़ यात्रा रूट पर आने वाली दुकानों में दुकानदारों का नाम और मोबाइल नंबर लिखना जरूरी कर दिया गया था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर दुकान खोलते हैं।
दूसरी तरफ, उज्जैन नगर निगम यह आदेश एक साल पहले ही दे चुका था। हालांकि, इस पर अमल नहीं हो रहा था।
उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल का कहना था कि इस बार सावन के महीने में इस आदेश पर सख्ती से अमल करवाएंगे।