Kharmas Story: खरमास हिंदू महीनों के सबसे खास महीनों में से एक है। इसे अधिक मास, मलमाल और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।
15 दिसंबर से खरमास की शुरुआत हो चुकी है जो 15 (2025) जनवरी तक रहेगा।
हिंदी में खर का मतलब है गधा या खच्चर और मास का मतलब है महीना। मतलब खर का मास, खरमास।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतने पवित्र महीने का नाम खर यानि गधें से क्यों जुड़ा है।
अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं खरमास की प्राचीन कथा और इस महीने का महत्व…
खरमास के दौरान वर्जित होते हैं शुभ कार्य
सूर्य से पूरी प्रकृति जुड़ी हुई है। उन्हें जीवनदाता माना जाता है।
इसीलिए जब खरमास के दौरान सूर्य का तेज कम हो जाता है, तो विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
गधों से जुड़ी है खरमास की प्राचीन कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सूर्यदेव अपने 7 घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे।
लंबे समय तक लगातार चलने के कारण सूर्यदेव के घोड़े थककर कमजोर हो गए।
जब सूर्यदेव ने घोड़ों की ये दशा देखी, तो उन्हें दया आई और सूर्य देव घोड़ों को आराम देने के लिए एक तालाब के पास ले गए।
मगर रथ रोकना संभव नहीं था, क्योंकि रथ रुकने से जनजीवन ठहर जाता।
तभी उन्होंने तालाब के पास दो गधे देखें और उन्हें अपने रथ में जोत दिया।
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अब घोड़ों की तुलना में गधों की गति तो काफी कम है। जिस वजह से रथ धीमी गति से चलने लगा और 1 महीने तक यह स्थिति रही, जिसे खरमास कहा गया।
यही कारण है कि खरमास के दौरान धरती पर सूर्य देव का वो तेज प्रकट नहीं हो पाता जो बाकी महीनों में होता है।
खरमास के दौरान, सूर्य देव के रथ के 7 घोड़े विश्राम करते हैं।
संक्रांति से वापस काम पर लौटते हैं घोड़े
मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव गधों (खरों) को वापस तालाब के किनारे छोड़ा था और अपने घोड़ों को वापस रथ में शामिल कर फिर से रफ्तार पकड़ी थी।
इससे सूर्य का तेज लौट आता है और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इसलिए मकर संक्रांति आते ही मौसम भी बदल जाता है।
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खरमास में इसलिए नहीं होते शुभ काम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहों के राजा और पिता का प्रतीक हैं।
खरमास के समय सूर्य की शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसे परिवार के मुखिया की कमजोर स्थिति के समान माना जाता है।
और जैसे मुखिया के बिना परिवार का कोई काम नहीं होता वैसे ही सूर्य के तेज के बिना भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकते।
Kharmas में क्या करें
- खरमास के दौरान भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करें
- खरमास के दौरान भगवान सूर्य को रोजाना सुबह जल अर्पित करें
- बृहस्पति चालीसा का पाठ करें
- ऊं गृहिणी सूर्याय नम मंत्र का जाप करें
- खरमास के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है
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खरमास में करें किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ
- खरमास के दौरान श्रीराम कथा, भागवत कथा और शिव पुराण का पाठ करने से पुण्य प्राप्त होता है।
- खरमास में प्रयास करें कि कम से कम एक धार्मिक ग्रंथ का पूरा पाठ करें। इससे आध्यात्मिक उन्नति होगी और पुण्य की प्राप्ति भी होगी।
- खरमास में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से न केवल धर्म लाभ मिलता है, बल्कि इससे जीवन में सुख-शांति और संतुलन बनाए रखने के सूत्र भी मिलते हैं।
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