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शारदा सिन्हा के गाने की खिलाफ थीं सास, इस शख्स के सपोर्ट से बनीं ‘बिहार कोकिला’

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Chhath Singer Sharda Sinha Death: छठ गीतों की आवाज और बिहार कोकिला के नाम से मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा ने 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।

वो लंबे समय से बीमार थीं और दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। 5 नवंबर की रात साढ़े 9 बजे को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

शारदा सिन्हा का निधन छठ से दो दिन पहले नहाय-खाय के दिन हुआ। उनके जाने से बिहार समेत पूरे देश में गम का माहौल है।

बड़े-बड़े नेता और सेलेब उन्हें श्रद्धाजंलि दे रहे हैं।

लेकिन शारदा सिन्हा की ये जर्नी आसान नहीं थी। आइए जानते हैं शारदा सिन्हा की जिंदगी और उनकी बिहार कोकिला बनने की कहानी…

बिहार में हुआ जन्म (Bihar Kokila Sharda Sinha(

शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के मिथला क्षेत्र के सुपौल जिला के हुलास गांव में 1 अक्टूबर 1952 में हुआ था।

उनके पिता सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे।

 

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पिता ने पहचानी बेटी की प्रतिभा

शारदा सिन्हा के परिवार में गायकी की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी, लेकिन उनके पिता ने बेटी की संगीत प्रतिभा को पहचान लिया था और घर पर ही उनकी ट्रेनिंग शुरू करा दी।

पढ़ाई के साथ-साथ ली संगीत की शिक्षा

घर पर ही एक शिक्षक आकर शारदा सिन्हा को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने लगे थे।

शारदा सिन्हा ने पढ़ाई के साथ ही घर पर संगीत की शिक्षा ली उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया।

हर विधा में परांगत (Bihar folk singer Sharda Sinha)

शारदा सिन्हा ने संगीत की हर विधा में गायन किया, इसमें गीत, भजन, गजल, सब शामिल थे लेकिन लोक संगीत गाना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था मगर धीरे-धीरे वो इसमें विभिन्न प्रयोग करने लगीं।

 

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शारदा सिन्हा की जगह कोई न ले सका

जन्म का उत्सव हो या मृत्यु का शोक, हर अवसर के लिए शारदा सिन्हा ने कई गाने गाए हैं और उनके गाने नियम की तरह हर अवसर पर शामिल होते हैं।

शारदा सिन्हा के बाद भी कई लोकगायिकाएं आईं, लेकिन किसी को वो पहचान नहीं मिल सकी जो शारदा सिन्हा को मिली।

इसकी एक वजह इनकी खास तरह की आवाज है, जिसमें इतने सालों के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया था।

कब मिली सफलता? (Sharda Sinha Success Story)

शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी। इसके बाद भोजपुरी और मगही भाषा में परंपरागत गीत गाने वाली गायिका को तौर पर शारदा सिन्हा को प्रसिद्धि मिलने लगी।

बॉलीवुड और भोजपुरी गीत भी गाए (Sharda Sinha Bollywood Song)

शारदा सिन्हा बिहार की लोकप्रिय गायिका थीं लेकिन उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा कई हिन्दी गाने भी गाए हैं।

मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके गाये गाने काफी पॉपुलर हुए।

साल 1994 में रिलीज हुई सलमान खान और माधुरी दीक्षित की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ का फेमस विदाई गीत ‘बाबुल जो तूने दिया है’ गाने को शारदा सिन्हा ने ही गाया था।

यह गाना आज भी बेटियों की विदाई में सुनाई देता है।

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गाने के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठीं सास (Sharda Sinha Mother-in-law)

शारदा सिन्हा का ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शारदा सिन्हा की सास शादी के बाद उनकी गायिकी के खिलाफ थी और उनकी सिंगिंग को रोकने के लिए भूख हड़ताल पर भी बैठ गई थी।

ऐसे में शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर सिन्हा ने उनका साथ दिया और अपनी मां को बहू के गाने के लिए मनाया।

इसक बाद फैमिली के सपोर्ट से शारदा सिन्हा ने गायिकी में ऐसा कमाल दिखाया कि उनके नाम का डंका पूरे देश में बजने लगा।

पति को दिया सफलता का क्रेडिट (Sharda Sinha Husband)

शारदा सिन्हा ने अपनी सफलता का पूरा क्रेडिट अपने पति को दिया था। उनका मानना था कि अगर पति उनका साथ न देते तो वो कभी भी संगीत की दुनिया में न आती।

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पद्मभूषण-संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड (Sharda Sinha Award List)

1991 में केंद्र सरकार ने शारदा सिन्हा को पद्म श्री पुरुस्कार दिया।

2018 में शारदा सिन्हा को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।

बिहार सरकार ने इन्हें बिहार कोकिला की उपाधि दी थी।

पिता सुखदेव ठाकुर ने 55 साल पहले दूरदर्शिता दिखाते हुए उन्हें नृत्य और संगीत की शिक्षा दिलवानी शुरू कर दी थी और

2005-06 में मध्य प्रदेश सरकार ने इन्हें देवी आहिल्या सम्मान दिया।

इसके अलावा पारंपरिक / लोक / आदिवासी / संगीत / नृत्य और रंगमंच के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला है।

साथ ही बिहार गौरव सम्मान, बिहार रत्न सम्मान और मिथिला विभूति सहित कई पुरस्करा मिले।

अस्पताल में शारदा सिन्हा का आखिरी वीडियो (Sharda Sinha Last Video)

इसी बीच शारदा सिन्हा का आखिरी वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वो हॉस्पिटल के अंदर बैठकर सैयां निकस गए नैना लड़ई की गाना गा रही हैं।

इस वीडियो में शारदा सिन्हा ऑक्सीजन सपोर्ट पर दिख रही हैं।

उनके नाक में ऑक्सीजन जाने के लिए पतली से पाइप लगी हुई है। इसके बावजूद वो बहुत शानदारी तरीके से राग अलापते हुए गाना गा रही है।

इस बीमारी से जूझ रही थीं शारदा सिन्हा (Sharda Sinha 

शारदा सिन्हा 2018 से मल्टीपल मायलोमा से जूझ रही थीं। यह एक तरह का ब्लड कैंसर है।

इसमें बोन मैरो में प्लाज्मा सेल अनियंत्रित तरीक़े से बढ़ने लगते हैं और इससे हड्डियों में ट्यूमर्स बनने लगते हैं।

पति की मौत से सदमे में थीं

डेढ़ महीने पहले 22 सितंबर को शारदा सिन्हा के पति बृजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया था। पति के निधन के बाद से ही शारदा सिन्हा सदमे में थीं।

शारदा सिन्हा के गाने बिहार और उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में गूंजा करते हैं, उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में जो अपूरणीय क्षति हुई है वो कभी पूरी नहीं हो सकेगी।

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