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Jyeshta Month 2025: वट सावित्री से निर्जला एकादशी तक, जेठ के महीनें में आएंगे ये प्रमुख व्रत-त्यौहार

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Jyeshta Month Vrat Tyohar:

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास 2025 13 मई (मंगलवार) से 11 जून (बुधवार) तक रहेगा।

यह माह ग्रीष्म ऋतु में आता है, जब सूर्य की तपिश चरम पर होती है।

इन देवताओं की होती है पूजा

धार्मिक दृष्टि से इस माह में हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की पूजा का विशेष महत्व है।

जल संरक्षण और दान का महत्व

जल संरक्षण और दान का भी इस माह में खास महत्व बताया गया है।

लोग जल, छाता, फल और वस्त्र दान करके पुण्य कमाते हैं।

ज्येष्ठ माह तपस्या, दान और भक्ति का महीना माना जाता है।

इस दौरान जल दान करना और हनुमान जी की आराधना करना विशेष फलदायी होता है।

बड़ा मंगलवार का महत्व

ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को “बड़ा मंगलवार” कहा जाता है।

मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

Jyeshta Month Vrat Tyohar: ज्येष्ठ माह के प्रमुख व्रत-त्यौहार

  • 13 मई, मंगलवार: नारद जयंती, ज्येष्ठ माह प्रारंभ, पहला बड़ा मंगलवार
  • 14 मई, बुधवार: वृषभ संक्रांति
  • 16 मई, शुक्रवार: संकष्टी चतुर्थी
  • 20 मई, मंगलवार: दूसरा बड़ा मंगलवार, मासिक कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
  • 23 मई, शुक्रवार: अपरा एकादशी
  • 24 मई, शनिवार: शनि प्रदोष व्रत 
  • 25 मई, रविवार: मासिक शिवरात्रि
  • 26 मई, सोमवार: वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या (सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं।)
  • 27 मई, मंगलवार: तीसरा बड़ा मंगलवार, शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस्या, रोहिणी व्रत l (शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।)
  • 30 मई, शुक्रवार: विनायक चतुर्थी
  • 1 जून, रविवार: स्कन्द षष्ठी
  • 3 जून, मंगलवार: चौथा बड़ा मंगलवार, मासिक दुर्गाष्टमी
  • 4 जून, बुधवार: महेश नवमी
  • 5 जून, गुरुवार: गंगा दशहरा (गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।)
  • 6 जून, शुक्रवार: निर्जला एकादशी, गायत्री जयंती (साल की सबसे कठिन एकादशी, जिसमें बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा जाता है।)
  • 8 जून, रविवार: प्रदोष व्रत l 
  • 10 जून, मंगलवार: पांचवां बड़ा मंगलवार, वट पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत l
  • 11 जून, बुधवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान और दान, कबीरदास जयंती।

बेहद खास हैं ये त्यौहार

वृषभ संक्रांति 15 मई 2025:

वृषभ संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने का बहुत महत्व है।

इस दिन दान-पुण्य करने से मन ही हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है।

वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

साथ ही व्यक्ति को अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुल जाते है।

अपरा एकादशी 23 मई 2025:

अपरा एकादशी अजला और अपरा दो नामों से जानी जाती है। इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा का विधान है।

अपरा एकादशी का एक अर्थ यह है कि इस एकादशी का पुण्य अपार है।

इस दिन व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है।

वहीं मनुष्य को ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगा जल से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

शनि त्रयोदशी और प्रदोष व्रत 24 मई 2025 :

शनि त्रयोदशी विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए बहुत लाभकारी है, जो शनि के प्रतिकूल प्रभाव से पीड़ित हैं या जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या महादशा चल रही है।

इस दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति को उनके कुप्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।

वट सावित्री व्रत 26 मई 2025:

ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के पूजन का विधान है।

बहुत सारे स्थानों पर वट पूर्णिमा के दिन भी ये पर्व मनाया जाता है।

इस दिन महिलाएं दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन हेतु बरगद पूजन करती हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती 27 मई 2025:

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद पुण्यदायी माना गया है क्योंकि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती के होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है।

ऐसे में ये दिन पितरों के साथ शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास है।

निर्जला एकादशी 6 जून 2025:

साल भर में 24 एकादशी आती हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्जला एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं।

निर्जला एकादशी सबसे पवित्र एकादशी मानी जाती है।

इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।

इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गंगा दशहरा 5 जून 2025:

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने का विधान है।

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व बताया गया है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन धरती पर मां गंगा अवतरित हुई थीं।

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है।

गंगा दशहरा के दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी तरह के पाप मिट जाते हैं।

वट पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025:

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है।

इस व्रत को रखने से सुहागिनों को सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और संतान और पति की लम्बी उम्र में इजाफा होता है।

इसके अलावा जाने-अनजाने में किये पापों से मुक्ति भी मिलती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून 2025:

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष महत्व है।

इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है, जिन युवक और युवतियों के विवाह में किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही होती है। ऐसे लोग यदि इस दिन श्वेत वस्त्र धारण करके शिवाभिषेक करें और भगवान शिव की पूजा करें तो उनके विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है।

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