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Motion Sickness: आपको भी ट्रैवल करने से लगता है डर, ये है सफर में चक्कर-उल्टियां आने की वजह

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Motion Sickness: कार, बस, ट्रेन या प्लेन में सफर के दौरान कुछ लोगों को चक्कर आते हैं या उल्टियां होती है।

ट्रैवेलिंग के समय अगर आप भी ऐसा कुछ अनुभव करते हैं तो इसकी वजह मोशन सिकनेस हैं।

ये कोई बीमारी नहीं है और आप कुछ बातों ध्यान रख कर इससे बचाव कर सकते हैं।

आईए जानतें हैं मोशन सिकनेस क्या है?

मोशन सिकनेस का खतरा किसे ज्यादा रहता है?

मोशन सिकनेस से बचाव और इलाज के बारे में जानिए।

Motion Sickness क्या है और किसे होता है

मोशन सिकनेस कोई बीमारी नहीं बल्कि एक कंडीशन है।

ये बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है।

अक्सर मोशन सिकनेस के कारण बहुत बार लोगों को ट्रैवल करने से भी डर लगता है।

दरअसल मोशन सिकनेस में शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम कन्फ्यूज हो जाता है।

जब हमारा शरीर हिल रहा होता है तो ब्रेन को आंखों, जॉइंट्स और कान के अंदरूनी हिस्से से सिग्नल मिलता है कि हमारे शरीर की पोजिशन इस वक्त क्या है।

लेकिन, जब इन तीनों में से किसी एक के भी सिग्नल में गड़बड़ी होती है या कोऑर्डिनेशन नहीं होता है।

Motion Sickness
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ऐसे हालात में ब्रेन मूवमेंट ठीक तरह से पहचान नहीं पाता है, जिससे मोशन सिकनेस होती है।

इस कारण उल्टी या चक्कर आने का एहसास होता है।

कार, प्लेन, बस, ट्रेन या पानी के जहाज में बैठने पर अक्सर ऐसा अनुभव होता है।

कुछ लोग वीडियो गेम और वर्चुअल रिएलिटी गेम खेलते समय भी वर्चुअल इसका शिकार हो जाते हैं।

आमतौर पर मोशन सिकनेस के लक्षण यात्रा के तुरंत बाद या यात्रा के दौरान देखने को मिलते हैं।

इन लक्षणों की गंभीरता हर एक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है।

जानिए Motion Sickness के लक्षण के बारे में – 

Motion Sickness
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Motion Sickness का खतरा किसे ज्यादा होता है

वैसे तो मोशन सिकनेस की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है।

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  • 2 से 12 साल के बच्चें क्योंकि उनके ब्रेन और देखने के सिस्टम के बीच समन्वय की क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, इस वजह से उन्हें भी मोशन सिकनेस होने की संभावना अधिक रहती है।
  • माइग्रेन, एंग्जाइटी, स्ट्रेस जैसी हेल्थ कंडीशंस से जूझ रहे लोगों को मोशन सिकनेस की समस्या अधिक होती है।
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  • जिन लोगों को बहुत ज्यादा लंबी दूरी की यात्रा करने की आदत नहीं है, उन्हें भी मोशन सिकनेस हो सकती है।
  • बोट या फ्लाइट में यात्रा करने वालों को मोशन सिकनेस की आशंका अधिक होती है क्योंकि यह चीजें काफी तेज गति से चलती हैं।
  • शराब या नशीली दवाओं का सेवन करने वाले ज्यादातर लोग मोशन सिकनेस का शिकार होते हैं।
  • वाहन में खराब वेंटिलेशन होना भी मोशन सिकनेस का कारण बन सकता है।

Motion Sickness: बचाव के लिए टिप्स – 

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यहां विस्तार से पढ़ें मोशन सिकनेस से बचाव के उपाय के बारे में –

  • मोशन सिकनेस के प्रभाव को कम करने के लिए सही सीट चुनें।
  • बस में ड्राइवर के पास आगे की विंडो सीट पर बैंठे।
  • कार में फ्रंट पैसेंजर, ट्रेन में विंडो सीट और हवाइ जहाज में विंग सेक्शन में बैंठे।
  • भोजन यात्रा से कुछ घंटे पहले कर लें और ज्यादा चाय-कॉफी पीने से बचें।
  • ट्रैवलिंग से पहले हैवी खाना ना खाएं, भोजन हल्का हो, तला-भुना या मसालेदार ना हो।
  • खाली पेट यात्रा करने से बचें इससे एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।
  • कार, बस या ट्रेन में खिड़की के शीशे खोल दें और ताजी हवा लें।
  • फ्लाइट में होने पर एयर वेंट या ओवरहेड वेंट को अपनी दिशा में करें।
  • बोट या पानी के जहाज में जहाज के उपर डेक में बिल्कुल बीच वाली सीट पर बैंठे।
Motion Sickness
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  • अगर किताब, फोन या टैबलेट पर कुछ पढ़ रहे हैं तो उसे बंद कर दें।
  • बहुत नजदीक की चीजें न देखें, दूर की चीजों, दृश्य की ओर देखने का प्रयास करें।
  • सीट को पीछे की ओर झुकाएं और आंखें बंद करें, इससे शरीर स्थिर रहता है और अस्थिरता कम होती है।
  • बेहतर महसूस करने के लिए कैंडी, अदरक या पेपरमिंट खाएं, ये मतली की फीलिंग को कम करता हैं।
  • ट्रैवलिंग के दौरान वीडियो गेम न खेलें, आंखें बंद कर और सिर झुकाकर सिर्फ रेस्ट करें।
  • बय या गाड़ी में पीछे की सीट पर और वाहन के विपरीत दिशा में मुंह करके ना बैंठे।

Motion Sickness का इलाज – 

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मोशन सिकनेस के लक्षणों को पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन इन टिप्स की मदद से आप इसे कम कर सकते हैं।

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