Ratapani Tiger Reserve: 2 दिसंबर की रात मध्य प्रदेश को एक अच्छी खबर मिली। दरअसल, भोपाल से लगे रातापानी अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है।
इसी के साथ मध्य प्रदेश को 9वां टाइगर रिजर्व मिल गया है।
इससे पहले रविवार को केंद्र सरकार ने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रदेश का 8वां टाइगर रिजर्व घोषित किया था।
राज्य सरकार ने 2 दिसंबर सोमवार को रातापानी को लेकर ये अधिसूचना की है।
लेकिन इसके लिए रातापानी को करीब 16 साल इंतजार करना पड़ा है, आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ…
16 साल से अटकी थी फाइल, सीएम मोहन ने 9 महीने में पूरी करवाई प्रकिया
टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने की अधिसूचना के पहले तक रातापानी वन्यजीव अभयारण्य था।
केंद्र के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने (एनटीसीए) 2008 में रिजर्व बनाने की सहमति दे दी थी लेकिन इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका।
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नई सरकार के गठन के बाद मार्च 2024 में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की पहली बैठक हुई।
तभी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को साफ शब्दों में कहा था कि जितनी जल्दी हो प्रक्रिया पूरी कर रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित करें।
90 बाघ, 70 तेंदुए, इतना बड़ा है फॉरेस्ट एरिया
इस टाइगर रिजर्व में 3 हजार से ज्यादा जानवर हैं। इसमें 90 बाघ, 70 तेंदुए, 500 से ज्यादा सांभर, 600 से ज्यादा चीतल, 8 भेड़िये हैं।
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इसका कोर एरिया भोपाल, रायसेन और सीहोर में होगा।
रातापानी टाइगर रिजर्व का फॉरेस्ट एरिया 1271.465 स्क्वेयर किमी है, इसमें से 763.812 स्क्वेयर किमी कोर और 507.653 स्क्वेयर किमी बफर एरिया होगा।
9 नए गांव बफर क्षेत्र में शामिल
इस सीमा में पाए जाने वाले 75 से अधिक बाघ समेत हर तरह के हजारों वन्यप्राणियों की सुरक्षा बढ़ जाएगी।
टाइगर रिजर्व सीमा के अंदर दांतखो, झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढ़ाबा, पांझिर, कैरी चौका, साजौली एवं जैतपुर नामक 9 गांव होंगे।
खास बात ये है कि बफर जोन में आने के बाद भी इन गांववालों के अधिकारों में सरकार कोई बदलाव नहीं करेगी और इन पर कड़े प्रतिबंध लागू नहीं होंगे।
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर इन गांवों को प्रस्तावित रिजर्व के कोर क्षेत्र से हटाकर बफर में शामिल किया है, ताकि इनके जीवन पर रिजर्व के कड़े प्रतिबंधों का असर न पड़े।
रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से होंगे ये फायदे
रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने से कई फायदे होंगे, जैसे…
- इससे पर्यटन के अवसर बढ़ेंगे और लोगों को रोजगार मिलेगा।
- केंद्र सरकार से टाइगर रिजर्व के लिए अलग से बजट मिलेगा जिससे एनिमल मैनेजमेंट और बेहतर होगा।
- इसके अलावा यहां ईको सिस्टम डेवलप होगा, जिसका फायदा गांववालों को भी मिलेगा।
- रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को एक नई पहचान मिलेगी।
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MP में 785, भारत में 3682 बाघ
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। वर्ष 2022 की गणना के मुताबिक यहां 785 बाघ हैं।
वर्ष 2018 में यह संख्या 526 थी।
2022 की गणना के मुताबिक, भारत में अब 3682 टाइगर हैं। 2018 में यह आंकड़ा 2967 था।
बाघ सालाना 6% की दर से बढ़े हैं। भारत में हर चार साल में बाघ की गणना की जाती है।
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सीएम यादव ने कही ये बात
इस टाइगर रिजर्व के बनने के बाद सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और कुशल मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश ने पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है।
मध्य प्रदेश में अब 9 टाइगर रिजर्व
- कान्हा टाइगर रिजर्व (मंडला)
- पेंच टाइगर रिजर्व (छिंदवाड़ा और सिवनी)
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया जिला
- पन्ना टाइगर रिजर्व (पन्ना)
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (नर्मदापुरम)
- संजय दुबरी टाइगर रिजर्व (सीधी)
- रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (सागर, दमोह, और नरसिंहपुर)
- माधव नेशनल पार्क (शिवपुरी)
- रातापानी टाइगर रिजर्व (भोपाल)
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