Homeलाइफस्टाइलRadha Ashtami 2024: इस कथा के बिना अधूरा है राधा अष्टमी का...

Radha Ashtami 2024: इस कथा के बिना अधूरा है राधा अष्टमी का व्रत, जानें इस दिन का महत्व

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Radha Ashtami 2024: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

इस साल राधा अष्टमी का त्यौहार 11 सितंबर को मनाया जा रहा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राधा रानी का जन्म श्री कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद हुआ था।

धूमधाम से मनाई जाती है राधा अष्टमी

इस दिन बरसाना समेत देशभर के राधा कृष्ण मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है।

इस शुभ अवसर के लिए बरसाना नगरी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।

इस दिन राधा रानी के संग भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है।

माना जाता है कि इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों का जीवन खुशियों से भर जाता है और किशोरी जी की कृपा प्राप्त होती है।

Radha Ashtami Vrat Katha, Radha Ashtami 2024, Happy Radha Ashtami,
Radha Ashtami 2024 Vrat katha

राधा अष्टमी पर लगाएं ये 5 तरह के भोग (Radha Ashtami bhog)

  • राधा अष्टमी के दिन राधा रानी को अरबी की सब्जी का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
  • राधा जी को पंचामृत का भोग भी जरूर लगाना चाहिए। पंचामृत राधा रानी और कृष्ण दोनों को बहुत पसंद है।
  • इसके अलावा पीली मिठाई और फल का भोग भी जरूर लगाना चाहिए।
  • मीठे में राधा रानी को मालपुआ या रबड़ी का भोग अर्पित करें।

पूजा का शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami Puja muhurat)

राधा अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 32 मिनट से दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है।

इस मुहूर्त में ही लाडली जी की पूजा आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी.

राधा अष्टमी के दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है.

राधा जी को जरूर चढ़ाएं ये चीज (What to offer to Radha ji)

राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते समय राधा रानी को श्रृंगार का सामान जरूर चढ़ाना चाहिए।

इससे राधा रानी प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है।

Radha Ashtami Vrat Katha, Radha Ashtami 2024, Happy Radha Ashtami,
Radha Ashtami 2024 Vrat katha

राधा अष्टमी के व्रत में खाएं ये चीजें

राधा अष्टमी के व्रत के दौरान फल, मिठाई, आलू साबूदाना की सब्जी, शकरकंद और कुट्टू के आटे के पकौड़े खा सकते हैं।

इसके अलावा दूध और दही को फलाहार में शामिल कर सकते हैं।

व्रत का खाना बनाने में सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिए।

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कोई भी चीज खाने से पहले राधा रानी को भोग जरूर लगाएं।

भोग लगाते समय इस मंत्र का करें जाप

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस मंत्र का अर्थ है कि हे किशोरी जी जो भी मेरे पास है। वो आपका दिया हुआ है।

मैं आपको दिया हुआ अर्पित करता हूं। मेरे इस भोग को आप स्वीकार करें।

राधा अष्टमी पूजन सामग्री (Radha Ashtami Puja Materials)

राधा रानी की पूजा के लिए अक्षत, फूल, लाल चंदन, रोली, सिंदूर, धूप-दीप, सुगंध, इत्र, पंचामृत, खीर, फल मिठाई, नए वस्त्र, फूलों की माला, आभूषण समेत सभी पूजन-सामग्री को शामिल करें।

Radha Ashtami Vrat Katha, Radha Ashtami 2024, Happy Radha Ashtami,
Radha Ashtami 2024 Vrat katha

इस कथा के बिना अधूरा है राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat Katha)

राधा अष्टमी का व्रत इसकी कथा के बिना अधूरा माना जाता है, इसलिए इस दिन व्रती को ये कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक दिन देवी राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर चली गई।

यह जानकर भगवान श्री कृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ उद्यान में घूमने लगे।

जब राधा जी स्वर्ग से वापस आईं तो वह श्री कृष्ण को विरजा से साथ देखकर क्रोधित हो उठीं और उन्होंने विरजा को अपमानित कर दिया,

जिसके बाद विरजा नदी के रूप में बहने लगी।

देवी राधा का यह व्यवहार श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को अनुचित लगा और वह राधा जी को भला-बुरा कहने लगे।

Radha Ashtami Vrat Katha, Radha Ashtami 2024, Happy Radha Ashtami,
Radha Ashtami 2024 Vrat katha

राधा जी को मिला श्राप

सुदामा की बातें सुनकर राधा को गुस्सा आ गया और उन्होंने सुदामा को दानव योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।

उसके बाद सुदामा ने भी देवी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।

शिव पुराण की कथा के अनुसार राधा जी के श्राप के कारण सुदामा ने शंखचूड़ दानव के रूप में जन्म लिया, जिसका वध भगवान शिव के हाथों हुआ था।

राधा रानी को सुदामा के श्राप के कारण पृथ्वी लोक पर मनुष्य के रूप में जन्म लेकर भगवान कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।

जबकि कुछ पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि द्वापर युग में जब श्री विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया तो उनकी पत्नी यानि माता लक्ष्मी ही देवी राधा के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं।

Radha Ashtami Vrat Katha, Radha Ashtami 2024, Happy Radha Ashtami,
Radha Ashtami 2024 Vrat katha

राधा अष्टमी व्रत का महत्व (Importance of Radha Ashtami)

राधा अष्टमी व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है।

इस दिन भक्तजन देवी राधा के नाम का व्रत रखते है और धूमधाम से श्री कृष्ण और देवी राधा की पूजा अर्चना करते हैं।

शास्त्रों की मानें तो जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से इस दिन देवी राधा के लिए व्रत रखते हैं उनके जीवन में आर्थिक समस्याएं कभी भी नहीं आती है।

ये व्रत खासकर महिलाएं रखती हैं।

- Advertisement -spot_img