Janmashtami Bhog,: जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पवित्र पर्व, भक्तों के लिए उत्साह और भक्ति का अवसर है। इस साल ये पर्व 16 अगस्त को मनाया जा रहा है।
जन्माष्टमी की रात मंदिरों और घरों में विशेष पूजा होती है। भक्त उपवास रखते हैं और रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के समय भोग अर्पित करते हैं।
इस दिन भक्त अपने आराध्य को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाकर उनकी कृपा पाने की कामना करते हैं।
श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और दूध से बने व्यंजन बेहद प्रिय हैं, क्योंकि बचपन में वे माखन चुराने के लिए प्रसिद्ध थे।
भोग लगाने की परंपरा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों को अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त करने का मौका देती है।
आइए, जानते हैं कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को किन-किन चीजों का भोग लगाया जाता है और इसकी क्या महत्ता है।
श्रीकृष्ण को प्रिय भोग और उनकी तैयारी
श्रीकृष्ण को भोग में मुख्य रूप से दूध, दही, माखन, और मिठाइयों से बने व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। इनमें से कुछ खास पकवान हैं:
- माखन-मिश्री: यह श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भोग है। ताजा माखन को मिश्री के साथ मिलाकर छोटे-छोटे लड्डू बनाए जाते हैं। इसे बनाने के लिए घर में ताजा दूध से मलाई निकालकर माखन तैयार किया जाता है।
- पंजीरी: गेहूं के आटे, घी, और चीनी से बनी पंजीरी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इसमें सूखे मेवे और इलायची डालकर स्वाद बढ़ाया जाता है।
- खीर: चावल, दूध, और चीनी से बनी खीर को श्रीकृष्ण बहुत पसंद करते हैं। इसे केसर और मेवों से सजाकर भोग में शामिल किया जाता है।
- मालपुआ: आटे, दूध, और चीनी से बना मालपुआ तलकर चाशनी में डुबोया जाता है। यह मिठाई जन्माष्टमी के भोग का खास हिस्सा है।
- रबड़ी और छेना मिठाई: दूध से बनी रबड़ी और छेना आधारित मिठाइयाँ जैसे रसगुल्ला या रस मलाई भी भोग में चढ़ाई जाती हैं।
- फल और मेवे: ताजे फल जैसे केला, सेब, और अनार के साथ-साथ बादाम, काजू, और किशमिश भी भोग में शामिल किए जाते हैं।
भोग तैयार करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
भक्त इसे सात्विक और शुद्ध भाव से बनाते हैं, क्योंकि यह भगवान को अर्पित किया जाता है।
भोग की महत्ता और भक्ति का भाव
जन्माष्टमी पर भोग लगाने की परंपरा केवल खान-पान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच प्रेम और विश्वास का बंधन है।
मान्यता है कि श्रीकृष्ण भक्त के भाव को देखते हैं, न कि भोग की मात्रा को। इसलिए, भले ही साधारण माखन-मिश्री हो या 56 भोग, भक्त का प्रेम ही सबसे महत्वपूर्ण है।
भोग चढ़ाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है, जिससे सभी भक्तों में भगवान का आशीर्वाद बंटता है।
इस दौरान भजन-कीर्तन और झांकियाँ सजाई जाती हैं, जो उत्सव को और भव्य बनाती हैं।
भोग तैयार करते समय भक्त श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद करते हैं, जैसे माखन चोरी और गोपियों के साथ रासलीला, जो इस पर्व को और खास बनाता है।