Ratlam Mahalaxmi Temple: दीपावली का त्योहार समृद्धि और धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना का पर्व है।
लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में इसकी अभिव्यक्ति एकदम अद्भुत और अनूठे अंदाज में होती है।
यहां मां लक्ष्मी का मंदिर फूलों से नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा चढ़ाए गए असली हीरे-जवाहरात, आभूषण और करोड़ों रुपये के नोटों से सजाया जाता है।
इस साल 2 करोड़ रुपये की सजावट
इस साल करीब 2 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और गहनों से मंदिर का श्रृंगार किया गया है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
मान्यता है कि इस सजावट में जिस भक्त का धन इस्तेमाल होता है, उसके घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

300 साल पुरानी है यह अनोखी परंपरा, राजा करते थे शुरुआत
इस अद्वितीय परंपरा की शुरुआत लगभग 300 वर्ष पुरानी बताई जाती है।
मंदिर के पुजारी अश्विनी जी बताते हैं कि रतलाम रियासत के संस्थापक महाराजा रतन सिंह राठौर ने शहर बसाने के बाद यहां दीपावली धूमधाम से मनाने की शुरुआत की।
राजा अपनी वैभवशाली संपदा, निरोगी काया और प्रजा की खुशहाली की कामना लेकर दीपावली के पांच दिनों तक शाही खजाने के सोने-चांदी के आभूषण मां लक्ष्मी के श्रृंगार के लिए चढ़ाते थे।
Kuber’s Treasure: Faith & Prosperity Unite ✨#Ratlam #MahalaxmiTemple #devotees offer their #wealth to adorn the divine abode during #Dhanteras2025. After 5 days, every offering is returned – a centuries-old tradition of trust, devotion & cultural unity.#Deepotsav2025 pic.twitter.com/cYvBzGAZO4
— Piyush Goyal (@goyalpp) October 18, 2025
धीरे-धीरे यह परंपरा आम जनता तक पहुंच गई और भक्तगण भी मंदिर की सजावट के लिए अपना चढ़ावा लाने लगे।
समय के साथ यह परंपरा और भी भव्य होती गई और आज यह मंदिर देश भर में अपनी इसी अनूठी सजावट के लिए प्रसिद्ध है।
नोटों से बनते हैं वंदनवार
मंदिर की सजावट दीपावली से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है।
शरद पूर्णिमा से ही भक्त नकदी और आभूषण चढ़ाना शुरू कर देते हैं।
मंदिर की हर लटकन और दीवार पर 1 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के नए नोट सजाए जाते हैं।
इन नोटों से सुंदर वंदनवार (पर्दे) बनाए जाते हैं।
रतलाम के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में माँ लक्ष्मी का श्रृंगार भक्तों के गहनों और नोटों से किया गया।
मंदिर के पट धनतेरस के दिन खुलेंगे और गोवर्धन पूजा के बाद सालभर के लिए बंद हो जाएंगे।
जय माता महालक्ष्मी pic.twitter.com/OoQjPNBdRb
— Akanksha Parmar (@iAkankshaP) October 17, 2025
तिजोरियां होती हैं रखी
मां लक्ष्मी की मूर्ति का आकर्षक श्रृंगार आभूषणों से किया जाता है और पूरा गर्भगृह एक चमचमाते हुए खजाने में तब्दील हो जाता है।
कई भक्त तो अपनी निजी तिजोरियां तक मंदिर में लाकर रख देते हैं ताकि उनका धन मां के श्रृंगार में लग सके।
इस सजावट को ‘कुबेर का खजाना’ कहना गलत नहीं होगा।

सुरक्षा का खास इंतजाम
इतनी बड़ी राशि और कीमती सामान की सजावट में सुरक्षा और पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
मंदिर परिसर में बंदूकधारी गार्ड्स और सीसीटीवी कैमरों की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
मंदिर के पीछे ही माणक चौक पुलिस थाना होने से सुरक्षा को और बल मिलता है।
Mahalaxmi Temple Ratlam : VIDEO रतलाम में महालक्ष्मी के दरबार में झलका भक्तों का वैभव https://t.co/JZeCbi7soC#Dhanteras #MadhyaPradesh #MPNews #Naidunia pic.twitter.com/J8ZsUpoYKr
— NaiDunia (@Nai_Dunia) October 22, 2022
एक रुपया भी नहीं होता गड़बड़
सबसे खास बात यह है कि यहां एक भी रुपये का हेर-फेर नहीं होता।
भक्तों द्वारा दी गई हर राशि और हर आभूषण की डिजिटल एंट्री की जाती है।
नोट गिनने की मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रत्येक दानदाता का नाम, पता, मोबाइल नंबर और दी गई वस्तु का ब्यौरा ऑनलाइन दर्ज किया जाता है और उन्हें एक टोकन दिया जाता है, जिस पर मंदिर की मोहर लगी होती है।

पांच दिन बाद वापस मिल जाता है भक्तों का धन
यह परंपरा दान की नहीं, बल्कि श्रद्धा और श्रृंगार की है।
दीपोत्सव के पांच दिनों (धनतेरस से भैया दूज तक) के बाद, मंदिर समिति भक्तों को उनके टोकन दिखाकर उनकी संपूर्ण धनराशि और आभूषण वापस लौटा देती है।
इसे ‘प्रसादी’ के रूप में देखा जाता है।
इस तरह, भक्तों की श्रद्धा भी पूरी हो जाती है और उनकी संपत्ति भी सुरक्षित वापस मिल जाती है। मंदिर के इतिहास में आज तक यहां से एक रुपया भी इधर-उधर नहीं हुआ है।

आस्था और विश्वास का अद्भुत संगम
रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और सामुदायिक सहयोग का जीवंत उदाहरण है।
यह परंपरा दिखाती है कि कैसे एक पुरानी राजकीय प्रथा आज आम जनता की गहरी श्रद्धा में तब्दील हो गई है।
यह मंदिर उस विश्वास का प्रतीक है कि ईश्वर को चढ़ावा भौतिक नहीं, बल्कि श्रद्धा का भाव चाहिए।


