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निर्जला एकादशी: इस व्रत से मिलेगा 24 एकादशियों का फल, महाबली भीम से है ये संबंध

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन निर्जला एकादशी का व्रत होता है। इस साल ये व्रत उदया तिथि के हिसाब से 18 जून को किया जाएगा।

मिलता है 24 एकादशियों का फल
इस व्रत को लेकर ये मान्यता है कि जो भी भक्त इस एक एकादशी के व्रत को पूरी श्रद्धा से करता है उसे 24 एकादशियों का फल एक साथ मिलता है। क्योंकि ये व्रत काफी कठिन है। इसमें जल का सेवन भी निषेध होता है।

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महाबली भीम ने भी किया था ये व्रत
द्वापर युग में पांच पांडवों में एक भीम ने भी अन्न-जल का त्यागकर इस एकादशी व्रत को रखा था। दरअसल, भीम को भूख बर्दाश्त नहीं होती है इसलिए वो व्रत वगैरह नहीं कर पाते थे।

कथाओं के अनुसार महर्षि व्यासजी ने भीम को निर्जला एकादशी के महत्व को समझाते हुए उनको यह व्रत करने की सलाह दी। जब वेदव्यास जी ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाली एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो कुंती पुत्र भीम ने पूछा-‘हे देव! मेरे पेट में तो वृक नामक अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे दिन में कई बार और बहुत अधिक भोजन करना पड़ता है । तो क्या में अपनी इस भूख के कारण पवित्र एकादशी व्रत से वंचित रह जाऊंगा?”।

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तब व्यास जी ने कहा-”हे कुन्तीनन्दन! धर्म की यही विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता वरन सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की सहज और लचीली व्यवस्था भी करता है। तुम केवल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। मात्र इसी के करने से तुम्हें साल भर की सारी एकादशियों का फल भी मिलेगा और तुम इस लोक में सुख-यश प्राप्त कर बैकुण्ठ धाम जाओगे”।

तभी से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है।

एकादशी तिथि
17 जून, सुबह 4:44 बजे से 18 जून, सुबह 6:25 बजे तक

पारण तिथि
19 जून, सुबह 5:24 से 7:29 बजे के बीच

करें भगवान विष्णु की पूजा

  • निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन विष्णु कवच का पाठ करें और पूरे ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का भी जाप करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप भी करें।
  • शाम को तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें।
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दान करें ये वस्तुएं
ज्येष्ठ मास में पड़ने के कारण इस दिन गर्मी से राहत देने वाली शीतल वस्तुओं का दान करना चाहिए।
इस दिन कपड़े, छाता, जूता और फल दान करना चाहिए।

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