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Anant Chaturdashi: क्यों करते हैं गणेश जी का विसर्जन? महाभारत काल से जुड़ी है ये कथा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ganpati Visarjan Katha: 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर देशभर में धूमधाम से गणपति विसर्जन किया जाएगा।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन गणेश भगवान को हम धूमधाम से घर लाते हैं और 10 दिनों तक जिनकी पूजा करते हैं।

फिर आखिर क्यों उन्हें पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। हम उन्हें घर पर ही क्यों नहीं रखते।

तो आइए जानते हैं गणपति विसर्जन की प्राचीन कथा…

गणेश जी ने 10 दिनों तक लिखी महाभारत

पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने श्रीगणेश से महाभारत की कथा 10 दिनों में लिखवाई थी।

लेकिन इसके लिए बप्पा ने महर्षि के सामने शर्त रखी थी कि ‘मैं जब लिखना शुरू करूंगा तो बीच में अपनी कलम को रोकूंगा नहीं,

अगर कलम रुक गई तो मैं लिखना बंद कर दूंगा’। वेदव्यास जी ने गणपति जी की ये शर्त मान ली और आंखें बंद करके कथा सुनाना प्रारंभ किया।

इसके बाद गणपति जी बिना रुके 10 दिनों तक लगातार महाभारत की कथा लिखते रहे।

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बढ़ गया गणपति जी के शरीर का तापमान

10 दिनों बाद जब महाभारत कथा पूर्ण हुई तो वेदव्यास जी ने आंखें खोली तो देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है।

दरअसल, लगातार 10 दिनों तक बिना रूके कथा लिखते रहने केी वजह से गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़ गया था।

इसके बाद व्यास जी ने फौरन गणेश जी को पास में मौजूद नदी में ले जाकर डुबकी लगवाई, जिसके उनके शरीर का तापमान कम हुआ।

इसी दिन से गणपति विसर्जन की प्रथा शुरू हुई जो आज तक चली आ रही है।

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।

इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है।

  • विसर्जन के लिए सुबह 09:10 से दोपहर 01:46 तक का मुहुर्त शुभ है।
  • दोपहर में 03:18 से शाम 04:50 बजे तक का मुहूर्त भी शुभ है।
  • रात में 07:51 बजे से रात 09:19 बजे तक का मुहूर्त शुभ है।

आप इन मुहूर्त के अनुसार गणेश विसर्जन कर सकते हैं।

गणपति स्थापना की तरह गणपति विसर्जन के भी कुछ नियम है जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।

इनका पालन करने से विसर्जन विधि के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

गणेश विसर्जन के दौरान ध्यान रखें ये बातें

  • गणेश विसर्जन के दिन पूरे परिवार के साथ गणपति बप्पा की पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन गणेश जी को मोदक के भोग के साथ-साथ 56 भोग भी अर्पित करना चाहिए।
  • अगर आप विसर्जन करने जा रहें हैं, तो भूलकर भी काले या नीले रंग के कपड़े न पहनें। इसे अशुभ माना जाता है।
  • विसर्जन से पहले गणेश जी की कृपा पाने के लिए दुर्वा की 21 गांठे चढ़ानी चाहिए।
  • विसर्जन के दिन गणेश जी की मूर्ति घर से ले जाने से पहले उसे पूरे घर में घुमाए।
  • जब भी आप गणपति जी को घर से विदा करें तो उनका मुख घर की तरफ रखें और पीठ बाहर की तरफ।
  • गणपति जी को विसर्जित करने से पहले एक बार फिर से कपूर से आरती करनी चाहिए।
  • गणेश चतुर्थी की पूजा में उपयोग हुई सामग्रियों को भी जल में विसर्जित कर देना चाहिए।
  • गणेश जी की मूर्ति को पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें। इसे एकदम से पानी में नहीं छोड़ना चाहिए।
  • विसर्जन के दौरान श्री गणेश के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।

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