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कंकाली माता मंदिर रायपुर: यहां रखे हैं राम-रावण युद्ध के हथियार, सिर्फ दशहरे पर होती है पूजा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Kankali Mata Mandir Raipur: देश का छत्तीसगढ़ राज्य अपने देवी मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है।

यहां पर माता के अनेक मंदिर मौजूद है और सबके साथ कोई न कोई प्राचीन कथा जुड़ी हुई है।

दशहरे के मौके पर हम आपको माता के ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका संबंध लंका युद्ध से भी है।

साल में 1 बार खुलता है रायपुर का कंकाली मंदिर

वैसे तो आमतौर पर मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना और आरती होती है।

मगर रायपुर में मौजूद प्राचीन कंकाली देवी मंदिर साल में सिर्फ एक बार विजयदशमी के मौके पर खुलता है।

इस दौरान देवी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसके लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

इस दिन यहां पर शस्त्र पूजा भी होती है।

ये मंदिर तांत्रिक साधना के केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध था।

Maa Kankali Devi, Kankali Devi Temple, Raipur, Chhattisgarh, naga sadhu, Kankali pond, weapons of Ram Ravana war
Kankali Mata Mandir Raipur
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श्मशान घाट पर बना है मंदिर

मान्यता है कि मां कंकाली माता का ये मंदिर करीब 700 साल पुराना है और इसका निर्माण श्मशान घाट पर हुआ है।

श्मशान घाट होने की वजह से यहां से कई नर कंकाल मिले थे, जिस वजह से इसका नाम कंकाली मंदिर पड़ा।

यहां रखें हैं राम-रावण युद्ध के हथियार

माना जाता है कि जब राम और रावण का युद्ध हो रहा था तब देवी काली युद्ध के मैदान में प्रकट हुई थीं और उन्होंने श्रीराम को लड़ने के लिए अस्त्र-शस्त्र दिए थे।

बाद में यही अस्त्र-शस्त्र इस मंदिर के सामने स्थित तालाब से खुदाई के दौरान निकले थे, जिन्हें बाद में संभालकर शस्त्रागार में रख दिया गया।

हर साल दशहरे पर इन्हीं शष्त्रों की पूजा होती है।

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Kankali Mata Mandir Raipur
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देवी ने सपने में दिया मंदिर बनाने का आदेश

कहा जाता है कि देवी ने महंत कृपाल गिरी को कई बार सपने में दर्शन दिए और तालाब से उनकी मूर्ति निकालकर मंदिर में स्थापित करने की बात कही, लेकिन महंत ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

मगर जब देवी बार-बार सपने में आईं तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने पुरानी बस्ती स्थित तत्कालीन श्मशान घाट की खुदाई करवाई।

इसी खुदाई में मां कंकाली की मूर्ति निकली, साथ ही इतने ज्यादा अस्त्र-शस्त्र निकले की खुदाई स्थल पर तालाब बन गया।

मंदिर के सामने स्थित इस तालाब में लोग पूजन के साथ ही स्नान भी करते हैं।

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Kankali Mata Mandir Raipur
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नागा साधु करते थे मंदिर की देखभाल

जानकार बताते हैं कि वर्षों पहले इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा नागा साधुओं के पास हुआ करता था। लेकिन 1980 में नागा साधुओं ने इस मंदिर की देख रेख मंहत शंकर गिरी के हवाले कर दी।

इसके बाद कंकाली मठ के महंत शंकर गिरी ने इसी मंदिर के प्रांगण में जीवित समाधि ले ली थी।

उनके अलावा इस मंदिर प्रागंण में मठ की देखरेख करने वाले छह अन्य लोगों की भी समाधि है।

मंदिर के अंदर नागा साधुओं के कमंडल, वस्त्र, चिमटा, त्रिशूल, ढाल, कुल्हाड़ी आदि रखे हुए है।

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11 पीढ़ियों से देखभाल कर रहा है गिरी परिवार

पिछले ग्यारह पीढ़ियों से इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा गिरी परिवार के पास है।

उनका कहना है कि मठ का दरवाजा अगर साल और किसी दिन खोला जाएगा तो माता नाराज हो जाएंगी।

इसलिए वो वर्षों से इस परंपरा को निभा रहे हैं।

Raipur's Kankali Mata Temple opens only on Dussehra
Kankali Mata Temple

सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक दर्शन

दशहरे के दिन सुबह 6 से रात 12 बजे तक मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है।

सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर में देखने को मिलती है।

रायपुर के इस मंदिर को कंकाली मठ के नाम से जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि दशहरे पर कंकाली माता प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

यहां पर लोग प्रसाद के रूप में सोनपत्ती चढ़ाते हैं। रात 12 बजे के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

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