Margashirsha Month: हिंदू पंचांग का यह पावन महीना, जिसे मार्गशीर्ष, माघ या अगहन के नाम से भी जाना जाता है, साधारण महीना नहीं है।
इसकी शुरुआत 6 नवंबर से हो चुकी है और यह महीना सीधे तौर पर भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है।
स्वयं भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है, “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।”
इस एक वाक्य ने इस मास को सभी महीनों में सबसे विशेष और शक्तिशाली बना दिया है।
आइए जानते हैं इस पवित्र माह का पूरा महत्व, पूजन विधि और वे नियम जिनका पालन करके आप इसका पूरा आध्यात्मिक लाभ उठा सकते हैं।
भगवान कृष्ण का स्वरूप है मार्गशीर्ष मास
पुराणों और गीता के उस वचन के कारण मार्गशीर्ष मास भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप माना जाता है।
मान्यता है कि इस पूरे महीने में की गई भक्ति, पूजा, जप और तप का फल कई गुना बढ़ जाता है।
यह महीना आध्यात्मिक उन्नति, पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का सुनहरा अवसर लेकर आता है।
साथ ही, इस माह में विधिपूर्वक पूजा करने से धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्त के घर में स्थाई रूप से वास करती हैं।
मार्गशीर्ष में ऐसे कराएं भगवान कृष्ण का स्नान
इस माह में भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। उन्हें विशेष चीजों से स्नान कराने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
- गाय का दूध: खासकर द्वादशी या पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण को गाय के शुद्ध दूध से स्नान कराना सबसे उत्तम माना गया है। ऐसा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- शहद और शक्कर: भगवान को शहद (मधु) और शक्कर से स्नान कराना या इन्हें अर्पित करना बहुत शुभ फलदायी होता है और यह कृष्ण जी को अत्यंत प्रिय है।
- जल से स्नान: इस माह में प्रातःकाल उठकर स्वयं स्नान करना और भगवान को जल से स्नान कराना भी फलदायी है। श्री कृष्ण कहते हैं कि ऐसे भक्त के लिए वह सदैव उपस्थित रहते हैं।
- गोपीचंदन का तिलक: स्नान के बाद भगवान कृष्ण को गोपीचंदन लगाना चाहिए। इससे भक्त के सत्कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
मार्गशीर्ष मास में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इस पवित्र महीने में जप, तप और दान का विशेष महत्व है। अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सही दिशा देने के लिए इन बातों का पालन अवश्य करें।
क्या करें (Do’s):
- प्रातः स्नान: रोज सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- तुलसी पूजा: इस माह में तुलसी के पौधे की विशेष पूजा करें। रोज तुलसी को जल चढ़ाएं और उनके पास दीपक जलाएं।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ: भगवान विष्णु के हजार नामों का पाठ (विष्णु सहस्रनाम) करने या उनका कीर्तन करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
- व्रत और साधना: इस माह में आने वाली एकादशियों (जैसे उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी) और पूर्णिमा का व्रत अवश्य रखें।
- दान-पुण्य: अपनी शक्ति के अनुसार अनाज, वस्त्र, या गाय का दान करना इस माह में बहुत पुण्यफलदायी माना गया है।
क्या न करें (Don’ts):
- जीरा और दाल का सेवन: कहा जाता है कि इस माह में जीरा और प्रकार की दालों के सेवन से परहेज करना चाहिए।
- दूसरों का अपमान: किसी का भी अपमान करने से बचें, क्योंकि इस पवित्र माह में की गई नकारात्मक बातें आपके पुण्य को कम कर सकती हैं।
मार्गशीर्ष मास एक ऐसा दिव्य अवसर है जो हर साधक को अपनी आत्मा को ऊपर उठाने और भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा पाने का मार्ग दिखाता है।
इसके नियमों का पालन करके आप न केवल जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि मोक्ष के पथ पर भी आगे बढ़ सकते हैं।


