Bank online Fraud: देश भर के बैंकों ने ग्राहकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी (फ्रॉड) से बचाने और फर्जी खातों पर लगाम लगाने के लिए एक अहम फैसला किया है।
अब नए बैंक खाते खोलने की पुष्टि (वेरिफिकेशन) का नियम बदल दिया गया है।
पहले जहां ऑनलाइन आवेदन करने वालों की पुष्टि भी अक्सर डिजिटल तरीके से हो जाती थी, वहीं अब ज्यादातर मामलों में शारीरिक पुष्टि (फिजिकल वेरिफिकेशन) अनिवार्य कर दी गई है।
इसका मतलब है कि ग्राहकों को या तो स्वयं बैंक शाखा में जाकर दस्तावेज दिखाने होंगे या फिर बैंक अधिकारी ग्राहक के घर या कार्यस्थल पर जाकर पुष्टि करेंगे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इस बड़े बदलाव के पीछे मुख्य वजह पिछले कुछ समय में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों से खाते खोलने के बढ़ते मामले हैं।
साल 2024 में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख बैंकों में भी ऐसे कई मामले सामने आए थे, जहां धोखेबाजों ने किसी और की पहचान की चोरी करके या नकली दस्तावेज बनाकर खाते खोले और उनका गलत इस्तेमाल किया।
इन घटनाओं से न केवल ग्राहकों का पैसा असुरक्षित हुआ, बल्कि बैंकों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए।
ऐसे में, बैंकों ने डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया में थोड़ी सख्ती लाते हुए यह कदम उठाया है ताकि ‘अपने ग्राहक को जानें’ (KYC) के नियमों का पालन पक्के तौर पर सुनिश्चित किया जा सके।
क्या हैं नए नियम
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फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य: अब ऑनलाइन आवेदन करने वाले अधिकांश ग्राहकों के लिए भी वेरिफिकेशन जरूरी होगा। बैंक या तो ग्राहक को अपनी नजदीकी शाखा में बुलाएंगे या फिर बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर/अधिकारी ग्राहक के पते पर जाकर दस्तावेजों की मूल प्रति देखकर पुष्टि करेगा।
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ऑनलाइन सुविधा पर असर: इस कदम से डिजिटल बैंकिंग की पूरी तरह से बिना शाखा में गए खाता खोलने की सुविधा प्रभावित हुई है। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी ‘इंस्टा-अकाउंट’ ऑनलाइन खोलने की सेवा को सामान्य ग्राहकों के लिए रोक दिया है। अब केवल कॉर्पोरेट सैलरी अकाउंट ही बिना शारीरिक पुष्टि के खोले जा सकते हैं।
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ब्रांच की जिम्मेदारी बढ़ी: बैंक शाखाओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्राधिकार (दायरे) में रहकर ही नए खाते खोलें। अगर कोई ग्राहक दूसरे इलाके का है, तो उसकी प्रक्रिया संबंधित इलाके की ब्रांच के माध्यम से ही पूरी की जाएगी।
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सभी प्रकार के खाते शामिल: पहले जहां बचत खाते (सेविंग अकाउंट) आसानी से खोले जा सकते थे, वहीं अब उनमें भी यह सख्त पुष्टि प्रक्रिया लागू होगी। धोखाधड़ी के जोखिम को देखते हुए बैंक अब सतर्कता बरत रहे हैं।
ग्राहकों के लिए क्या है मतलब?
आम ग्राहकों के लिए, इस नए नियम का सीधा मतलब है कि नया बैंक खाता खुलवाने की प्रक्रिया में अब थोड़ा अधिक समय लग सकता है और उन्हें शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ सकता है।
हालांकि, यह कदम लंबे समय में उनके ही फायदे के लिए है।
इससे उनकी पहचान चोरी होने और उनके नाम पर फर्जी खाता खुलने का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।
बैंकिंग प्रणाली अधिक सुरक्षित होगी और ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहेगा।
निष्कर्ष के तौर पर, बैंकों का यह फैसला डिजिटल सुविधा और सुरक्षा के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश है।
बढ़ती डिजिटल धोखाधड़ी के इस दौर में, ग्राहक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह कदम एक जरूरी सुधार माना जा रहा है।


