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Mohini Ekadashi 2024: श्रीराम ने भी किया था ये व्रत, जानें क्यों कहा जाता है इसे मोहिनी एकादशी

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Mohini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अलग ही महत्व है, कहते हैं एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है और उसे किसी संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। साल भर में 24 एकादशियां पड़ती हैं जिसमें मोहिनी एकादशी बहुत शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा होती है।

विष्णु भगवान का मोहिनी रूप शक्ति और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों का नाश होता है। इस एकादशी का व्रत करने से मोह-माया के बंधन खत्म हो जाते हैं। यह व्रत सब प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला व्रतों में उत्तम व्रत है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पाकर विष्णुलोक को जाते हैं।

क्यों लिया था भगवान ने मोहिनी अवतार
शास्त्रों के अनुसार मोहिनी, भगवान विष्णु का अंश अवतार थी। समुद्र मंथन के दौरान जब सागर से अमृत कलश निकला, तो राक्षसों और देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद हुआ कि अमृत कौन पिएगा। राक्षसों को अमृत न मिल जाए इसलिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब अमृत कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए विष्णु जी ने मोहिनी नाम की सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। मोहिनी ने अपनी सुंदरता से सभी राक्षसों को मोहित कर दिया और देवताओं को अमृत पिला दिया।

Mohini Ekadashi

क्यों होती है मोहिनी अवतार की पूजा
जिस दिन ये घटना हुई थी वो शुभ दिन वैशाख शुक्ल एकादशी का था, इसीलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। राजा युधिष्ठिर और भगवान श्रीराम ने भी ये व्रत रखा था।

श्रीराम ने भी किया था ये व्रत
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीराम ने महर्षि वशिष्ठ से कहा कि गुरुवर, सीता जी के वियोग में मैंने बहुत कष्ट भोगे हैं, इन कष्टों का निवारण कैसे होगा। इसका कोई उपाय बताएं। तब ऋषि ने श्रीराम जी को मोहिनी एकादशी का महत्व बताते हुए इस व्रत को करने को कहा था। इस उपवास के प्रभाव से मनुष्य मोह के जाल से मुक्त हो जाता है। ऋषि बोले दुखी मनुष्य को इस एकादशी का उपवास अवश्य ही करना चाहिये। इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

18 या 19 मई, कब है मोहिनी एकादशी?
पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 18 मई को सुबह 11.22 से शुरू होकर 19 मई 2024 को दोपहर 01.50 तक रहेगी।
शास्त्रों में एकादशी व्रत सूर्योदय से मान्य होता है, इसलिए मोहिनी एकादशी 19 मई, रविवार को मनाई जाएगी।

Mohini Ekadashi

मोहिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त
विष्णु पूजा मुहूर्त- सुबह 07.10 से दोपहर 12.18 तक
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:05 से 04:47 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:50 से दोपहर 12:45 तक
गोधूलि मुहूर्त- रात 07:06 से रात 07:27 तक
अमृत काल- रात 08:33 से रात 10:20 तक

मोहिनी एकादशी का दान
-इस दिन स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान, गोदान, जल दान, जूते, छाता, फल के दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
-ये व्रत 1000 गोदान करने के समान फल देता है।

मोहिनी एकादशी की पूजा-विधि
-एकादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें।
-मोहिनी स्वरुप को मन में ध्यान करते हुए रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि भगवान विष्णु को अर्पित करें।
-फिर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें।
-इस दिन ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है।
-इस दिन भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्धेष की भावनाओं से दूर रहकर, श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करना चाहिए।
-द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।

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