MP Guest Teachers Protest: भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अंबेडकर मैदान में अतिथि शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
मध्य प्रदेश अतिथि शिक्षक महासंघ के बैनर तले सभी जिलों से 8000 से ज्यादा अतिथि शिक्षक इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
अंबेडकर मैदान में प्रदर्शन कर रहे इन अतिथि शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि विभागीय परीक्षा के माध्यम से उन्हें नियमित किया जाए।
साथ ही स्कोर कार्ड में हर सत्र के लिए 10 बोनस अंक दिए जाएं।
MP Guest Teachers Protest: पुलिस ने तैनात किए वाटर कैनन –
बताया जा रहा है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे ये अतिथि शिक्षक सीएम निवास पहुंचेंगे, जहां वे सीएम के सामने अपनी बात रखेंगे।
हालांकि, प्रदर्शनकारियों को अंबेडकर मैदान में ही रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की है।
प्रदर्शनकारी अतिथि शिक्षकों को सीएम हाउस की तरफ जाने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल और वाटर कैनन तैनात किए गए हैं।
MP Guest Teachers Protest: 2023 की घोषणाएं लागू नहीं करने से हैं नाराज –
मध्य प्रदेश अतिथि शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 2 सितंबर 2023 को आयोजित अतिथि शिक्षक पंचायत में की गई घोषणाओं के आदेश जारी नहीं होने से प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षक नाराज हैं।
अतिथि शिक्षक इसे और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भोपाल की सड़कों पर उतरे हैं।
बता दें कि अतिथि शिक्षकों की तिरंगा यात्रा पांच सितंबर शिक्षक दिवस को निर्धारित थी।
लेकिन, सीएम डॉ. मोहन यादव के पिताजी के देहांत के कारण संगठन के पदाधिकारियों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से तिरंगा यात्रा दस दिसंबर तक स्थगित कर दी थी।
MP Guest Teachers Protest: पूर्व सीएम की घोषणा के बाद भी हजारों अतिथि शिक्षक बेरोजगार –
महासंघ से जुड़े केसी पवार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि किसी भी अतिथि शिक्षक को बेरोजगार नहीं किया जाएगा।
लेकिन, उनकी घोषणा के बाद सीधी भर्ती, प्रमोशन और ट्रांसफर से हजारों लोगों को बेरोजगार कर दिया गया है।
गुरुजियों की भांति विभागीय परीक्षा लेकर नियमित करने के आदेश भी आज तक नहीं हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी भी अतिथि शिक्षकों को न्याय दिलाने BJP में आए थे।
आज भी उनकी ही सरकार है, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी अतिथि शिक्षकों के हालात नहीं बदले हैं।
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