Sanwaliya Seth Mandir: हाल ही में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के प्रसिद्ध कृष्ण धाम सांवलिया सेठ मंदिर में करोड़ों का चढ़ावा चढ़ा, जिसमें करीब 17 करोड़ नगद के साथ 15 सोने के बिस्किट मिले।
मंदिर का खजाना यानी डोनेशन बॉक्स हर महीने खोला जाता है, जिसमें अक्सर करोड़ों रुपये और सोने-चांदी के आभूषण निकलते हैं। इस बार भी जब 5 जून को मंदिर का भंडारा खोला गया तो उसमें कैश, सोने-चांदी के जेवर समेत सोने के बिस्किट भी मिले। यह राशि 4 राउंड की काउंटिंग में सामने आई है।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस मंदिर में ऐसी क्या खास बात है जो यहां इतना चढ़ावा चढ़ता है। इसके पीछे भी एक कारण है जिसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।
कहां है मंदिर
सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। ये मंदिर कृष्ण धाम के रूप में चर्चित है।
लोग मानते हैं भगवान को बिजनेस पार्टनर
सांवलिया सेठ मंदिर को लेकर भक्तों के मन में ये विश्वास है कि वो उनके बिजनेस पार्टनर हैं। सैलरी से लेकर बिजनेस तक में भक्त उन्हें अपना हिस्सेदार बनाते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त खजाने में जितना दान देगा, सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। इसलिए लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं।
मीराबाई के गिरधर हैं सांवलिया सेठ
मान्यता है कि भगवान श्री सावलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से है। किवदंतियों के अनुसार सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है, जिनकी वह पूजा किया करती थी।
औरंगजेब की सेना से छिपाया, दोबारा ऐसे हुए प्रकट
कहा जाता है की जब औरंगजेब की सेना मंदिरों में तोड़-फोड़ कर रही थी तब मुगलों के हाथ लगने से पहले ही संत दयाराम ने प्रभु-प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर छिपा दिया।
कालान्तर में 1840 में मंडफिया गांव के भोलाराम गुर्जर नामक ग्वाले को सपना आया की भादसोड़ा-बागूंड गांव की सीमा के छापर में भगवान की तीन मूर्तिया जमीन मे दबी हुई हैं।
जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो सपना सही निकला और वहां से एक जैसी तीन मूर्तिया प्रकट हुईं। बाद में यहां सांवलिया सेठ का मंदिर बना।
देश भर से आते हैं लोग
इस मंदिर में देश भर से लोग आते हैं खासकर उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हर साल लाखों की संख्या में भक्तगढ़ आते हैं।
इन खास मौकों पर भी खोला जाता है दान पात्र
श्री सांवलिया जी मंदिर का दानपात्र महीने में एक बार खोला जाता है। यह चतुर्दशी को खुलता है और इसके बाद अमावस्या का मेला शुरू होता है।
होली पर यह डेढ़ माह में और दीपावली पर दो माह में खोला जाता है।
विदेशी भक्त भी चढ़ाते हैं चढ़ावा
सांवलिया सेठ मंदिर में कई NRI भक्त भी आते हैं। इसलिए भंडारे से डॉलर, अमरीकी डॉलर, पाउंड, दिनार, रियॉल के अलावा कई देशों की मुद्राएं भी निकलती हैं।
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