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‘शाही’ शब्द आया संतों के निशाने पर, राजसी सवारी के बाद अब महाकुंभ में होगा राजसी स्नान!

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MahaKumbh Rajsi Snan Shahi Snan: हाल ही में मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल की शाही सवारी का नाम बदलकर राजसी स्नान किया गया है।

लेकिन शाही शब्द पर बवाल यही खत्म नहीं हुआ बल्कि एमपी से निकलकर ये मुद्दा यूपी के महाकुंभ तक पहुंच गया है।

खबर है कि 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के शाही स्नान का नाम भी बदलने की तैयारी चल रही हैं।

महाकुंभ में शाही स्नान नहीं अब होगा राजसी स्नान

इस संबंध में अखाड़ा परिषद की ओर से बड़ा बयान सामने आया है।

स्नान का नाम बदले जाने का उद्देश्य उर्दू शब्द ‘शाही’ की जगह ‘राजसी’ रखना है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने इस संबंध में बड़ा बयान दिया है।

रवींद्र पुरी देश में 13 अखाड़ों या धार्मिक मठों के प्रमुख हैं।

उन्होंने इस धार्मिक आयोजन को इस्लामिक शब्द से जोड़ने पर नाराजगी जताई है।

रवींद्र पुरी ने कहा कि शाही स्नान को राजसी स्नान (राजाओं की ओर से किया जाने वाला स्नान) कहा जाना चाहिए।

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Ravindra Puri

राजसी शब्द सनातनी परंपराओं का प्रतीक

रवींद्र पुरी ने बताया कि शाही एक उर्दू शब्द है। शाही और राजसी में कोई अंतर नहीं है। बस राजसी शब्द ‘देव वाणी’ संस्कृत का शब्द है।

यह समृद्ध सनातनी परंपराओं का प्रतीक है। जबकि शाही शब्द इस्लामिक है जो की गुलामी का प्रतीक है और इसे मुगलों ने गढ़ा था।

इस नाम को बदलने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे।

उन्होंने बताया कि शाही शब्द को हटाकर शुभ मुहूर्त के अनुसार सभी अखाड़ों की राय लेकर नया शब्द लगाने का निर्णय लिया गया है।

मध्य प्रदेश प्रशासन ने सही किया

एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा- जिस जगह पर जिसका शासन रहता है तो वहां की भाषा दैनिक जीवन में आ जाती है।

यही भारत में हुआ। लेकिन अब वक्त बीत चुका है, तो हमें हमारे मूल स्वरूप की तरफ लौटना चाहिए।

मध्य प्रदेश शासन ने बहुत अच्छी बात कही कि शाही सवारी को राजसी सवारी कह सकते हैं।

अगर किसी भी शब्द से गुलामी का आभास होता है, तो उसे हटा देना चाहिए। इसलिए हम चाहते हैं कि कुंभ मेले के स्नान का नाम बदल दिया जाए।

2025 में प्रयागराज में होगा महाकुंभ

उत्र प्रदेश के प्रयागराज में जनवरी 2025 में महाकुंभ का आयोजन होगा।

14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और 3 फरवरी को वसंत पंचमी पर शाही स्नान होगा।

क्या है शाही स्नान

शाही स्नान को अमृत स्नान माना जाता है जिसमे अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महंत और नागा साधु शाही स्नान करते है और ये परम्परा सदियों पुरानी है।

महाकुंभ 2025 की तैयारियां तेज

बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसमे सिर्फ 4 महीने बचे हैं।

प्रयागराज दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी महाकुंभ के आयोजन तैयारियों की समीक्षा की।

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