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51 Shaktipeeth: भारत ही नहीं इन 5 देशों में भी हैं माता के शक्तिपीठ, बंगाल में सबसे ज्यादा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

51 ShaktiPeeth Name: सनातन धर्म में देवी शक्तिपीठों की खास मान्यता है। 

दिलचस्प बात यह है कि ये शक्तिपीठ सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अलग-अलग देश में भी हैं।

शक्तिपीठों की संख्या

वैसे तो 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं लेकिन अलग-अलग ग्रंथों में शक्तिपीठों की संख्या अलग है।

भागवत पुराण के अनुसार मां शक्ति के 108 शक्तिपीठ हैं, तो काली पुराण में 26 शक्तिपीठ बताए गए हैं।

शिवचरित्र में 51 तो दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई हैं। 

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कैसे हुई शक्तिपीठों की स्थापना 

माता सती का अपमान और शिव का हाहाकार

पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। 

इस पर एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। 

माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ ने उन्हें वहां जाने से मना किया था।

राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया।

पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। 

भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। वह माता सती का शव लेकर तांडव करने लगे। 

ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। 

माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए। 

इसके बाद देवी के प्रतीक स्वरूप इन सभी शक्तिपीठों की पूजा होने लगी और इनकी मान्यताएं बेहद खास हैं।

51 Shakti peeth name
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कहां कहां स्थित हैं शक्तिपीठ और क्या है उनके नाम

1. मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 

यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी। यहां माता के विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप की पूजा होती है।

2. माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज 

इलाहाबाद स्थित इस जगह पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां माता ललिता के नाम से जानी जाती हैं।

3. माता शिवानी- रामगिरी ( चित्रकूट)

उत्तर प्रदेश में माता सती का दायां स्तन गिरा था। इस स्थान पर माता शिवानी के रूप में पूज्यनीय हैं।

4. वृंदावन – उमा शक्तिपीठ 

इसे कात्यायनी शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं। यहां माता के बाल के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे।

5. देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर 

यहां माता का बायां स्कंध गिरा था। इस शक्तिपीठ में माता मातेश्वरी के रूप में विराजमान हैं।

6. हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश 

यहां देवी के दो शक्तिपीठ हैं। इनमें से एक हरसिद्धी देवी शक्तिपीठ है, जहां माता सती की कोहनी गिरी थी।

7. शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ- मध्यप्रदेश 

अमरकंटक में माता का दया नितंब गिरा था। यहां पर नर्मदा नदी का उद्गम होने के कारण यहां माता को नर्मता स्वरूप में पूजा जाता है।

8. नैना देवी मंदिर- हिमाचल प्रदेश 

बिलासपुर में शिवालिक पर्वत पर देवी सती की आंख गिरी थी। यहां माता देवी महिष मर्दिनी कही जाती हैं।

9. ज्वाला जी शक्तिपीठ- हिमाचल 

कांगड़ा में देवी की जीभ गिरी थी, इस कारण इसका नाम सिधिदा या अंबिका पड़ा।

10. त्रिपुरमालिनी माता शक्तिपीठ- पंजाब 

जालंधर में छावनी स्टेशन के पास माता का बायां स्तर गिरा था।

11. मां महामाया कश्मीर

अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर में माता सती का गला गिरा था, यहां महामाया की पूजा होती है।

12. मां सावित्री शक्तिपीठ हरियाणा

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता के पैर की एड़ी गिरी थी। यहां माता सावित्री का शक्तिपीठ स्थित है

13. मणिबंध- राजस्थान 

अजमेर के पुष्कर में गायत्री पर्वत पर माता सती की दो पहुंचियां गिरी थीं। यहां माता के गायत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।

14. बिरात- राजस्थान 

यहां माता अंबिका का मंदिर है। यहां माता सती के बाएं पैर की उंगलियां गिरी थीं।

15. अंबाजी मंदिर- गुजरात 

यहां माता अम्बाजी का मंदिर है। मान्यता है कि यहां माता का हृदय गिरा था।

16. मां चंद्रभागा गुजरात 

जूनागढ़ में देवी सती का आमाशय गिरा था। यहां माता को चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।

17. भ्रामरी देवी महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। उसके बाद यहां देवी के भ्रामरी स्वरूप की पूजा होने लगी।

18. माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ 

त्रिपुरा में उदरपुर के राधाकिशोरपुर गांव में है। इस स्थान पर माता का दायां पैर गिरा था। यहां माता को देवी त्रिपुर सुंदरी कहलाती हैं।

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भारत में बंगाल में माता के सबसे अधिक शक्तिपीठ 

19. पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक स्थित विभाष में देवी कपालिनी का मंदिर है। यहां माता की बायीं एड़ी गिरी थी।

20. बंगाल के हुगली में रत्नावली में माता सती का दायां कंधा गिरा था। इस मंदिर में माता को देवी कुमारी नाम से पुकारा जाता है।

21. मुर्शीदाबाद के किरीटकोण ग्राम में देवी सती का मुकुट गिरा था। यहां माता का शक्तिपीठ है और माता के विमला स्वरूप की पूजा की जाती है।

22. जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल में सालबाढ़ी गांव में माता का बायां पैर गिरा था। इस स्थान पर माता के भ्रामरी देवी के रूप की पूजा की जाती है।

23. बहुला देवी शक्तिपीठ- 

वर्धमान जिले के केतुग्राम इलाके में माता सती का बायां हाथ गिरा था।

24. मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ – 

वर्धमान जिले के उज्जनि में माता का शक्तिपीठ है। यहां माता की दायीं कलाई गिरी थी।

25. पश्चिम बंगाल के वक्रेश्वर में देवी सती का भ्रूमध्य गिरा था। इस स्थान पर माता को महिषमर्दिनी कहा जाता है।

26. नलहाटी शक्तिपीठ- 

बीरभूम के नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी।

27. फुल्लारा देवी शक्तिपीठ- 

पश्चिम बंगाल के अट्टहास में माता सती के होंठ गिरे थे। यहां माता फुल्लारा देवी कहलाती हैं।

28. नंदीपुर शक्तिपीठ- 

पश्चिम बंगाल में माता सती का हार गिरा था। यहां मां नंदनी की पूजा की जाती है।

29. युगाधा शक्तिपीठ-

वर्धमान जिले के ही क्षीरग्राम में माता के दायें हाथ का अंगूठा गिरा। इस स्थान पर माता का शक्तिपीठ बन गया, जहां उन्हें देवी जुगाड्या के नाम से पुकारा जाता है।

30. कलिका देवी शक्तिपीठ-

कालीघाट में माता के दाएं पैर की अंगूठा गिरा था। वे मां कालिका के नाम से यहां जानी जाती हैं।

31. कांची देवगर्भ शक्तिपीठ- 

पश्चिम बंगाल के कांची में देवी की अस्थि गिरी थीं। यहां माता देवगर्भ रूप में स्थापित हैं।

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अब बात करते हैं दक्षिण भारत के शक्तिपीठ की

32. भद्रकाली शक्तिपीठ- तमिल नाडु 

यहां माता की पीठ गिरी थी। इस स्थान पर माता का कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर और कुमारी मंदिर स्थित है। उन्हें श्रवणी नाम से पुकारा जाता है।

33. शुचि शक्तिपीठ- 

तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास शुचि तीर्थम शिव मंदिर स्थित है। यहां भी माता का शक्तिपीठ है, जहां उनकी ऊपरी दाढ़ गिरी थी। माता को यहां नारायणी नाम मिली है।

34. विमला देवी शक्तिपीठ- 

उड़ीसा के उत्कल में देवी की नाभि गिरी थी। यहां माता विमला नाम से जानी जाती हैं।

35. सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ-

आंध्र प्रदेश में दो शक्तिपीठ हैं। एक सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ, जहां माता के गाल गिरे थे। इस स्थान पर भक्त माता के राकिनी और विश्वेश्वरी स्वरूप की पूजा करते हैं।

36. श्रीशैलम शक्तिपीठ-

आंध्र में ही दूसरी शक्तिपीठ कुर्नूर जिले में है। श्रीशैलम शक्तिपीठ में माता सती के दाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां माता श्री सुंदरी के नास में स्थापित हैं।

37. कर्नाट शक्तिपीठ- 

कर्नाटक में देवी सती के दोनों कान गिरे थे। इस स्थान पर माता का जय दुर्गा स्वरूप पूज्यनीय है।

38. कामाख्या शक्तपीठ- 

प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गुवाहाटी के नीलांतल पर्वत पर स्थित कामाख्या जी है। कामाख्या में माता की योनि गिरी थी। यहां माता के कामाख्या स्वरूप की पूजा होती है।

39. मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर- हरियाणा 

कुरुक्षेत्र में माता का दायां टखना गिरा था। यहां मां भद्रकाली के स्वरूप की पूजा होती है।

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अब बात करते हैं विदेशों में स्थित शक्तिपीठ की 

भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तिब्बत और नेपाल में भी माता के शक्तिपीठ है।

40. चट्टल भवानी शक्तिपीठ- बांग्लादेश 

चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर चट्टल भवानी शक्तिपीठ है। यहां माता सती की दायीं भुजा गिरी थी।

41. सुगंधा शक्तिपीठ- बांग्लादेश 

शिकारपुर से 20 किमी दूर माता की नासिका गिरी थी। इस शक्तिपीठ में माता को सुगंधा कहा जाता है। इस शक्तिपीठ का एक अन्य नाम उग्रतारा शक्तिपीठ है।

42. जयंती शक्तिपीठ -बांग्लादेश 

सिलहट जिले में जयंतिया परगना में माता की बाईं जांघ गिरी थी। यहां माता देवी जयंती नाम से स्थापित हैं।

43. श्रीशैल महालक्ष्मी -बांग्लादेश 

सिलहट जिले में माता सती का गला गिला था। इस शक्तिपीठ में महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है।

44. यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ -बांग्लादेश 

खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है, जहां मां सती की बाईं हथेली गिरी थी।

45. इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका 

जाफना नल्लूर में देवी की पायल गिरी ती। इस शक्तिपीठ को इन्द्राक्षी कहा जाता है।

46. गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल

पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे यह शक्तिपीठ है। यहां मां सती के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति के महामाया या महाशिरा रूप की पूजा होती है।

47. आद्या शक्तिपीठ- नेपाल 

गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता के गंडकी चंड़ी स्वरूप की पूजा होती है।

48. दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल

बिजयापुर गांव में माता सती के दांत गिरे थे। इस कारण इस शक्तिपीठ को दन्तकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

50. मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत

मानसरोवर नदी के पास माता सती की दाईं हथेली गिरी थी। यहां उन्हें माता दाक्षायनी कहा जाता है। माता यहां एक शिला के रूप में स्थापित हैं।

51. मिथिला शक्तिपीठ-  नेपाल 

भारत नेपाल सीमा पर माता सती का बायां कंधा गिरा था। यहां माता को देवी उम कहा जाता है।

52. हिंगुला शक्तिपीठ- पाकिस्तान 

बलूचिस्तान में देवी का हिंगुला शक्तिपीठ है। इस शक्तिपीठ में माता को हिंगलाज देवी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था।

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