Homeलाइफस्टाइलउज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं डोंगरगढ़ की मां बमलेश्वरी देवी,...

उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं डोंगरगढ़ की मां बमलेश्वरी देवी, बगलामुखी माता का है स्वरूप

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Maa Bamleshwari Mandir Chhattisgarh: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मां दुर्गा के ऐसे कई मंदिर हैं, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।

ऐसा ही एक मंदिर है छत्तीसगढ़ का मां बमलेश्वरी देवी मंदिर जो डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है।

वैसे तो यहां साल भर ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

आइए जानते हैं इस मंदिर की प्राचीन कथा और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में…

1600 फीट ऊंची पहाड़ी, 1000 सीढ़ियां

मां बमलेश्वरी का मंदिर डोंगरगढ़ की खूबसूरत हरी-भरी घाटियों और झील के किनारे स्थित है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।

ये मंदिर 1600 फीट ऊपर पहाड़ पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1000 सीढ़िया चढ़नी पड़ती हैं।

हालांकि, यहां रोपवे की भी व्यवस्था है ताकि बुजुर्ग और बच्चे बिना किसी परेशानी के मां के दर्शन कर सकें।

ये भी पढ़ें- रतनपुर महामाया मंदिर: छत्तीसगढ़ में यहां एक साथ विराजी हैं 2 देवियां, पहनती हैं सोने के गहने

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

बगलामुखी देवी का स्वरूप, मां बमलेश्वरी के दो मंदिर

बमलेश्वरी शक्ति पीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है।

मान्यता है कि माता बमलेश्वरी 10 महाविद्याओं में से एक बगलामुखी देवी का ही स्वरूप हैं।

डोंगरगढ़ में मां बमलेश्वरी के दो मंदिर हैं। ऊपर पहाड़ों पर मां बड़ी बमलेश्वरी विराजमान हैं, तो वहीं, नीचे मां छोटी बमलेश्वरी का मंदिर है।

नवरात्र पर यहां लाखों भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

ये भी पढ़ें-  Navratri 2024: क्यों हर साल मनाते हैं नवरात्रि? किसने रखा था पहला व्रत, जानिए सबकुछ

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

जागृत अवस्था में मां, दर्शन मात्र से दूर होते हैं कष्ट

मान्यता है कि मां बमलेश्वरी देवी यहां जागृत अवस्था में है, जिस वजह से मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

जो भी भक्त मां बमलेश्वरी के मंदिर में जाकर सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

मां बमलेश्वरी के दरबार में दिन में दो बार आरती की जाती है।

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी

मां बमलेश्वरी को मध्य प्रदेश के उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है।

इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है।

मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं और यहां मां बमलेश्वरी के रूप में उनकी पूजा की जाती है।

ये भी पढ़ें- Navratri 2024: नवरात्रि के 9 रंग, जानें किस दिन कौन सा रंग पहने

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

2000 साल पुराना है इतिहास

प्राचीन समय में डोंगरगढ़ को कामाख्या नगरी के नाम से जाना जाता था।

मान्यता है कि राजा वीर सेन ने माता बमलेश्वरी मंदिर की स्थापना की गई थी।

राजा ने मां बगलामुखी को अपने तपोबल से प्रसन्न कर पहाड़ों पर विराजमान होने की विनती की थी।

इसके बाद मां बगलामुखी, मां बमलेश्वरी के रूप में डोंगरगढ़ के पहाड़ों पर विराजमान हुईं।

कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि राजा विक्रमादित्य भी यहां के शासक रहे थे और वे भी देवी बगलामुखी के उपासक थे।

इसलिए इसका इतिहास उज्जैन से भी जुड़ा हुआ है।

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था

मंदिर में रुकने की भी अच्छी व्यवस्था है। जिस वजह से दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।

भक्तों की सुविधा के लिए रास्ते में बैठने की व्यवस्था भी की गई है। माता के मंदिर के रास्ते में एक बाजार भी है।

ऊपर पेयजल की व्यवस्था, विश्रामालयों के अलावा भोजनालय और धार्मिक सामग्री खरीदने की सुविधा है।

पहाड़ी के नीचे 24 घंटे भोजन और भंडारे की व्यवस्था।

ये भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2024: इस बार डोली पर बैठकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए क्यों है ये अशुभ संकेत

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

नवरात्रि के दौरान विशेष व्यवस्था

नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर ट्रस्ट विशेष व्यवस्था करता है ताकि दर्शन में किसी तरह की परेशानी न हो।

श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा सुविधाओं की भी पूरी व्यवस्था रहती है।

यहां नवरात्रि पर मेले का भी आयोजन होता है जिसमें 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं।

Maa Bamleshwari Devi, Chhattisgarh, Dongargarh, Dongargarh Temple, Maa Bamleshwari Devi Temple, Dogargarh Temple
Maa Bamleshwari mandir Chhattisgarh

दूसरे राज्यों से भी आते हैं भक्त

मां बमलेश्वरी के दरबार में छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश से भक्त दर्शन करने आते हैं।

कैसे जाएं रायपुर

मां बमलेश्वरी देवी का मंदिर रायपुर से 100 किमी और नागपुर से 190 किमी की दूरी पर स्थित है और मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग के अंतर्गत आता है।

आप यहां सीधे ट्रेन और बस से भी पहुंच सकते हैं।

ये भी पढ़ें- डोंगरगढ़ के मां बमलेश्वरी मंदिर में भगदड़, बुजुर्ग महिला की मौत और कई घायल

नवरात्रि 2024: छत्तीसगढ़ के इन 3 देवी मंदिरों में प्रसाद खाने आते हैं भालू

- Advertisement -spot_img