HomeTrending NewsDiwali And Lakshmi Story: मां लक्ष्मी की उत्पत्ति और श्रीराम की वापसी,...

Diwali And Lakshmi Story: मां लक्ष्मी की उत्पत्ति और श्रीराम की वापसी, जानें क्यों मनाई जाती हैं दिवाली?

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Diwali And Maa Lakshmi Story: हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली को माना जाता है। लोग साल भर इस त्यौहार का का इंतजार करते हैं और महीनों पहले से इस पर्व की तैयारी शुरू कर देते हैं।

इस दिन खासतौर पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है लेकिन क्या आपको इसका कारण पता है और दिवाली मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई?

आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब…

मां लक्ष्मी की उत्पत्ति और दिवाली

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं और राक्षसों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया था। इस प्रक्रिया में समुद्र से 14 रत्न निकले थे जिनमें से एक माता लक्ष्मी थीं।

कहते हैं जिस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र से बाहर आई थीं वो दिन कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली का ही दिन था। इसलिए हर साल इस दिन को माता लक्ष्मी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

Maa Lakshmi, Diwali 2024, Maa Lakshmi birth story, why do we celebrate Diwali, Diwali story
Diwali And Maa Lakshmi Story

देवी लक्ष्मी ने विष्णु जी को चुना पति

देवी लक्ष्मी का स्वरुप इतना सुंदर था कि सभी देवता और राक्षस उनकी तरफ आर्कषित हो गए। ऐसे में लक्ष्मी ने स्वयं की सुरक्षा के लिए खुद को पालनहार भगवान विष्णु को सौंप दिया।

उसी समय से लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में विराजमान हैं।

समुद्र मंथन के दौरान निकलने की वजह से माता लक्ष्मी को दूध के समुद्र की पुत्री क्षीरब्धितान्या भी कहा जाता है। क्योंकि माता लक्ष्मी का स्थान भगवान विष्णु के ह्रदय में है इसलिए उन्हें श्रीनिवास नाम से भी जाना जाता है।

Maa Lakshmi, Diwali 2024, Maa Lakshmi birth story, why do we celebrate Diwali, Diwali story
Diwali And Maa Lakshmi Story

मां लक्ष्मी का स्वरूप

लक्ष्मी जी को अक्सर कमल के फूल पर बैठी या खड़ी एक सुंदर स्त्री के रूप में चित्रित किया जाता है, जो पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक हैं।

उनके एक हाथ में कमल का फूल और दूसरे हाथ में सोने का सामान लिए दिखाया जाता है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है।

हिंदू धर्म में, लक्ष्मी को धन और सौभाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें अपने भक्तों के लिए समृद्धि, सफलता और खुशी लाने वाली देवी माना जाता है।

Maa Lakshmi, Diwali 2024, Maa Lakshmi birth story, why do we celebrate Diwali, Diwali story
Diwali And Maa Lakshmi Story

धन, सौभाग्य और सुंदरता की देवी

माता लक्ष्मी को धन, सौभाग्य, यौवन और सुंदरता की देवी माना जाता हैं। वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, इसी वजह से उनकी जोड़ी को लक्ष्मी-नारायण के रूप में पूजा जाता है।

गृहस्थ भी हर तरह की सुख-समृद्धि पाने के लिए दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

Maa Lakshmi, Diwali 2024, Maa Lakshmi birth story, why do we celebrate Diwali, Diwali story
Diwali And Maa Lakshmi Story

दिवाली पर अयोध्या लौटे थे श्रीराम

दिवाली के दिन ही भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे।

उनके आने की खुशी में पूरी अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया गया था और नगरवासियों ने सारे शहर में दीपक जलाए थे।

माना जाता है तभी से हर साल इस दिन दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई जो आज तक चली आ रही हैं।

2024 में कब है दीवाली? (Diwali 2024 Date and Time)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 03.52 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 01 नवंबर को शाम को 06.16 मिनट पर होगा। इसके बाद 06 बजकर 16 मिनट के बाद कार्तिक माह की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी।

ऐसे में 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा का शुभ संयोग दोपहर बाद से रात्रि तक का है।

Maa Lakshmi, Diwali 2024, Maa Lakshmi birth story, why do we celebrate Diwali, Diwali story
Diwali And Maa Lakshmi Story

लक्ष्मी पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 49 मिनट से लेकर से 05 बजकर 41 मिनट तक।

विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से लेकर 02 बजकर 39 मिनट तक।

प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 11 मिनट तक।

लक्ष्मी पूजा का समय- शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 20 मिनट तक।

- Advertisement -spot_img