Hartalika Teej 2024: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। इस साल ये व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
ये व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती है।
तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत करती हैं।
माता पार्वती ने शिव के लिए किया था
सनातन धर्म में इस बात का उल्लेख किया गया है कि माता पार्वती ने ये व्रत भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था।
इसके लिए उन्होंने कई हजार सालों तक कठिन तपस्या की थी और अन्न-जल का भी त्याग कर दिया।
इसके बाद भगवान शिव, उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।
साथ ही माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी कुंवारी कन्या तीज का व्रत रखेगी, उसे भगवान शिव के समान पति मिलेगा।
साथ ही भौतिक सुखों में वृद्धि होगी और परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।
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करवा चौथ से भी कठिन है ये व्रत
वैसे तो हिंदू धर्म में पति-पत्नी के प्यार और रिश्ते को मजबूत करने के लिए कई व्रत और त्यौहार है। जिसमें करवा चौथ सबसे लोकप्रिय है।
लेकिन भादो मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के इस व्रत को करवा चौथ से भी मुश्किल माना जाता है।
तीज के व्रत के लिए एक दिन पहले दूज की शाम को फलाहार करें
रात के बाद जल या दूध जैसी कोई भी चीज मुंह के अंदर नहीं जाना चाहिए वरना व्रत खंडित हो जाता है।
24 घंटे से ज्यादा का निर्जला व्रत
हरतालिका तीज में 24 घंटे से ज्यादा समय तक निर्जल उपवास करना पड़ता है और अगले दिन सुबह पूजा के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
वहीं करवा चौथ के व्रत में पूरे दिन निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोल दिया जाता है।
इसलिए हरतालिका तीज व्रत को करवा चौथ से कठिन व्रत माना जाता है।
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हरतालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पांच सितंबर को दोपहर 12: 21 मिनट से शुरू होकर दूसरे दिन 6 सितंबर को दोपहर 3:01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में उदया तिथि को मानकर हरतालिका तीज 6 सितंबर को रखा जाएगा।
पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से 8:33 तक रहेगा।
शाम को प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है।
हरतालिका तीज पूजन विधि
इस दिन माता पार्वती, शिवजी और गणेशजी की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
पहले फूलों से मंडप बनाएं। मंडप में शिव परिवार को रखकर जल, रोली, अक्षत, धूप-दीप अर्पण कर पूजा करनी चाहिए।
भोग में मौसमी फल, पूड़ी, चंदिया, गुलगुला के अलावा माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा और सुहाग सामग्री भी चढ़ानी चाहिए।
आखिर में हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना चाहिए और दिन भर भगवान शिव और माता पार्वती का भजन करना चाहिए।
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व्रत में करें 4 पहर की पूजा
व्रत प्रारंभ करने के बाद शाम को शिव-पार्वती की मूर्ति बना लें और उन्हें एक लकड़ी के पटा में रख लें।
फिर सबसे पहले शाम 6 से 9 के बीच प्रथम प्रहर की पूजा करें।
फिर रात 9 से 12 द्वितीय प्रहर, रात 12 से 3 तृतीय प्रहर और सुबह 3 से 6 चतुर्थ प्रहर की पूजा होगी।
यानी पूरी रात व्रती महिलाओं को जागरण करना पड़ेगा, ना दिन को सोना है और ना ही रात को।
इस दिन बिस्तर में नहीं बैठना चाहिए।
7 साल बाद बने 3 शुभ योग
इस साल हरतालिका तीज पर रवि योग, शुक्ल योग के साथ हस्त नक्षत्र के संयोग रहेगा।
हस्त नक्षत्र सुबह 9:25 तक रहेगा और उसके बाद चित्रा नक्षत्र लग जाएगा। जो काफी शुभ माना जाता है।
इसके अलवा रवि योग सुबह 9:25 से लगेगा, जो 7 सितंबर को सुबह 6:02 मिनट पर खत्म होगा।
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ऐसे करें व्रत का पारण
4 प्रहर की पूजा करने के बाद अगली सुबह 6 बजे पूरी पूजन सामग्री को तालाब में विसर्जित कर दें।
इसके बाद स्नान करें और ब्राह्मणों को कुछ दान करें। फिर परिवार की बुजुर्ग महिलाओं का आशीवार्द लेकर भोजन करें।