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36 घंटे के निर्जल व्रत के बाद कैसे तोड़े छठ का व्रत, पारण में क्या खाएं और क्या नहीं??

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Chhath Puja Vrat Paran: छठ पूजा का महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की अटूट आस्था और श्रद्धा का पर्व है।

साल 2025 में यह पर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) के साथ समाप्त होगा।

इस पर्व की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण साधना 36 घंटे के निर्जला व्रत की होती है, जिसका समापन “पारण” के साथ होता है। पारण यानी व्रत को विधिवत तरीके से खोलना।

आइए जानते हैं कि छठ पूजा पर व्रत का पारण कैसे करना चाहिए और इस दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन: पारण का महत्व

छठ पूजा का मुख्य व्रत “खरना” के बाद शुरू होता है।

व्रती लगातार 36 घंटे तक बिना पानी के व्रत रखते हैं।

यह व्रत तीसरे दिन डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को उषा अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है।

इतने लंबे निर्जला व्रत के बाद शरीर को दोबारा भोजन और पानी से जोड़ना एक प्रक्रिया है, इसीलिए पारण के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

ऐसा मान्यता है कि सही तरीके से किया गया पारण व्रत के पुण्य फल को पूर्ण करता है और शरीर को स्वस्थ रूप से सामान्य अवस्था में लौटाता है।

उषा अर्घ्य के बाद पारण की विधि

28 अक्टूबर, 2025 की सुबह उषा अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ने की पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है:

1. घाट से घर वापसी और प्रसाद ग्रहण करना:

उषा अर्घ्य देने के बाद जब व्रती घाट से अपने घर वापस आते हैं, तो सबसे पहले वे छठी मैया का भोग लगा हुआ प्रसाद ग्रहण करते हैं।

इसकी शुरुआत आमतौर पर अदरक और नींबू के एक छोटे से टुकड़े से की जाती है।

यह पहली चीज है जो व्रती के पेट में जाती है। मान्यता है कि यह पाचन तंत्र को तैयार करने में मदद करता है।

2. मीठे प्रसाद का सेवन:

इसके बाद, व्रती छठ के विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, केला, नारियल, मेवे और गन्ना आदि खाते हैं।

यह सभी चीजें सात्विक और हल्की होती हैं, जो लंबे व्रत के बाद शरीर को ऊर्जा देती हैं।

3. हल्के तरल पदार्थों का सेवन:

व्रत खोलने की शुरुआत में पानी, नारियल पानी या गुड़ का घोल पीना बहुत हितकारी माना जाता है।

इससे शरीर में डिहाइड्रेशन की कमी धीरे-धीरे पूरी होती है और पाचन तंत्र पर एकदम से भार नहीं पड़ता।

4. सात्विक और हल्का भोजन:

प्रसाद ग्रहण करने के कुछ देर बाद ही व्रती हल्का और सात्विक भोजन कर सकते हैं।

इसमें बिना प्याज-लहसुन का शाकाहारी भोजन, दाल-चावल, या सब्जी शामिल हो सकती है।

तली-भुनी या भारी चीजों से तुरंत बचना चाहिए।

पारण में क्या खाएं और क्या न खाएं? जानें जरूरी नियम

व्रत खोलते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ताकि सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े।

क्या खाएं (What to Eat for Parana):

  • तरल पदार्थ: नारियल पानी, सादा पानी, गुड़ का पानी।
  • मीठा फल: केला, सेब, नारियल।
  • छठ प्रसाद: ठेकुआ, मेवे, चावल के लड्डू।
  • हल्का भोजन: सादी दाल, चावल, उबली हुई सब्जियां।

क्या न खाएं (What to Avoid for Parana):

  • तुरंत भारी, तेल-मसाले वाला भोजन न करें।
  • मांसाहार, अंडा, प्याज, लहसुन का सेवन वर्जित है।
  • चाय या कॉफी जैसे कैफीन युक्त पेय से बचें।
  • ठंडे पेय या कोल्ड ड्रिंक्स बिल्कुल न पिएं।

पारण के बाद का समय: आशीर्वाद और प्रसाद वितरण

व्रत का पारण करने के बाद, व्रती परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं।

इसके पश्चात, छठी मैया का प्रसाद पड़ोस और रिश्तेदारों में बांटा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र प्रसाद को ग्रहण करने से व्यक्ति को आरोग्य, सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

इस तरह से छठ महापर्व की समाप्ति होती है, जो श्रद्धा, समर्पण और संयम का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

यह लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है। व्रत एवं पारण से जुड़े किसी भी विशेष नियम के लिए अपने पारिवारिक रीति-रिवाजों और किसी विद्वान पंडित की सलाह को प्राथमिकता दें।

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