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RBI का नया क्लियरेंस सिस्टम: अब कुछ घंटों में ही क्लियर होगा चेक- पहले लगते थे 2 दिन, जानें पूरा प्रोसेस

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

RBI New Check Clearing System: भारतीय बैंकिंग सिस्टम में 4 अक्टूबर, 2025 से एक बड़ा बदलाव हो रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नई चेक क्लियरेंस गाइडलाइंस लागू हो गई हैं, जिनके तहत अब चेक क्लियर होने में केवल कुछ घंटे ही लगेंगे, जबकि पहले इस प्रक्रिया में दो दिन तक का वक्त लग जाता था।

इस नए सिस्टम को ‘कंटीन्युअस क्लियरिंग एंड सेटलमेंट’ का नाम दिया गया है।

इसका मकसद चेक के जरिए भुगतान को तेज, सुरक्षित और अधिक कारगर बनाना है।

आइए जानते हैं कि यह नया सिस्टम क्या है और कैसे काम करेगा और इससे फायदा कैसे मिलेगा…

पहले लगते थे दो दिन

पुराने सिस्टम में, जब आप किसी बैंक की शाखा या ड्रॉप बॉक्स में चेक जमा करते थे, तो उसकी फिजिकल कॉपी को क्लियरिंग हाउस भेजा जाता था।

फिर वहां से उसे पेमेंट करने वाले बैंक तक पहुंचाया जाता था।

इस पूरी प्रक्रिया में चेक के इधर-उधर जाने और मैन्युअल वेरिफिकेशन की वजह से कम से कम दो दिन लग जाते थे।

कई बार वीकेंड या छुट्टियों के कारण यह समय और भी बढ़ जाता था।

नए सिस्टम में हुए ये बदलाव:

  • फास्ट प्रोसेसिंग: अब चेक का पैसा उसी दिन आपके खाते में आ सकता है।
  • डिजिटल इमेज बेस्ड प्रोसेस: नया सिस्टम पूरी तरह से चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) पर आधारित है। इसमें चेक को इधर-उधर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि उसे स्कैन करके उसकी डिजिटल इमेज बनाकर फौरन प्रोसेसिंग के लिए भेज दिया जाएगा।
  • निश्चित समय सीमा: बैंकों के लिए चेक क्लियर करने या रिजेक्ट करने की एक निश्चित समय सीमा तय कर दी गई है।

नया चेक क्लियरेंस सिस्टम कैसे काम करेगा?

नई प्रक्रिया को समझना बहुत आसान है।

  1. चेक जमा करने का समय (सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक): अगर आप सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच किसी भी बैंक में चेक जमा करते हैं, तो उसे तुरंत स्कैन करके उसकी डिजिटल इमेज बना ली जाएगी। यह इमेज क्लियरिंग हाउस को भेज दी जाएगी।
  2. क्लियरिंग हाउस की भूमिका: क्लियरिंग हाउस उस चेक की इमेज को उस बैंक के पास भेजेगा, जिससे पैसे का भुगतान कराना है (यानी जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उसका बैंक)।
  3. भुगताता बैंक की जिम्मेदारी (शाम 7 बजे तक): जिस बैंक को पैसे चुकाने हैं, उसे शाम 7 बजे तक यह पुष्टि करनी होगी कि वह चेक को क्लियर कर रहा है या नहीं। क्लियर न करने के कारण (जैसे पर्याप्त बैलेंस न होना, साइन मिसमैच, आदि) बताने होंगे।
  4. ऑटो-अप्रूवल का नियम: अगर बैंक शाम 7 बजे तक कोई जवाब नहीं देता, तो चेक को स्वतः ही क्लियर मान लिया जाएगा और रकम लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
  5. सेटलमेंट: इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, सुबह 11 बजे से शुरू होकर हर घंटे बैंकों के बीच पैसों का लेन-देन (सेटलमेंट) होता रहेगा, जिससे पूरी प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी।

सुरक्षा के लिए जरूरी: पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) को न भूलें

तेजी के साथ-साथ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए RBI ने पॉजिटिव पे सिस्टम को और मजबूत किया है। यह सिस्टम धोखाधड़ी रोकने में मदद करता है।

  1. कब लागू होता है? अगर आप 50,000 रुपए या उससे अधिक का चेक जारी कर रहे हैं, तो पॉजिटिव पे सिस्टम का पालन करना अनिवार्य है।
  2. क्या करना होगा? चेक जारी करने के बाद, लेकिन उसे जमा कराने से कम से कम 24 घंटे पहले (बैंक के कार्यदिवसों में), आपको अपने बैंक को चेक की कुछ जरूरी जानकारियाँ देनी होंगी। इनमें शामिल हैं:
  • आपका बैंक खाता नंबर
  • चेक नंबर
  • चेक की तारीख
  • चेक की राशि
  • लाभार्थी (Beneficiary) का नाम

3. कैसे काम करेगा?

  • जब कोई व्यक्ति आपका चेक अपने बैंक में जमा करेगा, तो बैंक आपके द्वारा दी गई जानकारी और चेक पर लिखी जानकारी का मिलान करेगा।
  • अगर सब कुछ सही मिलता है, तो चेक तुरंत क्लियर हो जाएगा।
  • अगर कोई अंतर पाया जाता है, तो चेक को तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाएगा और आपको सूचित किया जाएगा। इससे चेक में छेड़छाड़ की संभावना काफी कम हो जाती है।

चेक के रिजेक्ट होने से बचने के लिए इन 4 बातों का रखें ख्याल

फास्ट प्रोसेसिंग के इस दौर में, अगर चेक में कोई गलती होगी तो उसके रिजेक्ट होने की संभावना भी बढ़ जाएगी। ऐसे में इन बातों का ध्यान रखकर आप इससे बच सकते हैं:

  1. चेक का फॉर्मेट सही हो: चेक पर तारीख, आपका नाम और पता (शहर, पिन कोड) स्पष्ट और सही होना चाहिए।
  2. कोई ओवरराइटिंग न हो: चेक पर लाभार्थी के नाम या राशि के हिस्से में किसी भी तरह की कट-छांट या ओवरराइटिंग (ऊपर से सुधार) नहीं होनी चाहिए। अगर गलती हो जाए तो नया चेक लिखें।
  3. हस्ताक्षर मेल खाएं: चेक पर किया गया हस्ताक्षर बैंक के पास रजिस्टर्ड हस्ताक्षर से पूरी तरह मेल खाना चाहिए। थोड़ा सा भी फर्क होने पर चेक रिजेक्ट हो सकता है।
  4. राशि शब्दों और अंकों में एक समान हो: चेक पर राशि को शब्दों में (जैसे- पचास हजार रुपए) और अंकों में (जैसे- 50,000/-) लिखते समय दोनों जगह एक ही रकम लिखी हो। कोई अंतर नहीं होना चाहिए।

दो चरणों में लागू होंगे नए नियम

RBI इस नई व्यवस्था को एक झटके में नहीं, बल्कि दो चरणों में लागू कर रहा है ताकि बैंकों और ग्राहकों को एडजस्ट करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

  • पहला चरण (Phase 1): यह 4 अक्टूबर, 2025 से 2 जनवरी, 2026 तक चलेगा। इस दौरान, बैंकों के पास चेक कन्फर्म या रिजेक्ट करने के लिए शाम 7 बजे तक का समय रहेगा।
  • दूसरा चरण (Phase 2): 3 जनवरी, 2026 के बाद से यह सिस्टम और भी सख्त हो जाएगा। इस चरण में बैंकों के पास चेक प्राप्त होने के बाद मात्र 3 घंटे के भीतर ही अपना जवाब देने की बाध्यता होगी। इससे प्रक्रिया और भी तेज हो जाएगी।

डिजिटल भारत की ओर एक और मजबूत कदम

भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम वास्तव में ‘डिजिटल इंडिया’ के विजन को मजबूती देता है।

चेक, जो एक पारंपरिक भुगतान का माध्यम है, अब डिजिटल प्रोसेसिंग की सुविधा और गति के साथ काम करेगा।

इससे व्यवसायियों और आम लोगों, दोनों को ही फायदा होगा।

पैसों का लेन-देन तेज होगा, जिससे नकदी प्रवाह (Cash Flow) में सुधार होगा और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

कुल मिलाकर, यह बदलाव भारतीय बैंकिंग प्रणाली को पहले से ज्यादा तेज और भरोसेमंद बनाएगा।

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