Maa Patal Bhairvi Mandir Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले में मां पाताल भैरवी का भव्य मंदिर जो रायपुर से करीब 70 किमी दूर है।
यहां पर भगवान शिव का विशाल शिवलिंग और नंदी की एक विशाल मूर्ति है, जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
नवरात्रि पर यहां भक्तों का ताता लगा रहता है। कहते हैं यहां माता से जो भी मांगो वो मिल जाता है।
आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…
तीन मंजिलों में बना मंदिर
पुराणों और ग्रंथों के मुताबिक माता काली रौद्र रूप में जमीन के भीतर रहती थीं। इसीलिए इस मंदिर को पाताल भैरवी कहा जाता है।
मंदिर का निर्माण साल 1998 में हुआ था। मां पाताल भैरवी का ये मंदिर तीन मंजिल में बना हुआ है।
पाताल भैरवी मंदिर की छत पर एक विशालकाय शिवलिंग स्थापित है जो कई किमी दूर से ही नजर आता है।
शिवलिंग के सामने ही नंदी महाराज की विशाल मूर्ति हैं।
मंदिर के शीर्ष पर भगवान शिव की मूर्ति हैं और 12 ज्योर्तिलिंग के प्रतिरूप भी स्थापित हैं।
दूसरी मंजिल पर त्रिपुर सुंदरी के रुप में मां दुर्गा विराजमान हैं।
मंदिर के निचले हिस्से में पाताल भैरवी माता का मंदिर है, जहां उनकी विशाल मूर्ति है।
15 फीट ऊंची मूर्ति, वजन 11 टन
मंदिर की खास बात ये है कि यहां गर्भगृह में मां काली 15 फीट ऊंची मूर्ति है, जिसका वजन करीब 11 टन बताया जाता है।
माता का ये रूप काफी विकराल है।
देवी काली मां दुर्गा का ही स्वरूप है, जो रक्तबीज नामक राक्षस का संहार करने के लिए प्रकट हुईं थीं।
शरद पूर्णिमा पर बनती है औषधीय खीर
मां पाताल भैरवी मंदिर में शरद पूर्णिमा के दिन औषधि युक्त खीर बनाई जाती है।
जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई इस खीर को खाने से दमा, अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियों में फायदा होता है।
खीर का सेवन करने रात आठ बजे से भीड़ जुट जाती है। आधी रात के बाद खीर का प्रसाद भक्तों को बांटा जाता है।
सावन मास में होती है विशेष पूजा
इस मंदिर का निर्माण शिवलिंग के आकार में किया गया है, जो कि अपने आप में अनूठा है।
सावन महीने में भक्त यहां दूर-दूर से मां पाताल भैरवी मंदिर पहुंचते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।