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Navratri Durga Ashtami: महादेव की कृपा से महागौरी बनीं माता पार्वती, इसलिए पसंद है गुलाबी रंग

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Durga Ashtami Maa Mahagauri: नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गाष्टमी कहा जाता है, इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी, शिव जी की अर्धांगिनी हैं।

साथ ही बाल कन्याओं की पूजा की जाती है और उनको भोजन कराया जाता है।

इस दिन लोग गुलाबी रंग के कपड़े पहनते हैं, क्योंकि मां गौरी को ये रंग बेहद प्रिय है।

तो आइए जानते हैं मां महागौरी की कथा और क्यों उन्हें पसंद है गुलाबी रंग, साथ ही जानेंगे माता की सवारी के बारे में…

कैसे महागौरी बनी माता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।

यह तपस्या लगभग 12 हजार वर्षों तक चली, जिसमें माता ने केवल बेलपत्र को ही भोजन के रूप में ग्रहण किया।

उनकी घोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए, जिससे माता का तप पूर्ण हुआ।

जब भगवान शिव ने माता पार्वती को देखा, तो वे प्रसन्न भी हुए और दुखी भी, क्योंकि दीर्घकालीन तपस्या के कारण माता का तेज क्षीण हो गया था।

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भगवान शिव ने अपनी शक्ति से माता को दिव्य कांति प्रदान की, जिससे उनका सौंदर्य अद्भुत हो गया।

इस दिव्य स्वरूप को ही महागौरी के नाम से जाना जाता है।

इसी घटना के बाद से मां महागौरी की सौंदर्य की देवी के रूप में पूजा की जाने लगी।

मान्यता है कि मां महागौरी की आराधना करने से न केवल सौंदर्य की प्राप्ति होती है,

बल्कि व्यक्ति के आंतरिक दोष भी समाप्त हो जाते हैं, और जीवन में शांति व सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कैसा है महागौरी का स्वरूप

  • महागौरी शांति, सौंदर्य और करुणा का प्रतीक हैं। उनका रंग सफेद है, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है।
  • मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके आभूषण भी सफेद होते हैं जिस वजह से उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है।
  • मां की चार भुजाएं हैं। एक हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो दूसरे हाथ में त्रिशूल है। एक हाथ में डमरू और एक हाथ वर मुद्रा में रहता है।
  • मां महागौरी का पसंदीदा फूल फूल मोगरा है। 
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  • मां महागौरी का वाहन वृषभ यानि बैल है। इसलिए मां को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
  • मां शांत मुद्रा में रहती हैं और मां का स्वरूप सौम्य नजर आता है।
  • कहा जाता है कि उनकी उपासना करने से सभी पाप और दुख समाप्त हो जाते हैं, और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

मां महागौरी के पूजा मंत्र

ॐ देवी महागौर्यै नमः
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

क्यों पहनते हैं इस दिन गुलाबी रंग

नवरात्रि के आठवें दिन गुलाबी रंग के कपड़े पहनने की मान्यता हैं। क्योंकि मां महागौरी को गुलाबी रंग बहुत ही पसंद है।

मां गौरी को गुलाबी रंग इसलिए प्रिय है क्योंकि यह रंग प्रेम, स्नेह, करुणा, सद्भाव और शांति का प्रतीक है, जो मां के शांत और दयालु स्वभाव को दर्शाता है।

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गुलाबी रंग मन को शांति देने का भी काम करता है।

मां महागौरी का प्रिय भोग

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा में नारियल या नारियल से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

भक्त नारियल की बर्फी, नारियल के लड्डू आदि अर्पित कर सकते हैं, जिससे माता प्रसन्न होती हैं।

इसके अलावा, खीर, दूध की बर्फी, मालपुआ, नारियल के लड्डू जैसे अन्य मिष्ठान भी माता को भोग स्वरूप अर्पित किए जा सकते हैं।

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मान्यता है कि मां महागौरी को यह प्रसाद अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

कन्या पूजन का महत्व

अष्टमी के दिन व्रत रखकर कन्या पूजन करने और मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को आत्मिक एवं मानसिक बल की प्राप्ति होती है।

इस दिन कम से कम 2 कन्या और एक बालक को कन्या पूजा में शामिल करें। पहले उनका स्वागत और आदर-सत्कार करें।

फिर अक्षत्, फूल, माला, चंदन, रोली आदि से उनकी पूजा करें और फिर प्रेम पूर्वक शुद्ध भोजन कराएं।

भोजन के बाद उपहार और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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