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SC-ST Reservation: कोटा के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, 2004 के फैसले को पलटा

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Manish Kumar
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SC-ST Reservation: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण पर दिए अपने फैसले में राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर सब-कैटेगरी बनाने की अनुमति दी है।

इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सब कैटेगरी या सब कोटा बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

अब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है।

7 जजों की बेंच ने 6-1 के बहुमत के आधार पर यह फैसला सुनाया है।

SC-ST Reservation: 100 फीसदी आरक्षण की मंजूरी नहीं –

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि सब कैटेगरी की अनुमति देते समय राज्य किसी उप-श्रेणी के लिए 100 फीसदी आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकता।

इसके साथ ही, राज्य को सब कैटेगरी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संबंध में अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर इसे उचित ठहराना होगा।

Supreme Court On Reservation: सुप्रीम कोर्ट के फैसला की बड़ी बातें –

  • SC की 7 जजों की बेंच ने 6-1 पर क्लासिफिकेशन ऑफ कास्ट पर फैसला दिया।
  • आरक्षण में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाए, जिनको वास्तव में इसकी जरूरत है।
  • इसका आधार क्या होना चाहिए, यह तय करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है।
  • जजों ने कहा कि सब कैटेगरी बनाते समय क्रीमीलेयर को भी ध्यान में रखना होगा।

SC-ST Reservation: 6-1 के बहुमत से आया फैसला –

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि फैसले को लेकर 6 राय हैं। जस्टिस बेला त्रिवेदी (Jusice Bela Trivedi) ने फैसले से असहमति जताई है।

सीजेआई ने कहा कि हममें से अधिकांश ने ईवी चिन्नैया (EV Chinnaiya) के फैसले को खारिज कर दिया है और हम मानते हैं कि सब कैटेगरी स्वीकार्य है।

सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 6:1 बहुमत से माना कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का उप-वर्गीकरण स्वीकार्य है।

SC-ST Reservation: 2004 के फैसले को खारिज किया –

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सबसे निचले स्तर पर भी वर्ग के लोगों के साथ संघर्ष उनके प्रतिनिधित्व के साथ खत्म नहीं होता है।

सीजेआई ने कहा कि चिन्नैया के 2004 के फैसले को खारिज किया जाता है कि अनुसूचित वर्गों का उप-वर्गीकरण अस्वीकार्य है।

SC-ST Reservation: उदाहरण देकर जज ने समझाई जरूरत –

अपना फैसला सुनाते हुए एक जज ने उदाहरण भी दिया।

जज ने कहा कि यह पूरी व्यवस्था एक ट्रेन की बोगी की तरह है।

जो व्यक्ति बोगी में घुसने में सफल रहता है, वह फिर बाकियों को अंदर आने से रोकने की कोशिश करता है।

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