Homeलाइफस्टाइलहर दिन 13 करोड़ कप चाय पी जाते हैं भारतीय, जानिए कहां...

हर दिन 13 करोड़ कप चाय पी जाते हैं भारतीय, जानिए कहां से हुई थी इसकी शुरुआत

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

International Tea Day: चाय भारतीय जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा है।

सुबह की ताज़गी से लेकर शाम की थकान मिटाने तक, चाय हमारे दिनचर्या को पूरा करती है।

यह न सिर्फ एक पेय है, बल्कि संवाद, संस्कृति और सामाजिक जुड़ाव का माध्यम भी है।

21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) के मौके पर जानते हैं कि भारत में चाय की शुरुआत कैसे हुई।

साथ ही जानेंगे चाय का इतिहास, आर्थिक महत्व, चाय के प्रकार और स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में…

चाय का वैश्विक इतिहास

चाय की उत्पत्ति चीन में हुई मानी जाती है, जहाँ इसे हजारों सालों से पिया जाता रहा है।

किंवदंती है कि 2737 ईसा पूर्व में चीनी सम्राट शेन नुंग के सामने गर्म पानी में चाय की पत्तियाँ गिर गईं, जिससे पहली बार चाय बनी।

धीरे-धीरे यह एशिया और फिर पूरी दुनिया में फैल गई।

Tea in India, History of Tea, Story of Tea, International Tea Day, Types of Tea, How Tea was Discovered,
International Tea Day

भारत में कब आई चाय

लेकिन भारत में चाय की शुरुआत 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई।

ब्रिटिश सरकार चीन से चाय आयात करती थी, जो महंगा और मुश्किल था।

इसलिए उन्होंने भारत में चाय की खेती शुरू करने का निर्णय लिया।

भारत में चाय की शुरुआत: असम की भूमिका

भारत में चाय की खेती का श्रेय असम को जाता है।

1823 में ब्रिटिश अधिकारी रॉबर्ट ब्रूस ने असम के जंगलों में चाय के पौधे देखे और स्थानीय सिंगफो जनजाति से इसके बारे में जानकारी ली।

1835 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने असम में व्यावसायिक चाय बागानों की स्थापना शुरू की।

1837 में पहली बार असम की चाय इंग्लैंड भेजी गई, जिसे वहाँ काफी पसंद किया गया।

इसके बाद दार्जिलिंग (1856) और नीलगिरी (1860) में भी चाय की खेती शुरू हुई।

Tea in India, History of Tea, Story of Tea, International Tea Day, Types of Tea, How Tea was Discovered,
International Tea Day

दार्जिलिंग चाय: चाय का “शैंपेन”

दार्जिलिंग की चाय अपने सुगंधित स्वाद के लिए प्रसिद्ध है और इसे “चाय का शैंपेन” कहा जाता है।

यहाँ की ऊँचाई और ठंडी जलवायु चाय की गुणवत्ता को बढ़ाती है।

भारत में चाय की लोकप्रियता

ब्रिटिश काल में चाय शुरू में अंग्रेजों और उच्च वर्ग तक ही सीमित थी। लेकिन 20वीं सदी में यह आम जनता तक पहुँची

भारतीयों ने इसे अपने तरीके से बनाना शुरू किया:

  1. मसाला चाय (अदरक, इलायची, लौंग के साथ)
  2. इलायची चाय
  3. लेमन टी (नींबू वाली चाय)
  4. कड़क चाय (दूध और चीनी के बिना)

चाय ने चाय की दुकानों (टी स्टॉल) को जन्म दिया, जो आज भारत के हर कोने में मिलते हैं।

यह सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का केंद्र बन गई।

Tea in India, History of Tea, Story of Tea, International Tea Day, Types of Tea, How Tea was Discovered,
International Tea Day

भारत में चाय का आर्थिक महत्व

आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश (चीन के बाद) है। यहाँ 13 लाख टन से अधिक चाय हर साल पैदा होती है।

चाय उद्योग से जुड़े रोचक तथ्य:

  1. रोजाना 13 करोड़ कप चाय भारत में पी जाती है।
  2. हर दिन चाय का कारोबार लगभग 130 करोड़ रुपये का होता है।
  3. असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल प्रमुख चाय उत्पादक राज्य हैं।
  4. दार्जिलिंग चाय को जीआई (GI) टैग प्राप्त है, जो इसकी विशेष पहचान को दर्शाता है।

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (21 मई) का महत्व

संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया है। इसका उद्देश्य:

  1. चाय उत्पादकों के हितों की रक्षा करना
  2. चाय के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना
  3. चाय उद्योग से जुड़े श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना
Tea in India, History of Tea, Story of Tea, International Tea Day, Types of Tea, How Tea was Discovered,
International Tea Day

चाय पीने के स्वास्थ्य लाभ और सावधानियां

चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं।

लेकिन अधिक मात्रा में यह नुकसानदायक भी हो सकती है:

फायदे:

  1. ताजगी और ऊर्जा देती है (कैफीन के कारण)
  2. हृदय रोगों के जोखिम को कम करती है
  3. पाचन में सहायक (अदरक वाली चाय)

नुकसान:

  1. खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी हो सकती है
  2. ज्यादा उबालने से टैनिन बढ़ता है, जो पेट के लिए हानिकारक है
  3. अधिक चीनी मिलाने से मोटापा और डायबिटीज का खतरा
Tea in India, History of Tea, Story of Tea, International Tea Day, Types of Tea, How Tea was Discovered,
International Tea Day

चाय भारत की संस्कृति का हिस्सा

चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि भारतीय समाज का एक सांस्कृतिक प्रतीक है।

यह गांव से लेकर महानगर तक, हर वर्ग के लोगों को जोड़ती है।

तो अगली बार जब आप चाय का आनंद लें, तो याद रखें कि यह छोटी सी प्याली भारत की सदियों पुरानी कहानी समेटे हुए है!

- Advertisement -spot_img