Places Where Dussehra Is Not Celebrated: भारत में हर साल दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
इस साल 12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा मनाया जा रहा है।
विजयदशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।
इसलिए इस दिन भारत में लगभग हर जगह रावण के पुतला का दहन किया जाता है।
लेकिन, भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
यहां के लोग दशहरे के दिन खुशियां नहीं बल्कि रावण के मृत्यु का शोक मनाते हैं।
हर एक जगह के अनूठे रीति-रिवाज और मान्यताएं हैं।
आइए जानते हैं उन जगहों और इनसे जुड़ी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियों के बारे में –
1 – रावन, मध्य प्रदेश (Ravan, Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश में एक गांव का नाम ही रावन है।
यह जगह राजधानी भोपाल से 90 किलोमीटर दूर है, यहां के लोग रावण को भगवान मानकर पूजते हैं।
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रावन गांव में विजयादशमी पर रावण दहन नहीं होता बल्कि उनकी मृत्यु का शोक मनाते हैं।
दशहरा के मौके पर इस गांव में रावण की भव्य पूजा-आरती की जाती है और फिर विशाल भंडारे का आयोजन होता है।
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इस गांव के लोग अपने आप को रावण बाबा का वंशज मानते हैं।
गांव के स्कूल, ग्राम पंचायत से लेकर लोगों अपनी गाड़ियों पर जय रावण बाबा लिखवाते हैं।
2 – मंदसौर, मध्य प्रदेश (Mandsaur, Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश की एक और जगह मंदसौर, ये रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान बताया जाता है।
यहां के निवासी रावण को अपना दामाद मानते हैं।
इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां दशहरा के दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है।
यहां रावण की एक 35 फीट ऊंची मूर्ति भी है।
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वहीं एमपी के गोंड जनजाति के लोग भी रावण को अपने पूर्वज के रूप में पूजते हैं।
उनके अनुसार, रावण एक वीर योद्धा और महान ज्ञानी था।
इसलिए वे रावण को सम्मानित करते हैं और उसकी हत्या का उत्सव नहीं मनाते।
3 – कांकेर, छत्तीसगढ़ (Kanker, Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रावण को ‘मामा’ कहा जाता है और यहां के आदिवासी समुदाय के लोग रावण का सम्मान करते हैं।
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वे उसे महाज्ञानी और बलशाली मानते हैं और उसके प्रति श्रद्धा रखते हैं, इसलिए यहां दशहरे पर पुतला दहन नहीं किया जाता।
4 – बस्तर, छत्तीसगढ़ (Bastar, Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भी रावण का पुतला जलाने की परंपरा नहीं है।
यहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है और इसे शक्ति के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
इस उत्सव में रावण दहन की बजाय देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है।
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बस्तर का दशहरा भारत के सबसे अनूठे दशहरा उत्सवों में से एक है।
वन क्षेत्रों के हजारों आदिवासी और स्थानीय लोग पिछले 600 वर्षों से इस त्योहार को मना रहे हैं।
कहा जाता है कि बस्तर के दण्डकारण्य में भगवान राम अपने चौदह वर्षों के वनवास के दौरान रहे थे।
5 – बिसरख, उत्तर प्रदेश (Bisrakh, Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव की एक अनोखी और दिलचस्प मान्यता है, जिसके अनुसार यहां रावण का जन्म हुआ था।
इस वजह से यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरा के दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
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रावण के पिता ऋषि विश्रवा और माता एक राक्षसी कैकेसी थी।
कहा जाता है कि ऋषि विश्रवा ने बिसरख में एक शिवलिंग की स्थापना की थी और इसी के सम्मान में इस स्थान का नाम “बिसरख” पड़ा।
यहां के निवासी रावण को एक महान विद्वान और महा ब्राह्मण मानते हैं, जो वेद और शास्त्रों के ज्ञाता थे।
6 – कांगड़ा, उत्तराखंड (Kangra, Uttarakhand)
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक विशेष मान्यता है कि लंकापति रावण ने इसी स्थान पर भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी और उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त किया था।
रावण को महादेव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है, इसलिए यहां के लोग रावण का काफी सम्मान करते हैं।
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इस धार्मिक आस्था के कारण कांगरा में दशहरा के मौके पर रावण दहन नहीं किया जाता है।
यह परंपरा स्थानीय मान्यताओं और संबंधों के आधार पर पीढ़ियों से चली आ रही है।
7 – मंडोर, राजस्थान (Mandore, Rajasthan)
राजस्थान का मंडोर, यहां के लोगों का मानना है कि यह स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता मय दानव की राजधानी थी और रावण ने यहीं पर मंदोदरी से विवाह किया था।
इस कारण मंडोर के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
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इसी सम्मान की भावना के चलते यहां विजयदशमी के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
इसके बजाय रावण के प्रति आदर व्यक्त करते हुए उसकी मृत्यु का शोक मनाया जाता है।
8 – गढ़चिरौली, महाराष्ट्र (Gadchiroli, Maharashtra)
महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में निवास करने वाली गोंड जनजाति खुद को रावण का वंशज मानती है।
वे रावण की पूजा करते हैं और उनके अनुसार सिर्फ तुलसीदास रचित रामायण में रावण को बुरा दिखाया गया है।
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इसी मान्यता के आधार पर इस क्षेत्र में दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता बल्कि उनकी पूजा की जाती है।
9 – मलवेल्ली, कर्नाटक (Malavalli, Karnataka)
कर्नाटक के मलवेल्ली में भी रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार रावण एक महान विद्वान और शिव भक्त था।
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यहां के लोग रावण को सम्मान और श्रद्धा के साथ देखते हैं और रावण के दहन को अनैतिक मानते हैं।
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