Karwa Chauth Ashubh Yog: करवा चौथ का इस साल 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है।
हालांकि, इस बार का करवा चौथ एक विशेष खगोलीय स्थिति लेकर आ रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ अशुभ योग बन रहे हैं, जिसके कारण पूजा का समय विशेष ध्यान रखना जरूरी हो गया है।
आइए, जानते हैं कब है करवा चौथ, पूजा का शुभ मुहूर्त, अशुभ योगों का प्रभाव और व्रत से जुड़ी संपूर्ण जानकारी…
करवा चौथ 2025: तिथि, व्रत और महत्व
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ने वाला करवा चौथ का त्योहार सुहागिनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ‘सरगी’ खाकर निर्जला व्रत शुरू करती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही इसे खोलती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत के पालन से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मुख्य तिथियां और समय:
- करवा चौथ व्रत तिथि: 10 अक्टूबर, शुक्रवार
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 19 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समापन: 10 अक्टूबर शाम 08 बजकर 13 मिनट तक
- चंद्र दर्शन समय: शाम 08 बजकर 13 मिनट के लगभग
करवा चौथ पर बन रहा है अशुभ योग
इस साल करवा चौथ के दिन दो प्रमुख अशुभ योग बन रहे हैं विडाल योग और व्यातीपात योग।
ज्योतिष में इन योगों को शुभ कार्यों, विशेषकर पूजा-पाठ के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
मान्यता है कि इन योगों के दौरान किए गए धार्मिक कर्मों का पूरा फल प्राप्त नहीं होता और कार्यों में बाधाएं आती हैं।
1. विडाल योग:
- समय: शाम 05 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक
- प्रभाव: इस योग को ‘बिल्ली का योग’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किया गया कोई भी शुभ कार्य विफल हो सकता है या उसमें अड़चनें आ सकती हैं।
2. व्यातीपात योग:
- समय: योग का प्रारंभ 10 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 41 मिनट से होगा और यह 11 अक्टूबर की दोपहर तक रहेगा।
- प्रभाव: यह योग दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस समय पूजा-पाठ करना वर्जित बताया गया है।
अशुभ योग से पहले ही संपन्न कर लें पूजा
अशुभ योगों के प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिष विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि करवा चौथ की पूजा इन योगों के शुरू होने से पहले ही संपन्न कर लेनी चाहिए।
शुभ पूजा मुहूर्त के अनुसार, आपको शाम 05 बजकर 31 मिनट से पहले ही पूजा कर लेनी चाहिए।
शुभ पूजा समय:
- शुभ समय: शाम 05 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
- सलाह: अशुभ विडाल योग शाम 05:31 बजे से शुरू हो रहा है, इसलिए कोशिश करें कि 05:30 बजे तक पूजा का मुख्य भाग पूरा कर लें। इसके बाद, आप सिर्फ चंद्रोदय का इंतजार करें और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें।
करवा चौथ व्रत की संपूर्ण विधि
- सरगी: सूर्योदय से पहले पति के साथ सरगी ग्रहण करें। इसमें फल, मिठाई और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। यह दिनभर के व्रत की शक्ति देती है।
- व्रत: पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। बिना पानी के रहते हुए दिनभर करवा चौथ की कथा सुनें या पढ़ें।
- पूजा की तैयारी: शाम को पूजा की थाली सजाएं। इसमें करवा (मिट्टी का घड़ा), जल, मिठाई, फल, सिंदूर, चूड़ियां, मेहंदी और पूजा की सामग्री रखें।
- पूजन: शुभ मुहूर्त में करवा माता की कहानी सुनते हुए पूजा करें। सभी सुहागिन महिलाएं एकत्रित होकर पूजा करें और एक-दूसरे को करवा घूमाएं।
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य: शाम लगभग 08:13 बजे चंद्रमा निकलने पर चंद्र देव को जल अर्पित करें। इसके बाद, एक छलनी के माध्यम से चंद्रमा और फिर अपने पति को देखें।
- व्रत खोलना: पति के हाथों पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोलें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।
करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु और सुहाग की रक्षा का प्रतीक है।
इस बार अशुभ योगों के निर्माण के कारण पूजा के समय का विशेष ध्यान रखना और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
शुभ पूजा मुहूर्त का पालन करके आप इन अशुभ प्रभावों से बच सकती हैं और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त कर सकती हैं।