Hanuman Jayanti 2024: 23 अप्रैल को पूरे देशभर में धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जाएगी। कहते हैं कलयुग में राम भक्त हनुमान जी ही ऐसे अकेले देवता है जो जागृत अवस्था में है और भक्तों की पुकार बड़ी जल्दी सुन लेते हैं। साथ ही कही भी जब रामायण का पाठ होता है तो हनुमान जी वहां अदृश्य रूप से मौजूद होते हैं। मंगलवार और शनिवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष फल मिलता है और इस बार हनुमान जयंती भी मंगलवार को पड़ रही है। जिसके सभी मंदिरों में जोर-शोर से तैयारी हो रही है।
यूं तो देशभर में हनुमान जी के कई अद्भुत और चमत्कारिक मंदिर है लेकिन हनुमान जयंती के मौके पर हम आपको बता रहे हैं मध्य प्रदेश में मौजूद हनुमान जी के चमत्कारिक धामों के बारे में, जहां भक्तों के हर दुख दर्द दूर होते हैं।
1. भविष्य बताने वाले हनुमान जी
सिद्धवीर खेड़ापति (शाजापुर)
एमपी के शाजापुर जिले के बोलाई गांव में सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर मौजूद है। करीब 600 साल पुराना यह मंदिर अपने चमत्कारी किस्सों के लिए जाना जाता है। खेड़ापति हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रेक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी की दूरी पर मौजूद है। इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा की बाईं तरफ भगवान गणेश जी प्रतिमा विराजमान हैं, जिसके चलते यहां मंगलवार, बुधवार और शनिवार को दर्शन के लिए भारी भीड़ पहुंचती है।
भविष्य बताते हैं हनुमान जी
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि इस मंदिर में जो भी आता है, भविष्य में उसके साथ क्या घटेगा हनुमान जी की कृपा से भक्त को पहले ही इसका आभास हो जाता है, जिसके चलते उनके भक्त सतर्क हो जाते हैं।
ट्रेन की स्पीड होती है कम
सालों पहले मंदिर के पास दो मालगाड़ियों में टक्कर हो गई थी, हादसे के बाद मालगाड़ियों के पायलट ने बताया कि उन्हें एक्सीडेंट के बारे में पहले ही पूर्वाभास हो गया था। उन्हें ऐसा लगा कि कोई उन्हें ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए कह रहा है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके कारण दोनों ट्रेनों की टक्कर हो गई। उस हादसे के बाद से अब मंदिर के पास से गुजरने वाली हर ट्रेन धीमी रफ्तार में यहां से गुजरती है। हनुमान जी के भविष्य बताने के चलते यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर को बेहद सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है
2. हड्डी जोड़ने वाले हनुमान
(कटनी)
कटनी जिले से करीब 35 किमी दूर मोहास गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर को हड्डी जोड़ने वाले हनुमान धाम के नाम से भी जाना जाता है। यहां मरीज टूटी हड्डी लेकर आते हैं और स्वस्थ होकर घर जाते हैं। मंदिर में मौजूद साधु हड्डी टूटने से पीड़ित लोगों को एक जड़ी खिलाते हैं जड़ी के प्रभाव से टूटी हड्डियां कुछ ही समय में जुड़ जाती हैं। भक्तों को ये जड़ी नि:शुल्क खिलाई जाती है।
3. जामसांवली के लेटे हुए हनुमान जी
(छिंदवाड़ा)
छिंदवाड़ा जिले के जामसांवली में हनुमान जी का एक बेहद चमत्कारी मंदिर मौजूद है। यहां राम भक्त हनुमान की करीब 15 फीट की मूर्ति निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना बताया जाता है, हालांकि इसकी स्थापना किसने की थी इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। हनुमान जी की इस प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता हैं।
शयन मुद्रा में हनुमान जी
इस मंदिर को लेकर कई किस्से प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जहां आज हनुमान जी की प्रतिमा शयन मुद्रा में हैं वहां खजाना छुपा है। उसी खजाने की रक्षा करने के लिए यहां सालों पहले हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में विराजमान थी, लेकिन एक बार कुछ चोर इस जगह में चोरी करने आए। उस खजाने को बचाने के लिए हनुमान जी यहां पर लेट गए, तब से लेकर आज तक यहां हनुमान जी पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में ही विराजमान हैं।
नाभि से निकलती है अनवरत जलधारा
जामसांवली मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जलधारा निकलती है। पानी कहां से आता है इसके स्त्रोत के बारे में किसी को नहीं पता। ये जलधारा लगातार बहती रहती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस जलधारा को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों का मानना है कि इस जल को पीने से चर्मरोगों से मुक्ति मिल जाती है।
4. सारे दुख हरने वाले उल्टे हनुमान जी
(इंदौर)
इंदौर से 30 किमी दूर सांवेर गांव में हनुमान जी की एक अनोखी मूर्ति स्थापित है जो कि उल्टी है। दुनिया भर में उल्टे हनुमान वाली ये इकलौती मूर्ति है। मंदिर में बजरंगबली की इस दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में 3 या 5 मंगलवार तक लगातार दर्शन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं और हनुमान जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मंदिर में चोला चढ़ाने की भी परंपरा है।
पाताल लोक में गए थे हनुमान जी
मंदिर में स्थापित हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान अहिरावण ने रूप बदलकर राम जी की सेना में प्रवेश कर लिया था। रात को जब सभी लोग सो रहे थे। तब अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बेहोश कर दिया और अपने साथ पाताल लोक ले गया था। इस घटना के पता चलने के बाद हनुमान जी पाताल लोक में भगवान की खोज करने गए थे। कहा जाता है कि हनुमान जी ने सांवेर से ही पाताल लोक में प्रवेश किया था इसलिए यहां उनके पैर ऊपर और सिर धरती की ओर है।
5. रोगों से बचाने वाले छींद धाम के दादाजी
(रायसेन)
रायसेन जिले की बरेली तहसील के ग्राम छींद में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। ये मंदिर भोपाल से 40 किमी की दूरी पर है। यहां हनुमान जी को छींद वाले दादाजी के नाम से जाना जाता है। करीब 200 साल पुराने मंदिर में हनुमान जी एक पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान हैं। मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है। छींद वाले हनुमान जी को रोगों से बचाने वाले हनुमान भी कहा जाता है।
स्वयंभू है प्रतिमा
मंदिर में स्थापित प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है। कहा जाता है कि गांव के एक किसान को खेत में हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी, जिसे उसने उसी जगह एक छोटी सी मढ़िया बनवाकर स्थापित कर दिया था। आज मंदिर ने विशाल रूप ले लिया है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।
5. अर्जी वाले हनुमान जी
(जबलपुर)
जबलपुर के ग्वारीघाट क्षेत्र में प्रसिद्ध रामलला मंदिर स्थापित हैं। इस मंदिर को अर्जी वाले हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर में हनुमान जी की एक विलक्षण प्रतिमा है जिसके दर्शन केवल साल में एक दिन हनुमान जन्मोत्सव पर श्रद्धालुओं को करने मिलते हैं। इस प्रतिमा में हनुमान जी का बालरुप विद्यमान हैं। रामलला मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा बेहद छोटी है। इसका आकार केवल पांच अंगुल का है। मंदिर में हनुमान जी की एक अन्य प्रतिमा भी स्थापित है, जिसके दर्शन श्रद्धालु साल भर कर सकते हैं।
ऑनलाइन भी लगती है अर्जी
कहते हैं जो भी भक्त मंदिर में सच्चे मन से अर्जी लगाता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि मंदिर में देश के साथ ही विदेशों से भी हनुमान भक्त इस मंदिर में अर्जी लगाते हैं। भक्तों की मनोकामनाओं को एक रजिस्टर में लिखकर हनुमान जी को सुनाया जाता है। इस मंदिर में ऑनलाइन अर्जी भी लगाई जाती है।
6. पर्ची से बताते हैं भविष्य (बालाजी हनुमान)
(बागेश्वर धाम, छतरपुर)
बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में स्थित है, यहां पर स्वंयभू हनुमान जी विराजमान हैं। स्वयंभू का अर्थ है कि जो स्वयं प्रकट हुए हैं. यहां पर बालाजी महाराज का मंदिर है, जहां पर मंगलवार और शनिवार के दिन काफी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं।
कहा जाता है कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर हनुमान जी की विशेष कृपा है। उस कृपा की वजह से वे लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका समाधान करते हैं। हनुमान जी की कृपा से जिसकी अर्जी स्वीकर हो जाती है, उसकी पर्ची बिना पूछे ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बना देते हैं।
आसान नहीं है पेशी लगाना
बागेश्वर धाम में अर्जी एक नारियल से लगाते हैं। यह अर्जी लोग घर से लगाते हैं और धाम पर जाकर भी लगाते हैं। यह अर्जी मंगलवार और शनिवार को लगाई जाती है। पेशी या अर्जी लगाना भी आसान नहीं है जो लोग अर्जी या पेशी लगाना चाहते हैं, उनको मांसाहार, लहसुन, प्याज, शराब जैसी चीजों का सेवन बंद करना होता है। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मिलने के लिए टोकन लगता है। उनसे मिलने के लिए कई दिनों या महीने तक इंतजार करना पड़ता है।
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