No Bhadra on Raksha Bandhan: 9 अगस्त 2025 को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन इस बार बेहद खास है।
ज्योतिषियों के अनुसार, 100 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब भद्रा का साया नहीं होगा।
यानी बहनें पूरे दिन कभी भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकेंगी, बिना किसी शुभ मुहूर्त की चिंता किए!
2025 का रक्षाबंधन न केवल भद्रा मुक्त है, बल्कि कई शुभ योगों से भरपूर है।
यह पर्व भाई-बहन के प्यार को और गहरा करने वाला साबित होगा!
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
- भद्रा नहीं होने की वजह से वैसे तो पूरे दिन राखी बांध सकते हैं।
- लेकिन राहुकाल के दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए, यह समय सुबह 9.07 मिनट से सुबह 10.47 मिनट तक रहेगा इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
- अपराह्न काल (दोपहर बाद) और प्रदोष काल (शाम) सबसे उत्तम समय।
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सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 2:24 बजे तक रहेगा, जिसमें राखी बांधना विशेष फलदायी होगा।
चौघड़िया अनुसार राखी बांधने का समय
- शुभ : सुबह 07.39 से 09.10 बजे तक।
- चर : दोपहर 12.29 से 02.06 बजे तक।
- लाभ : दोपहर 2.07 से 03.43 एवं शाम 6.56 से 8.20 बजे तक।
- अमृत : दोपहर 3.44 से शाम 05.20 बजे तक।
100 साल बाद बन रहा है यह दुर्लभ संयोग
इस साल 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, लेकिन यह कोई सामान्य राखी नहीं होगी।
ज्योतिषियों के अनुसार, 100 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब भद्रा का साया राखी पर नहीं पड़ेगा।
यानी बहनें पूरे दिन किसी भी समय अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी, बिना किसी शुभ मुहूर्त की चिंता किए।
भद्रा क्यों है अशुभ?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भद्रा को अशुभ माना जाता है। यह शनि की बहन और सूर्य की पुत्री है, जो अमंगलकारी प्रभाव देती है।
यह एक ऐसा समय होता है जब कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए।
भद्रा के दौरान राखी बांधना, शादी या गृहप्रवेश जैसे शुभ काम वर्जित होते हैं।
लेकिन इस बार भद्रा भूलोक पर नहीं स्वर्ग में होगी, जिससे रक्षाबंधन का पूरा दिन शुभ रहेगा।
पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त से शुरू
- पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2.12 बजे से 9 अगस्त को दोपहर 1.24 बजे तक रहेगी।
- भद्रा भी पूर्णिमा के साथ 8 अगस्त को शुरू होकर रात 1.49 बजे तक रहेगी।
- सूर्योदय से पहले भद्रा के समाप्त होने से पर्व इस बार निर्विघ्न रूप से मनाया जाएगा।
- 9 अगस्त को श्रवण नक्षत्र और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा।
- इसके स्वामी शनि है और इस दिन शनिवार है।
- शास्त्रों के अनुसार श्रवण नक्षत्र के अधिपति विष्णु एवं सौभाग्य योग के अधिपति ब्रह्मा हैं।
- इसके चलते यह पर्व सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा एवं जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साक्षी में मनेगा।
297 साल बाद बना है ऐसा दुर्लभ योग
इस बार श्रावण पूर्णिमा (9 अगस्त) को सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो दोपहर 2:24 बजे तक रहेगा।
इस योग में किए गए काम सफल होते हैं।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस तरह का संयोग 297 साल पहले 1728 में आया था।
कैसे मनाएं इस बार का रक्षाबंधन?
- रेशम की राखी बांधने से विशेष लाभ।
- भाई-बहन एक-दूसरे को मिठाई खिलाएं।
- दान-पुण्य करने से विशेष पुण्य फल मिलेगा।
क्यों खास है यह रक्षाबंधन?
- भद्रा नहीं होने से कोई समय प्रतिबंध नहीं।
- पूरे दिन राखी बांधना शुभ।
- अपराह्न और प्रदोष काल विशेष फलदायी।
- 100 साल बाद भद्रा रहित दिन।
- सर्वार्थ सिद्धि योग के कारण शुभ फल।

कुल मिलाकर इस बार का रक्षाबंधन न सिर्फ पारंपरिक बल्कि ऐतिहासिक भी है।
इस दुर्लभ संयोग में भाई-बहन का प्यार और गहरा होगा, और राखी का यह पर्व यादगार बन जाएगा।
इस खास मौके पर भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करें और इस दुर्लभ संयोग का लाभ उठाएं!
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