Bhai Dooj 2024: हिंदू धर्म में हर रिश्ते को व्रत और त्यौहारों के साथ जोड़ा गया है। जैसे मां और बच्चे, पति-पत्नी, माता-पिता आदि।
ऐसा ही एक रिश्ता है भाई-बहन का जिसके लिए हिंदू धर्म में एक नहीं बल्कि 3-3 पर्व बनाए गए हैं।
ये पर्व है रक्षा बंधन और भाई दूज का। एक भाई दूज होली में मनाई जाती है तो दूसरी भाई दूज दिवाली पर।
आज हम बात करेंगे दिवाली के बाद मनाई जाने वाली भाई दूज की, जानेंगे इसकी प्राचीन कथा और इसका महत्व
भाई दूज को देशभर में भाई फोटा, भाऊ बीज, भाई बिज, भाऊ बीज, भ्रातृ द्वितीय, यम द्वितीया, भतृ दित्य, भाई तिहार और भाई टिक्का के नाम से भी जाना जाता है।
हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनके सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
वहीं भाई अपनी बहनों के पैरों को छूकर आशीर्वाद लेते हैं और बहन को उपहार देते हैं।
मान्यता है कि जो भी भाई इस दिन अपनी शादीशुदा बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
क्यों कहते हैं यम द्वितिया
भाई दूज को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यमराज के वर के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन यमुना नदी में स्नान करके यम पूजन करता है उसे मृत्यु के पश्चात यमलोक में नहीं जाना पड़ता।
भाई दूज पूजा विधि
भाई दूज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर घर के मंदिर में घी का दीपक जलाकर पूजा करें।
इस दिन यमराज और यमुना के साथ भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है।
इस दिन पिसे चावल से चौक बनाने की परंपरा भी है। इसके बाद बहनें, भाई को तिलक लगाएं और फिर आरती उतारें।
आरती के बाद हाथ में कलावा बांधें और मिठाई खिलाएं। इसके बाद बहनें, भाई के हाथ में नारियल दें और फिर भाई को भोजन करवाएं।
भोजन के बाद भाई, बहनों को उपहार दें और चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
भाई दूज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य की दो संतानें थी- एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना।
यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम और स्नेह था। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को यमुना ने अपने भाई यमराज को निमंत्रण भेजा।
यमुना के निमंत्रण पर यमराज यमुना के घर आ गए। यमुना ने स्नान और पूजन के बाद यमराज की पूजा की और वस्त्र-उपहार दिए। इस सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और बहन यमुना को वरदान मांगने को कहा।
यमुना ने कहा कि आप हर साल इस दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसे आपका भय ना रहे।
यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान कर गए।
उसी दिन से इस दिन भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।
मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाई-बहन को यमराज और यमुना का पूजन अवश्य करना चाहिए।
श्रीकृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार नरकासुर का वध करके श्री कृ्ष्ण भाई दूज के दिन ही द्वारिका लौटे थे तब श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया था।
सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी।
माना जाता है तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक चली आ रही है।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Tilak Shubh Muhurat)
भाई दूज का त्यौहार इस साल 3 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.19 बजे से दोपहर 3.22 बजे तक रहेगा। मतलब भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए कुल 2 घंटे 12 मिनट तक का समय मिलेगा।