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गणपति विसर्जन कथा: गणेश जी को क्यों डुबोया जाता है पानी में? महाभारत से है ये संबंध

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Anant Chaturdashi: हर साल भाद्रपद माह की अनंत चतुर्दशी को देशभर में भगवान गणेश का विसर्जन धूम-धाम से किया जाता है।

लाखों श्रद्धालु उन्हें विदाई देते हुए ‘गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या’ का नारा लगाते हैं।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी श्रद्धा और प्यार से घर लाए गणेश जी को अंत में पानी में क्यों विसर्जित किया जाता है?

इसका जवाब हमें महाभारत काल की एक रोचक कथा में मिलता है।

महाभारत लिखने की शर्त 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना करनी थी।

इसके लिए उन्हें एक ऐसे लेखक की जरूरत थी जो उनकी गति के साथ बिना रुके लिख सके।

उन्होंने इस काम के लिए भगवान गणेश को चुना।

गणेश जी ने यह प्रस्ताव तो स्वीकार कर लिया, लेकिन एक शर्त रखी।

उन्होंने कहा कि “हे ऋषिवर, मैं लिखना तो शुरू कर दूंगा, लेकिन एक बार लिखना शुरू करने के बाद मैं बीच में नहीं रुकूंगा। आपको भी लगातार बोलना होगा, यदि मेरी लेखनी रुकी तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।”

महर्षि वेदव्यास ने इस शर्त को मान लिया और उन्होंने भी एक चालाक शर्त रखी।

उन्होंने कहा कि “हे गणेश, आप प्रत्येक श्लोक को लिखने से पहले उसके अर्थ को समझकर ही लिखेंगे।”

बढ़ गया गणेश जी के शरीर का तापमान

गणेश जी इसके लिए तैयार हो गए। इस तरह महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की कथा सुनानी शुरू की और गणेश जी बिना रुके लगातार लिखते रहे।

इस काम में पूरे दस दिन का समय लगा।

लगातार लिखते रहने और कथा की गहनता के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ गया।

जब कथा पूरी हुई और महर्षि की आंखें खुलीं, तो उन्होंने देखा कि गणेश जी का शरीर अत्यधिक गर्म हो रहा है।

जल से शांत हुई गणेश जी की जलन

तब महर्षि व्यास ने तुरंत गणेश जी को पास की एक नदी में ले जाकर ठंडे पानी में स्नान कराया, जिससे उनके शरीर का तापमान सामान्य हो सका।

मान्यता है कि इसी घटना से गणेश विसर्जन की परंपरा की शुरुआत हुई।

दस दिनों तक गणेश जी को घर में रखकर पूजा करना और फिर उन्हें जल में विसर्जित करना इसी घटना का प्रतीक है।

अनंत चतुर्दशी 2025 का शुभ मुहूर्त और विसर्जन के नियम

इस साल 2025 में, अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर, शनिवार को है। विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • सुबह का मुहूर्त: सुबह 07:36 बजे से 09:10 बजे तक
  • दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 12:19 बजे से शाम 05:02 बजे तक
  • शाम का मुहूर्त: शाम 06:37 बजे से रात 08:02 बजे तक
  • रात्रि का मुहूर्त: रात 09:28 बजे से अगले दिन (7 सितंबर) 01:45 बजे तक

विसर्जन करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें:

  • विसर्जन के दिन पूरे परिवार के साथ गणेश जी की पूजा करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं।
  • विसर्जन के लिए काले या नीले रंग के कपड़े न पहनें, इन्हें अशुभ माना जाता है।
  • घर से विदा करते समय गणेश जी का मुख घर की तरफ रखें।
  • मूर्ति को पानी में बहुत धीरे से विसर्जित करें, जोर से न फेंके।
  • विसर्जन के दौरान ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘गणपति बप्पा मोरया’ जैसे मंत्रों का जाप करते रहें।
  • पूजा में इस्तेमाल हुई सामग्री को भी जल में प्रवाहित कर दें।

इस तरह, गणेश विसर्जन सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि एक गहन पौराणिक घटना की याद दिलाता है, जो भगवान गणेश के त्याग और समर्पण का प्रतीक है।

यह हमें प्रतीकात्मक रूप से बताता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है और बप्पा अगले साल फिर से नई सकारात्मक ऊर्जा के साथ हमारे घर लौटेंगे।

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