Brain eating amoeba: निगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) जिसे “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” कहा जाता है, एक सूक्ष्म जीव है जो गर्म और गंदे पानी में पनपता है।
यह नाक के जरिए शरीर में घुसकर दिमाग तक पहुंचता है और जानलेवा संक्रमण पैदा करता है।
केरल के कोझीकोड में हाल ही में एक 9 साल की बच्ची की मौत इसी अमीबा के कारण हुई है, जिससे स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है।
केरल में 9 साल की बच्ची की मौत
- 13 अगस्त को बच्ची को तेज बुखार और सिरदर्द के लक्षण दिखे।
- 14 अगस्त को उसे कोझीकोड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
- जांच में Naegleria fowleri संक्रमण की पुष्टि हुई।
- केरल में यह चौथा मामला है, जिसमें मरीज की मौत हुई है।

कैसे फैलता है यह संक्रमण?
- यह अमीबा गंदे पानी, तालाब, झील, क्लोरीन-मुक्त स्विमिंग पूल में पाया जाता है।
- निगलेरिया फाउलेरी का संक्रमण तब होता है, जब दूषित पानी नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है।
-
ये अमीबा नाक की श्लेष्मिक झिल्ली (mucous membrane) से होकर तंत्रिका तंत्र तक पहुंचता है और फिर मस्तिष्क में प्रवेश करता है।
-
ये प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि कुछ ही दिनों में ये दिमाग को भारी नुकसान पहुंचा देता है।
-
आमतौर पर ये संक्रमण तैराकी के दौरान होता है, खासकर तब जब लोग गंदे तालाबों, झीलों, या बिना क्लोरीन वाले स्विमिंग पूल में तैरते हैं।
-
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये अमीबा मुंह से पानी पीने या त्वचा के संपर्क में आने से नहीं फैलता।
-
इसका एकमात्र रास्ता नाक है। इसलिए तैरते समय या पानी में गोता लगाते समय विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।
- यह पीने के पानी से नहीं फैलता, केवल नाक के रास्ते ही खतरनाक होता है।
Scary “Brain-Eating” Amoeba (Naegleria fowleri) video pic.twitter.com/gVz7W8Z6UZ
— Oren Gottfried, MD (@OGdukeneurosurg) October 1, 2023
ब्रेन-ईटिंग अमीबा के लक्षण
निगलेरिया फाउलेरी से होने वाला संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है।
आमतौर पर पानी के संपर्क में आने के 1 से 12 दिनों के भीतर लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।
ये लक्षण शुरुआत में सामान्य सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसे लगते हैं, जिसके कारण लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, हालत गंभीर होती जाती है। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- तेज सिरदर्द: मस्तिष्क में सूजन के कारण सिर में असहनीय दर्द होता है।
- बुखार: शुरुआत में हल्का बुखार जो तेजी से बढ़ सकता है।
- उल्टी और मतली: पेट खराब होने जैसी समस्याएं।
- गर्दन में अकड़न: मस्तिष्क की सूजन के कारण गर्दन हिलाने में दिक्कत।
- मानसिक भ्रम: मरीज को चीजें समझने में परेशानी और व्यवहार में बदलाव।
- दौरे पड़ना: गंभीर स्थिति में मरीज को मिर्गी जैसे दौरे पड़ सकते हैं।
- कोमा: अगर समय पर इलाज न हो, तो मरीज बेहोश हो सकता है।
- प्रकाश से डर: तेज रोशनी से मरीज को परेशानी होने लगती है।
ये लक्षण इतनी तेजी से बढ़ते हैं कि 5 से 18 दिनों के भीतर स्थिति जानलेवा हो सकती है।
केरल के कोझिकोड में हाल ही में हुई 9 साल की बच्ची की मौत इसका उदाहरण है, जहां उसे तेज बुखार के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

क्या है इलाज और क्यों है बचना मुश्किल?
- प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) का इलाज बेहद मुश्किल है। इसका कारण ये है कि ये अमीबा दिमाग में बहुत तेजी से फैलता है, और ज्यादातर दवाएं मस्तिष्क तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच पातीं।
- डॉक्टर आमतौर पर एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B), मिल्टेफोसिन (Miltefosine), और अन्य एंटी-माइक्रोबियल दवाओं का उपयोग करते हैं, लेकिन इनका असर सीमित होता है।
- दुनियाभर में निगलेरिया फाउलेरी के मामले बहुत कम हैं, लेकिन इनमें मृत्यु दर 95% से अधिक है। क्योंकि संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है।
- पिछले 50 सालों में केवल 382 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर मरीजों को बचाया नहीं जा सका।
- अमेरिका में 154 मामले सामने आए, और भारत में भी केरल जैसे गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में ये समस्या समय-समय पर देखी जाती है।

कैसे बचें ब्रेन-ईटिंग अमीबा?
- पीने के पानी को उबालकर या फिल्टर करके इस्तेमाल करें।
- नाक में पानी जाने से रोकें: तैरते समय नोज क्लिप (nose clip) का इस्तेमाल करें, ताकि पानी नाक में न जाए।
- साफ पानी का उपयोग: केवल क्लोरीनयुक्त स्विमिंग पूल में तैरें। गंदे तालाबों और झीलों से बचें।
- पानी की सफाई: स्विमिंग पूल और वाटर पार्क में नियमित रूप से क्लोरीन का इस्तेमाल सुनिश्चित करें।
- साफ पानी पिएं: पीने के पानी को हमेशा फिल्टर करें।
- लक्षणों पर ध्यान: अगर तैरने के बाद तेज बुखार, सिरदर्द, या अन्य लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- बच्चों को सतर्क करें: बच्चों को ठहरे हुए या गंदे पानी में नहाने से रोकें।

ब्रेन इटिंग अमीबा का इतिहास और रोचक तथ्य
- निगलेरिया फाउलेरी को पहली बार 1965 में ऑस्ट्रेलिया में खोजा गया था।
- ये पृथ्वी पर मौजूद सबसे प्राचीन जीवों में से एक है। ये 46 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी जीवित रह सकता है।
- इसका आकार निश्चित नहीं होता, और ये कोशिका विभाजन के जरिए तेजी से बढ़ता है।
- एक अमीबा टूटकर चार नए अमीबा बना सकता है, जिससे ये तेजी से फैलता है।
- दुनियाभर में इसके मामले बहुत कम हैं, लेकिन जहां भी ये होता है, वहां जानलेवा साबित होता है।
- खासकर गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में ये ज्यादा सक्रिय होता है।
- भारत में केरल जैसे राज्यों में इसकी मौजूदगी समय-समय पर देखी गई है।

क्या यह संक्रमण भारत में बढ़ रहा है?
- केरल में पिछले कुछ सालों में कई मामले सामने आए हैं।
- गर्म और नम मौसम में इसके फैलने का खतरा ज्यादा होता है।
- स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक दुर्लभ लेकिन जानलेवा संक्रमण है। इससे बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।
अगर तैरने या नहाने के बाद तेज बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।