Doctor Saved Life CPR: कहते हैं धरती पर डॉक्टर, भगवान का दूसरा रूप होते हैं क्योंकि उनके हाथों में मरीजों की जिंदगी होती है।
इस बात को मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स ने सच साबित कर दिखाया है।
दरअसल, नागदा में 22 जुलाई को एक मरीज सीने में दर्द की शिकायत लेकर डॉ. सुनील के क्लिनिक पहुंचे थे।
इलाज के दौरान ही मरीज को कार्डियक अरेस्ट आ गया और उनकी धड़कन बंद हो गई।
लेकिन डॉक्टर्स ने हार नहीं मानी और उनकी जान बचा ली। जानिए कैसे…
क्या हुआ था?
29 साल के सनी गहलोत नागदा के रूपेटा गांव के रहने वाले हैं। उन्हें सीने में तेज दर्द की शिकायत थी।
सुबह उन्होंने एक स्थानीय डॉक्टर से इलाज करवाया, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ।
दोपहर में वे कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुनील चौधरी के क्लिनिक पहुंचे।

जैसे ही डॉक्टर उनका बीपी चेक कर रहे थे, सनी अचानक बेहोश होकर गिर पड़े।
उनका पल्स और बीपी शून्य हो गया। यानी, कार्डियक अरेस्ट आ गया था।
40 मिनट तक जारी रही जान बचाने की कोशिश
डॉ. सुनील और उनकी टीम ने तुरंत CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) शुरू कर दिया।
मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां उन्हें 11 बार इलेक्ट्रिक शॉक (डीसी शॉक) दिया गया।
हर तीन मिनट पर 1 मिनट में 100 से ज्यादा बार सीपीआर दिया जा रहा था, लेकिन दिल की धड़कन वापस नहीं आ रही थी।
उज्जैन के नागदा में एक युवक की जान उस वक्त बची जब डॉक्टर ने समय रहते CPR देकर उसे मौत के मुंह से बाहर निकाला। पूरा घटनाक्रम अस्पताल के CCTV में कैद हुआ, जो अब वायरल हो रहा है।#Nagda #Ujjain #MadhyaPradeshNews #CPR #DoctorSavedLife #EmergencyCare #CCTVFootage pic.twitter.com/DJn9D1qdCY
— Ghar Ka Ghat Ka (@GharKa_GhatKa) August 2, 2025
डॉ. सुनील ने बताया – “हम जानते थे कि अगर 40-45 मिनट तक लगातार सीपीआर दिया जाए, तो मरीज को बचाया जा सकता है। इसलिए हमने हार नहीं मानी।”
12वीं बार शॉक देने के बाद आखिरकार 40 मिनट के संघर्ष के बाद सनी का दिल फिर से धड़कने लगा।
हालांकि, उस वक्त उनका बीपी शून्य था, लेकिन दवाओं और इंजेक्शन की मदद से उन्हें स्थिर किया गया।
सनी की हालत अब कैसी है?
40 मिनट की इस जंग के बाद सनी को स्थिर करने के लिए इंदौर रेफर किया गया, जहां उनकी इलाज चल रहा है। डॉ. सुनील का कहना है कि सनी अब खतरे से बाहर हैं, लेकिन उनकी रिकवरी में समय लगेगा।
क्यों खास है यह मामला?
-
आमतौर पर 15-20 मिनट तक CPR देने के बाद डॉक्टर्स प्रयास बंद कर देते हैं, लेकिन इस मामले में 40 मिनट तक लगातार प्रयास किए गए।
-
ब्रेन डैमेज से बचाने के लिए तुरंत CPR शुरू करना जरूरी था, क्योंकि 3-4 मिनट के अंदर ब्रेन तक ऑक्सीजन न पहुंचने से मरीज की जान चली जाती है।
-
डॉक्टर्स ने एक मिनट में 100 से ज्यादा बार सीपीआर देकर नया उदाहरण पेश किया।

क्या है सीपीआर
सीपीआर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन
जब दिल और फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं, तब शरीर और खासकर दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती ।
CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने से हम छाती को दबाकर खून को दिल और दिमाग तक पहुंचाते हैं, ताकि तब तक व्यक्ति जीवित रह सके जब तक मेडिकल मदद नहीं मिल जाती।
सीपीआर का महत्व
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि समय पर सीपीआर और मेडिकल इंटरवेंशन किसी की जिंदगी बचा सकता है।
यह घटना बताती है कि सीपीआर कितना जरूरी है।
भारत में कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर युवाओं में।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आम लोग भी सीपीआर की बेसिक ट्रेनिंग लें, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
डॉ. सुनील ने कहा, “सीपीआर एक ऐसी स्किल है, जो हर किसी को सीखनी चाहिए। यह किसी की जिंदगी और मौत का फर्क हो सकता है।”
डॉक्टर्स का संदेश: “हार मत मानो!”
डॉ. सुनील का कहना है – “अगर सही तरीके से और लगातार CPR दिया जाए, तो मरीज को वापस लाया जा सकता है। हमारी टीम ने यह साबित कर दिया कि हिम्मत और मेहनत से मौत को भी मात दी जा सकती है।”
यह मामला मेडिकल फील्ड में एक मिसाल बन गया है और लोगों को यह संदेश देता है कि “जब तक जान है, तब तक कोशिश जारी रखो!”
#Nagda #Ujjain #MadhyaPradeshNews #CPR #DoctorSavedLife #EmergencyCare #CCTVFootage