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धनतेरस से शुरू हुआ पंचपर्व: दिवाली से भाईदूज तक, जानिए 5 दिन के शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री के बारे में

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Diwali 2025 Calendar: सनातन परंपरा में कार्तिक मास के इन पांच पवित्र दिनों को ‘पंचपर्व’ के नाम से जाना जाता है।

यह त्योहारों का एक ऐसा समूह है जो केवल उल्लास ही नहीं, बल्कि ग्रहों की शुभ ऊर्जा को जगाने और जीवन में समृद्धि लाने का भी अवसर प्रदान करता है।

साल 2025 में यह पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक चलेगा।

आइए, जानते हैं इन 5 दिनों का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और आवश्यक सामग्री के बारे में…

पंचपर्व की तिथियां

त्योहार तिथि मुख्य देवता / महत्व
धनतेरस 18 अक्टूबर, शनिवार धन्वंतरि, कुबेर, लक्ष्मी-गणेश
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) 19 अक्टूबर, रविवार यमराज, लक्ष्मी-गणेश
दीपावली (लक्ष्मी पूजन) 20 अक्टूबर, सोमवार मां लक्ष्मी, भगवान गणेश
गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर, बुधवार भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत
भाई दूज 23 अक्टूबर, बृहस्पतिवार भाई-बहन के अटूट रिश्ते

1. धनतेरस (18 अक्टूबर, 2025)

महत्व एवं पौराणिक आधार:

धनतेरस का त्योहार आरोग्य और धन-संपदा का प्रतीक है।

इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

इस दिन गुरु (बृहस्पति) और शुक्र ग्रह की शुभ ऊर्जा सक्रिय मानी जाती है, जो आयु और वैभव प्रदान करती है।

शुभ मुहूर्त:

  • पूजा का समय: शाम 07:11 बजे से रात 09:22 बजे तक

पूजन सामग्री:

  • लक्ष्मी-गणेश और कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर।
  • कुबेर यंत्र या श्री यंत्र।
  • नया बहीखाता (लेजर) और कलम।
  • पीतल का दीया, घी, बाती।
  • अक्षत, रोली, हल्दी, सिंदूर, गंगाजल।
  • पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची।
  • फल, फूल, माला और पीले या लाल रंग के नए वस्त्र।

विशेष उपाय:

  • इस दिन पीतल, चांदी या सोने जैसी धातु की खरीदारी अत्यंत शुभ मानी जाती है।
  • हल्दी या पीली वस्तु का दान करने से गुरु ग्रह अनुकूल होते हैं।
  • घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक जलाना चाहिए।

2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली (19 अक्टूबर, 2025)

महत्व एवं पौराणिक आधार:

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16,000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी।

इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

शुभ मुहूर्त:

  • पूजा का समय: शाम 05:13 बजे के बाद किसी भी शुभ समय में पूजा संपन्न की जा सकती है।

पूजन सामग्री:

  • गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति।
  • लकड़ी की चौकी, जनेऊ, कलावा (मौली)।
  • घी, रोली, चंदन, हल्दी, चावल।
  • धूपबत्ती, दीपक।
  • फूल, फल, मिठाई, खील-बताशे।

विशेष उपाय:

  • सूर्योदय से पहले उबटन लगाकर स्नान करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।
  • घर के चारों कोनों में तिल के तेल का दीपक जलाने से शनि और केतु से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।

3. दीपावली – लक्ष्मी पूजन (20 अक्टूबर, 2025)

महत्व एवं पौराणिक आधार:

कार्तिक अमावस्या की इस रात को मां लक्ष्मी ने धरती पर अवतार लिया था।

इस दिन भगवान राम भी 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। यह दिन शुक्र और चंद्रमा की ऊर्जा से जुड़ा है।

शुभ मुहूर्त:

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, दोपहर 03:44 बजे।
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर, सुबह 05:54 बजे।
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक।
  • प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक (पूजन के लिए सर्वोत्तम)।
  • वृषभ काल: रात 07:08 बजे से रात 09:03 बजे तक (धन प्राप्ति का समय)।

पूजन सामग्री:

  • गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र।
  • नया लाल कपड़ा, चौकी, कलश।
  • दीपक, घी, तेल, बाती।
  • गंगाजल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)।
  • सिंदूर, हल्दी, रोली, अक्षत, चंदन।
  • धूप, अगरबत्ती, फूल, माला।
  • मिठाई, पान, सुपारी।

विशेष उपाय:

  • मां लक्ष्मी के समक्ष घी और तेल दोनों के दीपक जलाएं।
  • शंखनाद और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से चंद्र व शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं।
  • घर में श्रीयंत्र स्थापित करना अत्यंत फलदायी रहता है।

4. गोवर्धन पूजा (22 अक्टूबर, 2025)

महत्व एवं पौराणिक आधार:

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।

इसलिए इस दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विशेष महत्व है।

शुभ मुहूर्त:

  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर, शाम 05:54 बजे।
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर, रात 08:16 बजे।
  • प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक।
  • सायंकाल पूजा मुहूर्त: दोपहर 03:29 बजे से शाम 05:44 बजे तक।

पूजन सामग्री:

  • गाय का गोबर (गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए)।
  • भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र।
  • पूजा की थाली, कलश में जल।
  • रोली, चावल, फूल, धूप, दीप।
  • मिठाई, दही, शहद, गंगाजल, फूल माला।
  • अन्नकूट (विभिन्न सब्जियों से बना भोग)।

विशेष उपाय:

  • गौ सेवा करना और अन्न का दान करना शुभ होता है।
  • मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करने से गुरु और शनि ग्रह अनुकूल होते हैं।

5. भाई दूज (23 अक्टूबर, 2025)

महत्व एवं पौराणिक आधार:

यह भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है।

कहा जाता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन कराया था। यह दिन चंद्र और बुध ग्रह से संबंध रखता है।

शुभ मुहूर्त:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर, रात 08:16 बजे।
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर, रात 10:46 बजे।
  • तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 01:13 बजे से 03:28 बजे तक।

पूजन सामग्री:

  • नारियल।
  • रोली, अक्षत, चंदन।
  • मौली धागा या कलावा।
  • दीपक, सुपारी, पान का पत्ता।
  • मिठाई।

विशेष उपाय:

  • बहनें रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • हरे रंग के फल या वस्त्र का दान करने से बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं।
  • भाई को चाहिए कि वह अपनी बहन को चांदी का कोई उपहार अवश्य दें।
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