How to Deal With Cold Wave: आने वाले कुछ दिनों में पूरे भारत में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलेगा।
इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक हेल्थ गाइडलाइन भी जारी की गई है।
ऐसे में अगर आप भी इस दौरान कुछ खास सावधानियां बरत लें और ये गलतियां न करें तो शीतलहर से बच सकते हैं।
आइए जानते हैं इनके बारे में…
क्या है शीतलहर?
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ये शीतलहर है क्या।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या इससे कम होता है तो उसे शीतलहर कहते हैं।
इसके अलावा अगर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो और अचानक उसमें -4.5 से -6.4 डिग्री की गिरावट दर्ज की जाए तो इसे भी शीतलहर माना जाता है।
आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के महीने में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलता है।
बरते यें सावधानियां
- शीतलहर से बचने के लिए मौसम के पूर्वानुमानों का पालन करें।
- ठंड में लंबे समय तक बाहर न रहें। इस दौरान अनावश्यक यात्रा करने से बचें और घर के अंदर ही रहें।
- ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनकर सिर, गर्दन, हाथ और पैरों को ढककर रखें।
- विटामिन सी युक्त फल और सब्जियां खाएं।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए गर्म तरल पदार्थों जैसे सूप आदि का सेवन करें।
- नाक बहना, नाक बंद होना, फ्लू और नाक से खून आने जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
शीतलहर लगने के लक्षण
- हाथ-पैर की उंगलियां, कानों की लोब और नाक सुन्न हो जाती है।
- शरीर का ठंडा पड़ना।
- कांपना और दांत किटकिटाना।
- हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना।
- जी-मिचलाना या उल्टी होना।
किन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है शीतलहर?
- बच्चों को शीतलहर का खतरा ज्यादा रहता है। इससे वह सर्दी-खांसी, निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।
- किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों व बेघर लोगों को भी शीतलहर का खतरा ज्यादा रहता है।
- अधिक ठंडी जगह पर लंबे समय तक रहने से शीतलहर से होने वाली समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
- इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से बुजुर्गों को शीतलहर लगने का ज्यादा खतरा होता है।
शीतलहर की चपेट में आने पर क्या करें?
अगर कोई व्यक्ति गलती से शीतलहर की चपेट में आ जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान लापरवाही न दिखाएं वरना इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।