खंडवा। खंडवा जिला अस्पताल में स्त्री रोग विभाग में महिला के इलाज में लापरवाही सामने आई है जिसमें नॉर्मल डिलीवरी में महिला को लगे टांके के भीतर डॉक्टर व स्टाफ ने कॉटन छोड़ दिया। इसके बाद प्रसूता की तबीयत भी बिगड़ गई है। आरुद निवासी महिला के पति ने डॉक्टर व स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला को दर्द के साथ टांकों से मवाद आने पर परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे जहां पर सही इलाज नहीं मिलने के बाद निजी हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया।
खंडवा में मेडिकल कॉलेज और शासकीय अस्पताल की व्यवस्था में करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी कोई सुधार नही हुआ है जिसकी बानगी ऐसी घटना के रूप में देखने को मिलती है।
खंडवा के आरुद गांव निवासी निकिता पति ऋषभ राठौर प्रसव के लिए 12 अप्रैल को दोपहर 3 बजे लेडी बटलर में भर्ती हुई थी। महिला के पति ऋषभ के मुताबिक, 13 अप्रैल को सुबह नॉर्मल डिलीवरी हुई थी। अस्पताल से उन्हें 12 घंटे बाद छुट्टी दे दी गई। तब उन्हें बताया गया था कि 10-12 टांके लगे हैं।
निकिता को 25 अप्रैल को ज्यादा तकलीफ होने पर आरुद के सरकारी अस्पताल लेकर गए तो वहां से स्टाफ ने जिला अस्पताल खंडवा रेफर कर दिया। बताया गया कि निकिता का इलाज डॉ. कोमल छाबड़ा के यहां चल रहा था इसलिए हम डॉ. छाबड़ा के यहां निकिता को लेकर पहुंचे जहां पर डॉ. छाबड़ा ने खुद टांके के भीतर से रुई निकाली।
उन्होंने जिला अस्पताल में फोन कर स्टाफ से कहा कि केस ज्यादा बिगड़ गया है और हमें वहां पर भर्ती कराया। अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने निकिता का इलाज ठीक से नहीं किया तो परिजन रात में निजी हॉस्पिटल लेकर आए। अब निकिता की हालत ठीक है।
वहीं प्रसूता निकिता ने बताया कि जिला अस्पताल में डिलीवरी के बाद अंदर कॉटन छोड़कर टांके लगा दिया गया था, जिसमें मवाद पड़ गया था। अस्पताल में भर्ती होने पर केवल तीन बॉटल लगा दिया।