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Paush Month: पौष माह में जरूर करें इन नियमों का पालन, देखें प्रमुख व्रत-त्यौहारों की पूरी लिस्ट

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Paush Month 2024: 16 दिसंबर से पौष महीने की शुरुआत हो चुकी है।

विक्रम संवत के अनुसार ये हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना होता है।

इस महीने में भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है।

हर महीने की तरह इस महीने के लिए भी कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।

तो आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में, साथ ही जानेंगे पौष माह के प्रमुख व्रत-त्यौहारों के बारे में…

सूर्य उपासना का विशेष महत्व

पौष महीने में भगवान सूर्य की उपासना का बड़ा महत्व है।

कहा जाता है कि पौष महीने में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं।

यही कारण है कि पौष महीने का भग नामक सूर्य साक्षात परब्रह्म का ही स्वरूप माना गया है।

शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है।

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पौष माह में न करें मांगलिक कार्य

मान्यता है कि पौष महीने में मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिय क्योंकि उनका शुभ फल नहीं मिलता। खासतौर से शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि।

इसका कारण यह भी है कि पौष महीने में सूर्य अधिकतर धनु राशि में रहते हैं, इसलिए इस महीने को धनुर्मास भी कहते हैं।

धनु संक्रांति से खरमास या मलमास भी लग जाता है। ज्योतिष शास्त्र में खरमास या मलमास को अच्छा नहीं माना जाता।

गुरु पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

धनु राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं।

अतः इस महीने में भले ही शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन गुरु उपासना से जुड़े कार्य जैसे- आध्यात्मिक कार्य, हवन, पूजा-पाठ या किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना इस दौरान शुभ फलदायी है।

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पौष माह के दौरान करें इन 10 नियमों का पालन

  1. पौष महीने के प्रत्येक रविवार को जल में लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र ‘ऊं सूर्याय नम:’ का जाप करें।
  2. जल तांबे के पात्र से ही चढ़ाएं।
  3. संभव हो तो रविवार के दिन सूर्यदेव के निमित्त व्रत भी करना चाहिए और तिल-चावल की खिचड़ी का दान करना चाहिए।
  4. व्रत का पारण शाम के समय किसी मीठे भोजन से करना चाहिए। इस व्रत में नमक का सेवन वर्जित है।
  5. पौष महीने के दौरान प्रत्येक रविवार को व्रत करने वाला व्यक्ति तेजस्वी बनता है।
  6. पौष माह में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि का दान करें।
  7. पौष महीने में सूर्यदेव के अलावा भगवान विष्णु की पूजा करें।
  8. इस माह पूजा के दौरान गीता पाठ अवश्य करें।
  9. भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस माह में ज्यादा से ज्यादा लाल या पीले रंग के कपड़े पहने।
  10. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस महीने पिंडदान भी कर सकते हैं।
  11. इस माह मांस-मदिरा का सेवन न करें।

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पौष महीने के त्योहार (Paush Mahine Ke Tyohar 2024)

  • 16 दिसंबर 2024- पौष मास प्रारंभ, धनु संक्रांति, खरमास शुरू
  • 18 दिसंबर 2024- संकष्टी गणेश चतुर्थी
  • 22 दिसंबर 2024- भानु सप्तमी
  • 23 दिसंबर 2024- रुक्मिणी अष्टमी
  • 25 दिसंबर 2024- पार्श्वनाथ भगवान जयंती
  • 26 दिसंबर 2024- सफला एकादशी, भगवान चंद्रप्रभु जयंती
  • 28 दिसंबर 2024 – शनि प्रदोष व्रत
  • 30 दिसंबर 2024- सोमवती और पौष अमावस्या
  • 1 जनवरी 2025- चंद्रदर्शन
  • 3 जनवरी 2025- विनायकी चतुर्थी, पंचक शुरू
  • 6 जनवरी 2025- गुरु गोकुलगास जन्मोत्सव, गुरु गोविंद सिंह जयंती
  • 7 जनवरी 2025- शाकंभरी यात्राकंभ, पंचक समापन
  • 10 जनवरी 2025- पुत्रदा एकादशी व्रत
  • 11 जनवरी 2025- रोहिणी व्रत, शनि प्रदोष,
  • 13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा, प्रयागराज कुंभ मेला, लोहड़ी उत्सव, शाकंभरी यात्रा समापन, माघ स्नान

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