Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व है।
देश भर में 17 सितबंर से पितृ पक्ष का आरंभ हो चुका है।
इस दौरान लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा और उनका तर्पण करते हैं।
लेकिन इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है वरना पितर नाराज भी हो सकते हैं।
पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में न करें शुभ कार्य
वैसे तो पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक काम की मनाही होती है जैसे शादी, गृह प्रवेश या मुंडन।
लेकिन इस दौरान कुछ खास चीजों को भी खरीदने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में न खरीदें ये चीजें
1. सरसों का तेल
पितृ पक्ष के दौरान सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए। वरना शनि का प्रकोप पीछा नहीं छोड़ेगा।
ऐसे में श्राद्ध पर्व शुरू होने से पहले ही सरसों का तेल खरीद लेना चाहिए।
2. झाड़ू
झाड़ू का संबंध धन की देवी मां लक्ष्मी से है और पितृ पक्ष या श्राद्ध में नई झाड़ू खरीदना गरीबी लाता है।
3. नमक
श्राद्ध पक्ष के दौरान नमक खरीदना भी वर्जित है।
बेहतर है कि श्राद्ध के भोजन या दान के लिए नमक दान करना है तो पहले ही खरीद लें।
अगर पितृ पक्ष के दौरान ये 3 चीजें खरीदें तो त्रिदोष लगता है।
इनके अलावा ये चीजें भी नहीं खरीदनी चाहिए…
4. नया घर
5. नई गाड़ी
6. जमीन
7. नए कपड़े
8. सोने या चांदी के गहने
9. नए जूते
पितृ पक्ष में खरीदीं ये चीजें तो होगा नुकसान
आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में ये सारी चीजें खरीदने से क्या नुकसान हो सकता है…
- श्राद्ध पक्ष में इन चीजों को खरीदना त्रिदोष का कारण बनता है।
- इन चीजों को खरीदने से पितृ नाराज होते हैं।
- जीवन में मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ती हैं।
- आर्थिक यानी पैसों की हानि होती है।
- नौकरी-व्यापार में तरक्की रुक जाती है।
- रिश्तों और सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
पितृ पक्ष के उपाय
1. पितृ पक्ष में स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है।
इस दौरान श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए सोमवार का व्रत रखें।
साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान दें।
पितृ पक्ष का समापन
पितृ पक्ष का समापन 2 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ होगा।
इस दौरान 16 तिथियां पड़ती है, जिसमें जातक अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं।
मान्यता है कि पूर्वजों का श्राद्ध करने पितर प्रसन्न होते हैं और दोष भी दूर होता है।
श्राद्ध के अंतिम तिथि को सर्वपितृ अमावस्या होती है, जिन लोगों को पूर्वजों की देहांत तिथि पता नहीं है वह इस दिन श्राद्ध कर्म करते हैं।
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