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अक्षय नवमी पर क्यों करते हैं आंवला वृक्ष के नीचे भोजन, माता लक्ष्मी ने शुरू की थी ये परंपरा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Akshay Navami Katha: कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस साल ये पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा।

इस दिन भगवान विष्णु, शंकर जी और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। साथ ही आंवले के वृक्ष की भी पूजा होती है और लोग उसके नीचे बैठकर खाना भी खाते हैं।

ये परंपरा सदियों से चली आ रही है लेकिन क्या आपको इसका असली कारण पता है।

आइए जानते हैं आंवला नवमी मनाने की प्राचीन कथा और इसका महत्व…

अक्षय तृतीया के समान शुभ दिन (Why we celebrate Akshay/Amla Navami)

अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। यह पवित्र दिन अक्षय तृतीया के समान ही महत्वपूर्ण है।

इस दिन लोग भगवान विष्णु की विशेष पूजा-पाठ करते हैं और आंवले के पेड़ की भी पूजा करते हैं।

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Akshay Navami / Amla Navami 2024

आंवला नवमी की कथा (Amla Navami ki katha)

कथाओं के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी को धरती पर भगवान विष्णु और भोलेनाथ की एक साथ पूजा करने की इच्छा हुई।

लेकिन दोनों की एक साथ पूजा कैसे करें ये उन्हें समझ न आया क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है तो शंकरजी को बेलपत्र पसंद है।

ऐसे में मां लक्ष्मी ने विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर अक्षय नवमी तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा की। क्योंकि आंवले में तुलसी और बेल दोनों के गुण होते हैं।

लक्ष्मी जी की पूजा से प्रसन्न होकर विष्णुजी और शिवजी एक साथ प्रकट हुए तब देवी लक्ष्मी ने दोनों को आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खिलाया और फिर स्वयं भी भोजन किया।

माना जाता है इसी दिन से अक्षय नवमी पर आंवला पूजन और आंवले के नीचे भोजन करने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक चल रही है।

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Akshay Navami / Amla Navami 2024

अक्षय नवमी का महत्व (Importance of Akshay Navami)

शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया पुण्य अक्षय होता है, यानी यह पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इसलिए इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए और पवित्र नदियों में स्नान भी करना चाहिए।

आंवला नवमी के उपाय (Remedies for Amla Navami)

इस दिन सबसे पहले आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। फिर पेड़ के नीचे खाना पका कर सबसे पहले भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए, इस भोग में आंवले का फल जरूर शामिल करें।

इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनको दान दें।

मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की धन-सम्पदा और सुख-शांति बढ़ती है।

इसके बाद खुद भोजन करें और आंवले का सेवन जरूर करें।

ब्रह्माजी के आंसू से उत्पन्न हुआ आंवला, पृथ्वी का सबसे पहला पेड़

ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार एक बार जब ब्रह्माजी अपनी बनाई हुई सृष्टि को देखकर बहुत प्रसन्न हुए तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।

आंसू की एक बूंद धरती पर गिरी और उससे आंवले के वृक्ष की उत्पति हुई।

आंवला वृक्ष को पृथ्वी का सबसे पहला पेड़ माना जाता है।

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Akshay Navami / Amla Navami 2024

आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने का महत्व (Importance of eating food under the Amla tree)

अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से सभी तरह के रोगों का नाश होता है।

आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिवजी का वास होता है तो भक्तों को उनकी कृपा भी प्राप्त होती है।

अक्षय-आंवला नवमी पर शुभ योग (Akshay Amla Navami Shubh Yog)

आंवला नवमी पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 11 नवंबर को देर रात 1.42 बजे तक है।

ऐसे में आप सूर्यास्त के बाद विधिपूर्वक आंवला पेड़ की पूजा कर सकते हैं।

अक्षय नवमी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है।

इसके अलावा नवमी तिथि तक दुर्लभ शिव वास योग का संयोग बन रहा है।

इन योग में आंवला पेड़ की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

अक्षय नवमी तिथि (Akshay Navami Date)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 9 नवंबर को रात 10.45 बजे से होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 10 नवंबर को रात 09.01 बजे होगा।

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा।

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अक्षय नवमी पूजा शुभ मुहूर्त (Akshay Navami Shubh Muhurat)

10 नवंबर को पूजा का मुहूर्थ सुबह 6.40 बजे से दोपहर 12.05 बजे तक रहेगा। इसके अलावा भी कई शुभ योग और मुहूर्त बन रहे हैं।

इनमें अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.48 बजे से दोपहर 12.32 बजे तक रहेगा।

तीसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 1.33 बजे से 2.55 बजे तक रहेगा।

अक्षय/आंवला नवमी पूजा विधि (Akshay/Amla Navami Puja Vidhi)

आंवला नवमी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प करे।

किसी भी शुभ मुहूर्त में आंवला वृक्ष की पूजा करें और जड़ पर जल चढ़ाए। इसके बाद आंवले के पेड़ पर हल्दी, कुमकुम और फल-फूल चढ़ाएं।

फिर आंवले के वृक्ष के चारों तरफ कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें और भगवान विष्णु, शंकर जी और देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करें।

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