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53 दवाएं हुईं टेस्ट में फेल, इन 8 तरीकों से करें नकली दवाओं की पहचान

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

How To Identify Fake Medicines: मौजूदा दौर में खाने-पीने की हर चीज में मिलावट हो रही है, यहां तक की जिंदगी बचाने वाली दवाइयां भी इस मिलावट से बच नहीं पाई।

हाल ही में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की एक रिपोर्ट में बुखार और डायबिटीज सहित करीब 53 दवाएं क्वालिटी चेक में फेल हो गई हैं।

CDSCO ने अपनी साइट पर इन दवाओं की एक लिस्ट (Ref.) जारी की है।

इसमें पैरासिटामोल, विटामिन डी, कैल्शियम सप्लीमेंट, हाई बीपी की दवाएं और डायबिटीज की मेडिसन भी शामिल हैं।

इन दवाओं की क्वालिटी खराब है लेकिन बाजार में कई नकली दवाइयां भी उपलब्ध हैं जिन्हें बड़ी कंपनियों के नाम से बेचा जा रहा है।

कैसे करें नकली दवाओं

अब सवाल उठता है कि आखिर इन नकली दवाओं से कैसे बचा जाए और इनको कैसे पहचाना जाए?

तो इसके भी कुछ तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर आप नकली दवाओं से बच सकते हैं।

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आइए जानते हैं इनके बारे में…

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, नकली दवाओं को पहचानना मुश्किल होता है।

इनका पता लगाने का असली तरीका प्रयोगशाला में किए गए रासायनिक विश्लेषण है।

लेकिन नकली दवाओं का साइज, शेप और कलर असली दवाओं से कुछ अलग होता हैं, या इन्हें खराब क्वालिटी की पैकेजिंग में बेचा जाता है, जिसके जरिए आप इनकी पहचान कर सकते हैं।

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1. क्यूआर कोड की जांच करें

असली दवाओं पर एक क्यूआर कोड प्रिंट किया जाता है जिसमें दवा के बारे में पूरी जानकारी और सप्लाई चेन की पूरी डिलेट दी गई होती है।

ऐसे में जब भी आप दवा खरीदें तो ये चेक कर लें कि आपकी मेडिसिन पर ये कोड मौजूद है या नहीं।

अगर दवा पर क्यूआर कोड नहीं है तो ये नकली दवा हो सकती है। ऐसे में आपको दवा खरीदने से बचना चाहिए।

अगर यूनिक क्यूआर कोड वाली दवा खरीद रहे हैं तो क्यूआर कोड को स्कैन जरूर कर लें।

इससे आपको दवा के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी।

रूल्स के हिसाब से 100 रुपये से ज्यादा की कीमत वाली सभी दवाओं पर क्यूआर कोड अनिवार्य होता है। अगर दवा पर क्यूआर कोड नहीं हो तो इसे न खरीदें।

दवाइयों पर जो क्यूआर कोड होत है वो एडवांस वर्जन का होता है। इसकी पूरी डिटेल सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी से जारी की जाती है।

अलग-अलग दवाओं के साथ क्यूआर कोड भी बदला जाता है। इसलिए नकली क्यूआर कोड बनाना मुश्किल है।

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2. दवा की पैकेजिंग

किसी भी दवाई को लेते वक्त उसकी पैकेजिंग पर छपी जानकारी को ध्यान से पढ़ें

पैकेजिंग की छपाई पर किसी भी तरह का मुद्रण दोष नहीं होना चाहिए

पैकेजिंग सील सही तरीके से लगी होनी चाहिए

3. दवा की जानकारी

दवा पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग डेट, और एक्सपायरी डेट सही से लिखी होनी चाहिए

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4. दवा का शेप

दवा की गोली या कैप्सूल का रंग, आकार, और बनावट मूल दवा से मेल खाना चाहिए।

दवा पर किसी तरह का धब्बा नहीं होना चाहिए

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5. दवा की कीमत

अगर कोई दवा बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर मिल रही है, तो वह नकली हो सकती है।

ऐसी दवा खरीदने से बचे

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6. लाइसेंस वाली फार्मेसी से दवा खरीदें

केवल लाइसेंस वाले फार्मेसियोंं से दवाएं खरीदें और बिल जरूर मांगें।

फार्मासिस्ट से पूछें कि क्या दवा में वो सभी इंग्रेडिएंट्स हैं, जो दवा आप इस्तेमाल कर रहे हैं।

अनधिकृत दवा विक्रेताओं से दवा न खरीदें

7. ऑनलाइन फार्मेसी

अगर आप ऑनलाइन दवा खरीद रहे हैं, तो ये जरूर चेक करें कि वो वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं।

8. डॉक्टर को दिखाएं

दवा की पहचान करने का सबसे सुरक्षित तरीका ये है कि दवाएं खरीदने के बाद अपने डॉक्टर से जरूर चेक कराएं

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डिसक्लेमर: इस खबर का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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