Nipah Virus Infection: केरल के मलप्पुरम में निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित 14 साल के किशोर की मौत हो गई।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि निपाह से संक्रमित लड़के का इलाज कोझिकोड में चल रहा था और 21 जुलाई को हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किशोर को 20 जुलाई को निपाह पॉजिटिव पाया गया था और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था।
उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का डोज दिया जाना था। दवा जब तक पुणे से कोझिकोड पहुंचती, उससे पहले ही उसकी जान चली गई।
यह राज्य में इस साल निपाह वायरस से होने वाली पहली मौत है। इसके बाद से राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ गई है।
मृत किशोर के परिजनों को आइसोलेशन और निगरानी में रखा गया है। किशोर के परिवार का एक सदस्य भी ICU में है।
5वीं बार फैला संक्रमण (Nipah Virus Infection) –
साल 2018 के बाद से यह 5वीं बार है कि केरल में निपाह वायरस का संक्रमण फैला है।
निपाह वायरस का पहला मामला सबसे पहले साल 2018 में सामने आया था।
फिर 2019, 2021, 2023 और अब 2024 में इसके मामले सामने आए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, निपाह एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरों और इंसानों दोनों में फैलता है।
संक्रमित जानवरों या उनके शरीर से निकले यूरिन या लार के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है।
संक्रमित चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित फल खाने से भी यह इंसानों में फैल सकता है।
कई बार सामने आया है कि यह सुअर, बकरी, घोड़े और कुत्तों के जरिये भी फैल सकता है।
निपाह वायरस से संक्रमण से मृत्यु दर 40% से 75% तक है। हालांकि भारत में यह मृत्यु दर और ज्यादा है।
लक्षण (Nipah Virus Infection) –
निपाह वायरस का संक्रमण होने पर लक्षण आमतौर पर 4 से 14 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं।
सबसे पहले बुखार-सिरदर्द होता है। फिर खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या होना शुरू हो जाती हैं।
गंभीर मामलों में व्यक्ति को ब्रेन इंफेक्शन भी हो सकता है जिससे सिर में सूजन यानी इंसेफ्लाइटिस के लक्षण दिख सकते हैं।
मेडिकल तौर पर यह कंडीशन काफी खतरनाक मानी जाती है और कई दफा इससे मौत भी हो सकती है।
फैलाव के कारण (Nipah Virus Infection) –
निपाह वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है, लेकिन यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है।
इसीलिए संक्रमित व्यक्ति का इलाज करते समय देखभाल करने वालों के लिए PPE किट पहनना जरूरी होता है।
इसका संक्रमण इतना खतरनाक है कि सांस से निकली छोटी बूंदों से भी यह फैल सकता है।
इसका मतलब है कि अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो वायरस हवा के जरिये फैल सकता है।
केरल में बार-बार क्यों फैल रहा (Nipah Virus Infection) –
चमगादड़ या फ्रूट बैट निपाह वायरस के सबसे बड़े वाहक हैं जो किसी फल को चखते हैं, उसमें दांत लगा देते हैं तो उसके जरिये निपाह इंसानों तक पहुंचता है।
फ्रूट बैट के सलाइवा और यूरिन से भी वायरस फैलता है। निपाह जानवरों से इंसानों में तो फैलता ही है, साथ ही इंसानों से भी इंसानों में फैलता है।
यदि कोई व्यक्ति निपाह संक्रमित मरीज के नजदीकी संपर्क में आता है तो उसे संक्रमण होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
केरल में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती होती, जो चमगादड़ों का पसंदीदा है।
चमगादड़ खजूर का फल खाते हैं, उसमें दांत लगाते हैं, सलाइवा या यूरिन करते हैं तो ये संक्रमित हो सकता है।
यह फल कोई दूसरा जानवर या इंसान खा ले तो उसका निपाह वायरस से संक्रमित होना तय है।
केरल सरकार ने लोगों से चमगादड़ों के रहने के स्थानों से छेड़छाड़ नहीं करने की सख्त हिदायत दी है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे में चमगादड़ नए बसेरे की तलाश में कई पेड़ों और फलों को संक्रमित कर सकते हैं।
पहली बार ऐसे चला पता (Nipah Virus Infection) –
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था।
इस गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह पड़ा है। उसी साल इसने सिंगापुर को भी प्रभावित किया।
सिंगापुर में ज्यादातर मानव संक्रमण बीमार सुअरों या उनके संक्रमित टिश्यूज के सीधे संपर्क में आने के कारण हुए।
जब संक्रमित सुअरों के संपर्क में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में बीमार पड़ने लगे तो जांच की गई।
जांच में सामने आया कि इस बीमारी के मूल स्रोत चमगादड़ थे और सुअरों में यह वायरस चमगादड़ों से ही फैला था।