Matru Navami 2024: पितृपक्ष में मातृ नवमी तिथि ऐसी होती है जो महिला पितरों को समर्पित होती है।
मातृ नवमी को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। जो इस साल 25 सितंबर को होगी।
इस दिन उन महिला पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो या फिर जिनकी मृत्यु तिथि मालूम न हो।
पितृपक्ष में मातृ नवमी का खास महत्व है और इस दिन किए गए श्राद्ध को लेकर भी विशेष मान्यताएं हैं।
आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ…
मातृ नवमी का महत्व (Significance of Matru Navami)
मातृ नवमी पर मृत माताओं, मृत पत्नियों, मृत बहनों, मृत बेटियों और किसी भी मृत महिलाओं का श्राद्ध करना बहुत शुभ माना जाता है।
साथ ही इस दिन उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिनकी मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो।
मातृ नवमी के दिन उन माताओं का श्राद्ध भी किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि मालूम ना हो।
साथ ही इस दिन मृत्यु तिथि के अलावा नवमी तिथि का भी माताओं का श्राद्ध किया जा सकता है।
क्यों कहते हैं सौभाग्यवती श्राद्ध (Why is it called Saubhagyavati Shradh)
नवमी तिथि के श्राद्ध तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है।
गरुण पुराड़ के अनुसार मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को धन, सुख-शांति, ऐश्वर्य और संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है और सौभाग्य हमेशा बना रहता है।
इस दिन घर की पुत्र वधुओं को व्रत भी करना चाहिए।
दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध के दौरान पंचबलि (देवता, पूर्वज, आत्माएं, मनुष्य और ब्राह्मण) के लिए भोजन अवश्य निकालना चाहिए।
मातृ नवमी पर पढ़ें गीता का नौवां अध्याय (Read the ninth chapter of Gita)
- मातृ नवमी के दिन ब्राह्मण भोज के अलावा गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी भोजन अवश्य कराना चाहिए, ताकि सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
- इस दिन घर की महिलाओं को मुख्य द्वार पर रंगोली बनानी चाहिए और घर के दक्षिण दिशा में पितरों की पूजा करनी चाहिए।
- साथ ही तुलसी की पत्तियां अर्पित करें और आटे का बड़ा दीपक बनाकर तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- श्राद्ध कर्ता को इस दिन भगवत गीता के नवें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए।
- महिला पितरों का श्राद्ध कर्म दोपहर के 12 बजे के आसपास करना चाहिए।
मातृ नवमी का श्राद्ध करने से मिलते हैं ये फल
- मातृ नवमी का श्राद्ध करने से कुल वंश में वृद्धि होती है।
- दिवंगत महिलाओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- नवमी तिथि माता दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है इसलिए इस तिथि को अक्षय फल देने वाली कही जाती है।
मातृ नवमी के दिन करें यह काम (Do this work on the day of Maatru Navami)
- मातृ नवमी के दिन तुलसी पूजन जरूर करें
- पितरों से जुड़े जो भी कार्य आप कर रहे हों, उनमें तांबे के बर्तनों का ही प्रयोग करें।
- इस दिन किसी महिला का अपमान करने से बचना चाहिए।
- साथ ही इस दिन गरीब व जरूरतमंद सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान जैसे लाल साड़ी, चूड़ियां, सिंदूर आदि चीजों का दान करना चाहिए।
- घर पर आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए।
- मातृ नवमी के दिन पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी कर सकते हैं।
- नवमी तिथि इस बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन लौकी की सब्जी ना खाएं और ना खिलाएं।
- इस दिन महिला पितरों को याद करते हुए उनके नाम का दान अवश्य करना चाहिए।