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प्रिंसिपल के लिए फूट-फूटकर रोए छात्र-छात्राएं, विदा करने आया पूरा गांव

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Principal Farewell Ceremony: एक व्यक्ति के जीवन को सफल बनाने में शिक्षक का योगदान महत्तवपूर्ण होता है। कहते हैं अच्छे शिक्षक मिल जाए तो जीवन सवर जाता है।

शिक्षकों से बच्चों को खास लगाव रहता है और जब उनका विदाई समारोह होता है तो बच्चे चाहते ही नहीं है कि शिक्षक स्कूल छोड़कर चले जाए।

कुछ ऐसा ही नजारा भिंड जिले में देखने को मिला, जहां एक प्रिंसिपल के फेयरवेल में पूरा गांव भावुक हो गया।

फूट-फूटकर रोए बच्चे, पूरा गांव विदा करने आया

भिंड जिले की लहार ​​​​​तहसील के रुरई गांव में स्थित शासकीय स्कूल के प्राचार्य अरुण त्रिपाठी का प्रमोशन हो गया है।

उनका तबादला शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल असवार में किया गया है।

प्राचार्य के विदाई समारोह का आयोजन मां सिंह वाहिनी सेवा समिति ने किया था।

Principal Farewell Ceremony
Principal Farewell Ceremony

विदाई समारोह में स्कूल के छात्र-छात्राएं, स्टाफ और ग्रामीण फूट-फूटकर रोए, पूरा गांव उन्हें विदा करने आया।

ये देख प्राचार्य भी भावुक हो गए और वे भी अपने आंसू रोक नहीं पाए।

प्राचार्य ने किया हफ्ते में एक दिन आने का वादा

भावुक स्टूडेंट्स ने प्राचार्य को पकड़कर कमरे में बैठा लिया। छात्र-छात्राएं उनके आसपास बैठ गए और रोने लगे।

प्राचार्य ने उनके सिर पर हाथ फेरा और उन्हें ऐसा करने से मना किया। हालांकि वे खुद भी रोने लगे।

Principal Farewell Ceremony
Principal Farewell Ceremony

प्राचार्य को भावुक छात्र-छात्राओं से हफ्ते में एक दिन रुरई आने का वादा करना पड़ा।

प्राचार्य जब स्कूल से बाहर आए तो एक-एक कर स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों से गले मिले। इस दौरान सभी की आंखें नम दिखी।

प्राचार्य के सम्मान में पूरा गांव ही उन्हें मुख्य मार्ग तक विदा करने आया।

15 साल तक रुरई के हाई स्कूल में दी सेवा

अरुण त्रिपाठी 15 साल पहले 2008 में फूप से ट्रांसफर होकर रुरई हाई स्कूल में आए थे।

तब रुरई का शासकीय विद्यालय महीने में दो चार दिन ही खुलता था। साथ ही स्कूल में कई तरह की अव्यवस्थाएं थी। स्कूल का रिजल्ट भी निचले स्तर पर रहता था।

Principal Farewell Ceremony
Principal Farewell Ceremony

रुरई हाई स्कूल में पदस्थ होने के साथ ही कुछ ही सालों के अंदर अरुण त्रिपाठी ने विद्यालय के हालात बदल दिए। उन्होंने बच्चों को शिक्षा के प्रति सजग किया।

शिक्षा की गुणवत्ता सहित अनेक गतिविधियों में विद्यालय की व्यवस्थाओं में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए।

इन सारी चीजों से सभी ग्रामीण और छात्र काफ़ी प्रभावित थे। इसलिए उनकी विदाई में किसी के भी आंसू नहीं रुके।

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