Mahakal Ujjain Diwali Celebration: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में मौसम बदलने के साथ ही भगवान महाकाल की दिनचर्या में भी बदलाव हो गया है।
8 अक्टूबर, बुधवार (कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा) से बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान (अभिषेक) कराया जाएगा।
साथ ही, सर्दियों के मौसम में दिन छोटे होने के कारण तीन प्रमुख आरतियों के समय में भी बदलाव किया गया है।
यह व्यवस्था फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक, यानी अगले लगभग चार महीनों तक, जारी रहेगी।
साल में दो बार बदलता है रूटीन
मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि साल में दो बार- ग्रीष्म ऋतु और शरद ऋतु की शुरुआत में- बाबा महाकाल की दिनचर्या को मौसम के अनुसार बदला जाता है।
अब तक गर्मियों की दिनचर्या के चलते भगवान का ठंडे जल से अभिषेक हो रहा था, लेकिन अब सर्दी शुरू होने पर परंपरानुसार उन्हें गर्म जल से स्नान कराया जाएगा।
इसके अलावा, भोग में भी बदलाव किया गया है और अब हलवा सहित अन्य पकवान भी गर्म परोसे जाएंगे।
किन आरतियों के समय में हुआ बदलाव?
सर्दियों के मौसम में सूर्यास्त जल्दी होने के कारण शाम की आरती का समय आधे घंटे पहले कर दिया गया है।
8 अक्टूबर से लागू हुए नए समय इस प्रकार हैं:
- बाल भोग आरती : यह आरती अब सुबह 7:30 बजे से 8:15 बजे तक होगी।
- भोग आरती: इसका समय बदलकर सुबह 10:30 बजे से 11:15 बजे तक कर दिया गया है।
- संध्या आरती: संध्या आरती अब शाम 6:30 बजे से 7:15 बजे तक होगी, जो पहले की तुलना में आधे घंटे पहले है।
किन आरतियों के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ?
कुछ आरतियाँ और अनुष्ठान अपने निर्धारित समय पर ही रहेंगे। इनमें शामिल हैं:
- भस्म आरती: यह प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक होती रहेगी। हालांकि, अब इसमें भी बाबा का गर्म जल से अभिषेक किया जाएगा।
- सायंकालीन पूजन: शाम 5:00 बजे से 5:45 बजे तक का यह पूजन अपने सामान्य समय पर ही होगा।
- शयन आरती: रात्रि 10:30 बजे से 11:00 बजे तक की जाने वाली शयन आरती का समय भी वही रहेगा।
यह परिवर्तन इसलिए किए गए हैं ताकि भक्तगण बदलते मौसम के अनुसार, सुविधापूर्वक बाबा महाकाल के दर्शन और आरती में शामिल हो सकें।
उज्जैन में सबसे पहले मनेगी दिवाली, धनतेरस से शुरू होंगे विशेष अनुष्ठान
खास बात यह है कि इस बार श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में सबसे पहले दीपावली के उत्सवों की शुरुआत होगी।
बाबा महाकाल के दरबार में धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक, हर दिन विशेष अनुष्ठान और पूजा-अर्चना का दौर चलेगा।
दिवाली पर्व से जुड़े मुख्य कार्यक्रमों की तिथियां इस प्रकार हैं:
- धनतेरस (18 अक्टूबर 2025, शनिवार): इस दिन मंदिर परिसर में स्थित चिकित्सालय में यह पूजा आयोजित की जाएगी। साथ ही, मंदिर के पुरोहित भगवान महाकालेश्वर का विधिवत अभिषेक और पूजन करेंगे।
- रूप चौदस / अन्नकूट (20 अक्टूबर 2025, सोमवार): इस दिन को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन होने वाले विशेष अनुष्ठान हैं:
- अभ्यंग स्नान: इसी दिन से बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा की औपचारिक शुरुआत होगी, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक जारी रहेगी।
- विशाल अन्नकूट: सुबह 7:30 बजे होने वाली बाल भोग आरती में मंदिर प्रबंध समिति की ओर से भगवान महाकालेश्वर को विशाल अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। इसमें कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन शामिल होंगे, जिन्हें बाबा को भोग लगाने के बाद भक्तों में प्रसाद के रूप में बाँटा जाएगा।
इन सभी अनुष्ठानों से उज्जैन नगरी एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में सराबोर हो जाएगी और श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा।
दिवाली के इन शुभ अवसरों पर मंदिर में एक अलग ही उत्साह और भक्ति का वातावरण रहेगा।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्तों के लिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि वे निर्धारित समय पर दर्शन-पूजन का लाभ उठा सकें।