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ओणम के दिन प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं राजा बलि, स्वागत में बनता है 26 पकवानों वाला साध्या

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Onam 2025: ओणम (Onam) केरल का सबसे महत्वपूर्ण और खुशियों भरा त्योहार है।

यह त्योहार न केवल फसल की कटाई का प्रतीक है, बल्कि यह एकता, समानता और उदारता के मूल्यों को भी दर्शाता है।

सभी धर्म और समुदाय के लोग इसे बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।

इस साल ओणम का त्योहार 26 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा।

इन दस दिनों के उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन 5 सितंबर है, जिसे थिरुवोणम (Thiruvonam) कहा जाता है।

ओणम का महत्व 

ओणम का त्योहार भाद्रपद या आश्विन माह में मनाया जाता है। यह नई फसल के आगमन का प्रतीक है।

इस दौरान लोग अपने घरों को फूलों की रंगोली (पूक्कलम) से सजाते हैं, नाव दौड़ (वल्लम कली), पारंपरिक नृत्य (कथकली, पुलिकली) और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

यह वह समय है जब परिवार के सदस्य दूर-दूर से एक-दूसरे से मिलने घर आते हैं और एकजुटता की भावना को मजबूत करते हैं।

ओणम क्यों मनाया जाता है? राजा बलि की पौराणिक कथा

ओणम का त्योहार महान दानवीर राजा बलि की स्मृति में मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि एक महान और दानी असुर राजा थे।

उनकी इतनी प्रसिद्धि और शक्ति बढ़ी कि उन्होंने तीनों लोकों (पृथ्वी, आकाश और पाताल) पर अपना अधिकार जमा लिया।

जब वह अपना 100वां यज्ञ कर रहे थे, तो देवताओं के राजा इंद्र घबरा गए और मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे।

भगवान विष्णु ने इंद्र की चिंता देखकर एक योजना बनाई।

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उन्होंने एक बौने ब्राह्मण (वामन) का रूप धारण किया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचे।

राजा बलि अपनी दानवीरता के लिए जाने जाते थे।

उन्होंने वामन रूपी भगवान विष्णु से कहा कि वे जो भी मांगना चाहें, मांग सकते हैं।

वामन रूप में भगवान विष्णु ने मांगे तीन पग जमीन

भगवान वामन ने राजा बलि से केवल तीन पग जमीन दान में मांगी। राजा बलि ने हां कर दी, भले ही उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें चेतावनी दी थी।

तब भगवान वामन ने अपना विराट रूप धारण किया।

उन्होंने एक पग में संपूर्ण पृथ्वी और दूसरे पग में आकाश नाप लिया। फिर उन्होंने पूछा कि तीसरा पग कहां रखें।

अपना वचन निभाते हुए, राजा बलि ने विनम्रता से अपना सिर आगे कर दिया।

भगवान विष्णु ने तीसरा पग उनके सिर पर रखा, जिससे वह पाताल लोक में चले गए।

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ओणम पर प्रजा से मिलने आते हैं राजा बलि

राजा बलि की दानशीलता और सत्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया और साथ ही यह वरदान दिया कि उन्हें साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति होगी।

मान्यता है कि ओणम का दिन वही है जब राजा बलि अपनी प्रजा के बीच आते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

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ओणम साध्या: केरल का स्वादिष्ट महाभोज

ओणम के दसवें दिन (थिरुवोणम) पर, राजा बलि के स्वागत में एक विशेष शाकाहारी भोजन तैयार किया जाता है, जिसे ओणम साध्या (Onam Sadhya) कहते हैं।

यह केवल भोजन नहीं, बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान है जो केरल की संस्कृति की झलक दिखाता है।

इसे केले के ताजे हरे पत्ते पर परोसा जाता है और लोग इसे हाथ से खाते हैं।

एक पारंपरिक साध्या थाली में 24 से 26 विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • सांभर: दाल और सब्जियों से बना एक खट्टा-मीठा व्यंजन।
  • अवियल: नारियल और दही में पकी मिश्रित सब्जियां।
  • थोरन: नारियल और मसालों के साथ बनी सूखी सब्जी।
  • रसम: एक काली मिर्च और टमाटर का रस।
  • परिप्पु करी: दाल की करी।
  • पायसम: चावल, दूध और गुड़ से बनी एक मीठी खीर।
  • पप्पडम (पापड़), अचार और केले के चिप्स।

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यह भोजन विभिन्न स्वादों – मीठा, खट्टा, नमकीन और कड़वे का एक सही मेल है।

यह केवल भोजन नहीं, बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान है जो केरल की संस्कृति की झलक दिखाता है।

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