Homeलाइफस्टाइलकिसका अवतार हैं भोजन की देवी मां अन्नपूर्णा? जानिए पौराणिक कथा

किसका अवतार हैं भोजन की देवी मां अन्नपूर्णा? जानिए पौराणिक कथा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Annapurna Jayanti 2025: 4 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाने वाली अन्नपूर्णा जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है।

इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा-आराधना करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

आइए जानते हैं देवी अन्नपूर्णा के जन्म की पौराणिक कथा और इस पर्व की खास बातें।

कौन हैं देवी अन्नपूर्णा?

माता अन्नपूर्णा को भोजन एवं अन्न की देवी माना जाता है।

उनके नाम का अर्थ है – ‘अन्न’ यानी अनाज और ‘पूर्णा’ यानी पूर्ण करने वाली।

मान्यता है कि उनकी कृपा से जीवन में कभी भी खाद्य संकट नहीं आता।

वे समृद्धि, दान और मातृशक्ति का प्रतीक हैं।

देवी अन्नपूर्णा को जीवनदायिनी शक्ति का अवतार भी माना जाता है, क्योंकि अनाज के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है।

मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के बीच संसार की प्रकृति को लेकर चर्चा हो रही थी।

भगवान शिव ने कहा कि यह सारा संसार माया है, इसमें अन्न भी माया है और शरीर भी नश्वर है।

यह सुनकर माता पार्वती ने कहा कि यदि अन्न माया है तो फिर सभी प्राणी इसके लिए इतना संघर्ष क्यों करते हैं?

इस पर शिवजी ने फिर से अपनी बात दोहराई।

इससे माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने तुरंत पूरे संसार से अन्न को गायब कर दिया।

इससे पृथ्वी पर भयानक अकाल पड़ गया। सभी प्राणी, देवता और ऋषि-मुनि भूख से व्याकुल होने लगे।

तब माता पार्वती ने यह समझा कि अन्न का वास्तविक महत्व क्या है।

काशी में लिया जन्म

उन्होंने काशी (वाराणसी) में देवी अन्नपूर्णा के रूप में अवतार लिया, जिनके एक हाथ में अक्षय पात्र (जो कभी खाली नहीं होता) था।

भूख से पीड़ित भगवान शिव भी भिक्षा मांगने के लिए देवी अन्नपूर्णा के पास पहुंचे।

तब शिवजी ने स्वीकार किया कि अन्न माया नहीं, बल्कि जीवन का आधार है।

माता अन्नपूर्णा ने प्रसन्न होकर स्वयं अपने हाथों से भगवान शिव सहित सभी को भोजन दान किया।

तभी से देवी अन्नपूर्णा की पूजा शुरू हुई और उन्हें ‘अन्नदाता’ या ‘भोजन की देवी’ कहा जाने लगा।

अन्नपूर्णा जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व पड़ता है।

पूर्णिमा तिथि 3 दिसंबर की रात 11:42 बजे से शुरू होकर 4 दिसंबर की रात 09:10 बजे तक रहेगी।

पूजा का शुभ समय सुबह 06:30 से 10:30 के बीच माना गया है।

इस दौरान ब्रह्ममुहूर्त का प्रभाव रहता है, जिससे पूजा का विशेष फल मिलता है।

देवी अन्नपूर्णा की पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. घर के मंदिर की सफाई करके एक चौकी स्थापित करें।
  3. देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  4. धूप, दीप, फूल और अक्षत से पूजन करें।
  5. माता को मीठा भोग (खीर या मिष्ठान) लगाएं।
  6. अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें और आरती उतारें।
  7. इस दिन रसोईघर की विशेष सफाई करें और चूल्हे पर स्वस्तिक बनाएं।
  8. गरीबों या जरूरतमंदों को भोजन दान देना इस पर्व का विशेष महत्व है।

इस पर्व पर माता अन्नपूर्णा की कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और अन्न का भंडार हमेशा भरा रहता है।

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